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Petrol Diesel Price: 37 दिन में क्यों नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, जानें क्या है इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह

Petrol Diesel Price: 37 दिन में क्यों नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, जानें क्या है इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह

सार

Petrol diesel prices stable from 37 days: दिवाली से पहले देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में हर रोज 10 से 20 पैसे का इजाफा हो रहा था और लोग परेशान थे। लेकिन केंद्र के उत्पाद शुल्क घटाने के बाद से तेल की कीमतें स्थिर हैं। इनमें आखिरी बार 4 नवंबर को बदलाव किया गया था। 

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दिवाली से पहले लोग पेट्रोल और डीजल के दामों में रोजाना आधार पर हो रही बढ़ोतरी से बुरी तरह त्रस्त थे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़ा एलान किया और ईंधन की कीमतों पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर दी। सरकार की ओर से जनता को दिए गए इस तोहफे के कारण देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट गईं। राज्यों ने भी केंद्र की देखा-देखी वैट में कटौती करना शुरू कर लोगों को राहत दी। गौर करने वाली बात ये है कि इसके बाद से ही हर रोज इनके दामों में होने वाले 10-20 पैसे इजाफे पर ब्रेक लग गया। आखिरी बार तेल के दामों में बढ़ोतरी बीती 4 नवंबर को देखने को मिली थी। हालांकि, बड़ा सवाल ये है कि आखिर 37 दिनों से तेल की कीमतें स्थिर क्यों हैं, क्या कारण है कि इनके दाम में 5-10 पैसे का भी इजाफा नहीं किया। 

कई कारकों पर निर्भर हैं तेल की कीमतें 
गौरतलब है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती है। हर रोज इनके दाम घटते और बढ़ते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि हर शहर में ये कीमतें अगल-अलग होती है। इनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड ऑयल का भाव, देश में इन पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला वैट बदलाव का कारण बनता है। इसके अलावा तेल कंपनियां हर रोज समीक्षा के बाद सुबह छह बजे नए रेट जारी करती हैं। लेकिन शनिवार को 37वां दिन है जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले जान लें किस तरह बदलते हैं देश में तेल के दाम। इसके चार प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।  

1- बेंट क्रूड की कीमत का असर
पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने में सबसे बड़ी भूमिका अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड के भाव की होती है। अगर अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में गिरावट आती है तो पेट्रोल-डीजल के दाम पर भी असर देखने को मिलता है। हालांकि, ऐसा हर बार जरूरी नहीं है कि क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद पेट्रोल और डीजल पेट्रोल-डीजल भी सस्ता हो, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा ही देखने को मिलता है। इसका कारण ये है कि तेल कंपनियां बेंट क्रूड की कीमतों के आधार पर ही रोजाना के रेट तय करती हैं। 

2- सप्लाई और डिमांड की भूमिका
तेल की कीमतों में बदलाव के लिए सप्लाई और डिमांड की भूमिका भी अहम होती है। सप्लाई और डिमांग का सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल की कीमतों पर देखने को मिलता है। ऐसे में जब भी डिमांड के मुकाबले ही सप्लाई ज्यादा होती है तो इसकी वजह से बेंट क्रूड की कीमतों में गिरावट आने लगती है। इससे पेट्रोल और डीजल के दामों में भी कमी देखने को मिलती है।

3- डॉलर और रुपये में बदलाव 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है। हम अपनी खपत की पूर्ति के लिए लगभग 80 फीसदी तेल आयात करते हैं। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत सीधे तौर पर पेट्रोल और डीजल के दाम पर भी असर डालती हैं। रुपये में कमजोरी आने पर क्रूड का आयात महंगा हो जाता है। वहीं रुपये के मजबूत होने पर आयात सस्ता हो जाता है। इसी आधार पर देश में तेल कंपनियों की समीक्षा के दौरान दाम निर्धारण किया जाता है। 

4- तेल कंपनियां लेती हैं आखिरी निर्णय 
देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में कितना और कब बदलाव करना है, ये फैसला स्थानीय तेल कंपनियां लेती हैं। तेल विपणन कंपनियां बेंट क्रूड की कीमत, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर तय करती हैं कि पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होगा या कितना महंगा हो अथवा इनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके अलावा ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन आदि भी जुड़ जाता है। 

बड़े शहरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत

शहर पेट्रोल (रुपये/लीटर) डीजल (रुपये/लीटर)
दिल्ली 95.41 86.67
मुंबई 109.98 94.14
चेन्नई 101.40 91.43
कोलकाता 104.67 89.79 
दाम स्थिर रहने के ये बड़े कारण
जैसा कि ज्ञात हैं आपके शहर में आने तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कई तरीके से बदलाव होता है। बेंट क्रूड की बात करें तो कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं, यह भी तेल की कीमतों में वृद्धि न होने की बड़ी वजह है। बेंट क्रूड के भाव में गिरावट के साथ ही इसमें राज्य सरकारों की भी अहम भूमिका होती है। जिस तरह केंद्र के उत्पाद शुल्क घटाने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों शासित राज्यों ने अपने यहां वैट में कमी कर लोगों की सहानुभूति हासिल की है। आने वाले कुछ समय में देश के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दामों में बदलाव न होने में इस फैक्टर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2022 में उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में संभवाना यह भी बन रही है कि राज्य सरकारें अप्रैल 2022 तक अपने स्तर पर पेट्रोल-डीजल के रेट पर रोक इसी तरह जारी रखें। 

वर्तमान में बेंट क्रूड का हाल
दिवाली से पहले बेंट क्रूड का दाम रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा था। इस अवधि में क्रूड ऑयल ने अपने तीन साल के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूते हुए 83 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को छू लिया था। इसके बाद इसका भाव गिरता गया। वर्तमान हालात ये हैं कि शुक्रवार को कारोबार बंद होने पर लंदन ब्रेंट क्रूड 75.15 डॉलर प्रति बैरल पर और अमेरिकी क्रूड 71.96 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। गौरतलब है कि बेंट क्रूड का यह स्तर लगातार गिरावट के बीते दो दिनों में हुई बढ़ोतरी के बाद का है।  

तेल के दामों में और कमी की उम्मीद 
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में तेल के दामों को काबू में रखने व उनमें कमी लाने के इरादे से अपने सामरिक भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट लाने के लिए अमेरिका, चीन व जापान समेत कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इसी तरह का कदम उठा रहे हैं। यह पहला मौका है जब भारत अपने सुरक्षित व सामरिक तेल भंडार से कच्चा तेल बाजार में जारी करेगा। 

                     
                    
                  

विस्तार

दिवाली से पहले लोग पेट्रोल और डीजल के दामों में रोजाना आधार पर हो रही बढ़ोतरी से बुरी तरह त्रस्त थे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़ा एलान किया और ईंधन की कीमतों पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर दी। सरकार की ओर से जनता को दिए गए इस तोहफे के कारण देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट गईं। राज्यों ने भी केंद्र की देखा-देखी वैट में कटौती करना शुरू कर लोगों को राहत दी। गौर करने वाली बात ये है कि इसके बाद से ही हर रोज इनके दामों में होने वाले 10-20 पैसे इजाफे पर ब्रेक लग गया। आखिरी बार तेल के दामों में बढ़ोतरी बीती 4 नवंबर को देखने को मिली थी। हालांकि, बड़ा सवाल ये है कि आखिर 37 दिनों से तेल की कीमतें स्थिर क्यों हैं, क्या कारण है कि इनके दाम में 5-10 पैसे का भी इजाफा नहीं किया। 

कई कारकों पर निर्भर हैं तेल की कीमतें 

गौरतलब है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती है। हर रोज इनके दाम घटते और बढ़ते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि हर शहर में ये कीमतें अगल-अलग होती है। इनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड ऑयल का भाव, देश में इन पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला वैट बदलाव का कारण बनता है। इसके अलावा तेल कंपनियां हर रोज समीक्षा के बाद सुबह छह बजे नए रेट जारी करती हैं। लेकिन शनिवार को 37वां दिन है जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले जान लें किस तरह बदलते हैं देश में तेल के दाम। इसके चार प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।  

1- बेंट क्रूड की कीमत का असर

पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने में सबसे बड़ी भूमिका अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड के भाव की होती है। अगर अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में गिरावट आती है तो पेट्रोल-डीजल के दाम पर भी असर देखने को मिलता है। हालांकि, ऐसा हर बार जरूरी नहीं है कि क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद पेट्रोल और डीजल पेट्रोल-डीजल भी सस्ता हो, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा ही देखने को मिलता है। इसका कारण ये है कि तेल कंपनियां बेंट क्रूड की कीमतों के आधार पर ही रोजाना के रेट तय करती हैं। 

2- सप्लाई और डिमांड की भूमिका

तेल की कीमतों में बदलाव के लिए सप्लाई और डिमांड की भूमिका भी अहम होती है। सप्लाई और डिमांग का सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल की कीमतों पर देखने को मिलता है। ऐसे में जब भी डिमांड के मुकाबले ही सप्लाई ज्यादा होती है तो इसकी वजह से बेंट क्रूड की कीमतों में गिरावट आने लगती है। इससे पेट्रोल और डीजल के दामों में भी कमी देखने को मिलती है।

3- डॉलर और रुपये में बदलाव 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है। हम अपनी खपत की पूर्ति के लिए लगभग 80 फीसदी तेल आयात करते हैं। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत सीधे तौर पर पेट्रोल और डीजल के दाम पर भी असर डालती हैं। रुपये में कमजोरी आने पर क्रूड का आयात महंगा हो जाता है। वहीं रुपये के मजबूत होने पर आयात सस्ता हो जाता है। इसी आधार पर देश में तेल कंपनियों की समीक्षा के दौरान दाम निर्धारण किया जाता है। 

4- तेल कंपनियां लेती हैं आखिरी निर्णय 

देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में कितना और कब बदलाव करना है, ये फैसला स्थानीय तेल कंपनियां लेती हैं। तेल विपणन कंपनियां बेंट क्रूड की कीमत, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर तय करती हैं कि पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होगा या कितना महंगा हो अथवा इनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके अलावा ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन आदि भी जुड़ जाता है। 

बड़े शहरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत

शहर पेट्रोल (रुपये/लीटर) डीजल (रुपये/लीटर)
दिल्ली 95.41 86.67
मुंबई 109.98 94.14
चेन्नई 101.40 91.43
कोलकाता 104.67 89.79 

दाम स्थिर रहने के ये बड़े कारण

जैसा कि ज्ञात हैं आपके शहर में आने तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कई तरीके से बदलाव होता है। बेंट क्रूड की बात करें तो कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं, यह भी तेल की कीमतों में वृद्धि न होने की बड़ी वजह है। बेंट क्रूड के भाव में गिरावट के साथ ही इसमें राज्य सरकारों की भी अहम भूमिका होती है। जिस तरह केंद्र के उत्पाद शुल्क घटाने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों शासित राज्यों ने अपने यहां वैट में कमी कर लोगों की सहानुभूति हासिल की है। आने वाले कुछ समय में देश के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दामों में बदलाव न होने में इस फैक्टर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2022 में उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में संभवाना यह भी बन रही है कि राज्य सरकारें अप्रैल 2022 तक अपने स्तर पर पेट्रोल-डीजल के रेट पर रोक इसी तरह जारी रखें। 

वर्तमान में बेंट क्रूड का हाल

दिवाली से पहले बेंट क्रूड का दाम रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा था। इस अवधि में क्रूड ऑयल ने अपने तीन साल के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूते हुए 83 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को छू लिया था। इसके बाद इसका भाव गिरता गया। वर्तमान हालात ये हैं कि शुक्रवार को कारोबार बंद होने पर लंदन ब्रेंट क्रूड 75.15 डॉलर प्रति बैरल पर और अमेरिकी क्रूड 71.96 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। गौरतलब है कि बेंट क्रूड का यह स्तर लगातार गिरावट के बीते दो दिनों में हुई बढ़ोतरी के बाद का है।  

तेल के दामों में और कमी की उम्मीद 

बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में तेल के दामों को काबू में रखने व उनमें कमी लाने के इरादे से अपने सामरिक भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट लाने के लिए अमेरिका, चीन व जापान समेत कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इसी तरह का कदम उठा रहे हैं। यह पहला मौका है जब भारत अपने सुरक्षित व सामरिक तेल भंडार से कच्चा तेल बाजार में जारी करेगा। 

                     

                    

                  

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