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Republic Day 2022 Parade : कुछ राज्यों की झांकियों के खारिज होने पर सियासत शुरू, क्या है विवाद और गणतंत्र दिवस की परेड के लिए कैसे होता है चयन?

सार

राजपथ पर होने वाली परेड में भारत की सैन्य शक्ति के अलावा भारत की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी झांकियों के जरिए दिखाया जाता है। इस बार जिन झांकियों को गणतंत्र दिवस मे मौके पर राजपथ पर दिखाया जा सकता है उसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 12 और संवैधानिक संस्थानों की नौ झांकियां शामिल हैं। 
 

छत्तीसगढ़ के पीछे तमिनलनाडु की झांकी (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI

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गणतंत्र दिवस परेड के लिए पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु की झांकियों को शामिल नहीं होने पर सियासत शुरू हो गई है। प्रस्तावित झांकी को खारिज किए जाने की खबर के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर झांकियों को खारिज किए जाने की आलोचना की है।

हालांकि केंद्र सरकार ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि झांकियों का चयन सरकार नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति करती है, ऐसे में राज्यों का सवाल उठाना गलत है और इसमें किसी तरह की राजनीति शामिल नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य की झांकी के बाहर होने पर शंका का निवारण करते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर जवाब दिया और कहा है कि 2016, 2017,2019 और 2021 के दौरान गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल की झांकी का चयन किया गया था। तमिलनाडु की झांकी को लेकर उन्होंने कहा कि चुनी गई 12 झांकियों की अंतिम सूची में राज्य की  झांकी जगह नहीं बना पाई। 

बताया जा रहा है कि इस साल झांकियों के लिए आए 56 प्रस्तावों में से केवल 21 का चयन किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस साल की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह थीम तैयार की गई है।
ममता ने क्या कहा है?
पीएम मोदी को रविवार को लिखे इस पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य की झांकी में इस बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी गई है, लेकिन बिना कोई कारण या औचित्य बताए राज्य की झांकी को खारिज कर दिया गया है। वहीं तृणमूल के लोकसभा सांसद सौगत राय ने कहा कि बंगाल की बार-बार उपेक्षा की जा रही है। हमने इसके खिलाफ पिछली बार भी संसद में आवाज उठाई थी और इस बार भी उठाएंगे।

इसी साल नेताजी की 125वीं जयंती होने के कारण केंद्र सरकार ने 23 जनवरी को पराक्रम दिवस से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने का निर्णय लिया है। बंगाल की ममता सरकार ने इसी को ध्यान में रखकर अपनी झांकी तैयार की थी। संयोग से, सीपीडब्ल्यूडी की जो झांकी चुनी गई है, उसमें बोस हैं।
स्टालिन की क्या है शिकायत?
वहीं स्टालिन ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने भारत की आजादी के 75वें साल के मौके पर 75, उपलब्धियां 75, कार्य, 75 संकल्प को झांकी के विषय के रूप में प्रस्तावित किया था। इस मौके के लिए  हमने ‘स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु’ विषय पर राज्य के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों को चित्रित करते हुए झांकी तैयार की थी। मुख्यमंत्री का दावा है कि राज्य के प्रतिनिधि तीन बार झांकी के चयन के लिए विशेषज्ञ समिति के सामने पेश हुए थे और समिति ने पहली बैठक में ही तमिलनाडु के विषय पर संतोष भी जता दिया था। उन्होंने यह भी लिखा है कि तमिलनाडु की झांकी का बहिष्कार राज्य के लोगों और देशभक्ति की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाएगा।

केरल की झांकी क्यों अस्वीकार हुई?
जानकारी के मुताबिक केरल ने समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को चित्रित करने वाली झांकी प्रस्तावित की थी। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि हमारी झांकी भी अस्वीकार कर दी गई है। बताया जा रहा है कि चयन समिति ने इस झांकी को आदि शंकराचार्य के स्मारक में बदलने का सुझाव दिया था। केरल ने समिति के सुझाए सुझाव को नहीं माना, इसलिए राज्य का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया, जिससे केरल को गणतंत्र दिवस पर झांकी में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला
पिछले कुछ सालों में इन राज्यों को कब-कब मिला है मौका 
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद इन राज्यों की झांकियों को भी गणतंत्र दिवस परेड में दिखाने का मौका मिला है। केरल की झांकी 2018 और 2021 में, वहीं तमिलनाडु की छह साल में 2018 को छोड़कर पांच बार और पश्चिम बंगाल की 2016, 2017, 2019 और 2021 में राजपथ पर दिखाई गई। 

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर दिखाई जाने वाली इन झांकियों को लेकर चल रही सियासत के मद्देनजर यह जानना जरूरी होता है कि इन झांकियों का चयन होता कैसे है और इसमें कौन भाग ले सकता है?

रक्षा मंत्रालय गणतंत्र दिवस परेड और समारोहों के लिए जिम्मेदार नोडल मंत्रालय है। वही सुरक्षा, परेड की तैयारी और झांकी की सारी व्यवस्था देखता है। मंत्रालय हर साल सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्र सरकार के विभागों और कुछ संवैधानिक संस्थाओं को झांकी के माध्यम से परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। जिसमें चुनाव आयोग और नीति आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाएं भी हिस्सा लेती हैं। आमंत्रण पत्र में यह कहा जाता है कि ‘चयन का अंतिम चरण राजपथ पर झांकी की परेड की गारंटी नहीं है।’ झांकी जमीन से 45 फीट से लंबी, 14 फीट से चौड़ी और 16 फीट से ऊंची नहीं होनी चाहिए। 
झांकियों के लिए चयन के लिए समिति का गठन होता है
झांकियों के चयन के लिए रक्षा मंत्रालय, कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला, आदि जैसे क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन करता है। जो प्रस्तावित झांकियों को चुनने का काम करती है। यह प्रक्रिया लंबी होती है।

समिति क्या करती है?
समिति सबसे पहले प्रस्तावित झांकी के स्केच या डिजाइन की जांच करती है और यदि इसमें संशोधन की जरूरत है तो इसका सुझाव देती है। डिजाइन सरल, रंगीन और समझने में आसान होना चाहिए। जब एक बार पहला डिजाइन मंजूर हो जाता है, तो चयनित प्रतिभागियों से तीन तरह के डाइमेंशनल मॉडल लाने के लिए कहा जाता है। जब प्रस्तावकों की ओर से मॉडल पेश किए जाते हैं तो फिर उस पर समिति की बैठक होती है। अगर कोई प्रस्तावक उस बैठक में हिस्सा नहीं लेता है तो प्रस्ताव को खारिज माना जाता है।
 
समिति और क्या ध्यान रखती है? 
समिति यह ध्यान रखती है कि यदि झांकी के साथ कोई पारंपरिक नृत्य शामिल है तो वह लोक नृत्य होना चाहिए। उसकी वेशभूषा और संगीत वाद्ययंत्र पारंपरिक और प्रामाणिक होना चाहिए। झांकियों के चयन पर अपनी अंतिम मुहर लगाने से पहले चयन समिति झांकी के दृश्य अपील, उसके विचार, विवरण और जनता पर पड़ने वाला उसके प्रभाव के बारे में अच्छी तरह जांच करती है।

झांकी के लिए वाहन कौन देता है?
रक्षा मंत्रालय प्रत्येक झांकी के लिए एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर देता है, जिस पर झांकी आसानी से फिट हो सके। इसके लिए अतिरिक्त ट्रैक्टर या ट्रेलर  या कोई अन्य वाहन नहीं दिया जाता है। हालांकि, प्रतिभागी राज्य या संस्थाएं चाहें तो रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए ट्रैक्टर या ट्रेलर को अन्य वाहनों से बदल सकते हैं, लेकिन कुल संख्या दो वाहनों से अधिक नहीं होनी चाहिए। 
  
 

विस्तार

गणतंत्र दिवस परेड के लिए पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु की झांकियों को शामिल नहीं होने पर सियासत शुरू हो गई है। प्रस्तावित झांकी को खारिज किए जाने की खबर के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर झांकियों को खारिज किए जाने की आलोचना की है।

हालांकि केंद्र सरकार ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि झांकियों का चयन सरकार नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति करती है, ऐसे में राज्यों का सवाल उठाना गलत है और इसमें किसी तरह की राजनीति शामिल नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य की झांकी के बाहर होने पर शंका का निवारण करते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर जवाब दिया और कहा है कि 2016, 2017,2019 और 2021 के दौरान गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल की झांकी का चयन किया गया था। तमिलनाडु की झांकी को लेकर उन्होंने कहा कि चुनी गई 12 झांकियों की अंतिम सूची में राज्य की  झांकी जगह नहीं बना पाई। 

बताया जा रहा है कि इस साल झांकियों के लिए आए 56 प्रस्तावों में से केवल 21 का चयन किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस साल की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह थीम तैयार की गई है।

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