राजीव सिन्हा, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 07 Jan 2022 11:28 AM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान उनके यात्रा रिकॉर्ड को सुरक्षित व संरक्षित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब सोमवार को सुनवाई करेगा।
प्रधानमंत्री सुरक्षा भंग
– फोटो : ANI
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विस्तार
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मामला दुर्लभ से दुर्लभ है। इसने हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरे के रूप में सामने आया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ का एक वीडियो बुधवार को इसी तरह की कार्रवाई का आह्वान करते हुए सामने आया था। पंजाब सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी पर केंद्र ने कहा कि राज्य के गृह सचिव भी इस मामले में जांच के दायरे में हैं। इसलिए वह जांच पैनल का हिस्सा नहीं हो सकते।
NIA से करवाई जाए जांच
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह मामला सीमा पार आतंकवाद का मामला है इसलिए एनआईए अधिकारी जांच में सहायता कर सकते हैं। वहीं मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने एक जांच समिति बनाई है। यहां तक कि केंद्र द्वारा भी जांच समिति बनाई गई है। समिति पूरी तरह से खुली हुई है। किसी को भी जांच के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
अदालत करे समिति का गठन
केंद्र द्वारा राज्य की समिति पर उठाए गए सवाल पर पंजाब सरकार ने कहा कि हमें भी केंद्र द्वारा गठित समिति पर भरोसा नहीं है। अगर पंजाब का पैनल जांच नहीं कर सकता तो केंद्र का पैनल भी नहीं कर सकता। बेहतर होगा अदालत समिति का गठन करे। पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि अदालत जांच के लिए किसी अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या अन्य अधिकारियों को नियुक्त कर सकती है।
प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रही थी पंजाब पुलिस
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, स्थानीय पुलिस वहां थी और स्थानीय लोगों के साथ चाय का आनंद ले रही थी, लेकिन उन्होंने आगे प्रदर्शनकारियों के बारे में एसपीजी को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई। एक गंभीर दुर्घटना हो सकती थी और एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी हो सकती थी।
राज्य को जांच करने का अधिकार नहीं
मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि राज्य को विशेष रूप से जांच करने का अधिकार नहीं है। यह राज्य की कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि एसपीजी के प्रोटोकॉल में मदद करना राज्य व केंद्र शासित प्रदेश का कर्त्तव्य है। एसपीजी अधिनियम के महत, यह राज्य के विषय या कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। आगे कहा कि पीएम की सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और यह संसदीय दायरे में आता है। घटना की पेशेवर जांच की जरूरत है।