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हकीकत: आकस्मिक चिकित्सा के लिए सिर्फ 3-5 फीसदी बेड ही उपलब्ध, एम्स ने नीति आयोग को सौंपी रिपोर्ट

पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Fri, 10 Dec 2021 10:22 PM IST

सार

एम्स ने देश के सरकारी व निजी अस्पतालों के 100 इमर्जेंसी व इंजुरी केयर सेंटरों का आकलन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। ‘देश के दूसरे व प्रांतीय स्तर के सेंटर्स में इमर्जेंसी एंड इंजुरी केयर’ शीर्षक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एम्स ने इसे नीति आयोग को सौंपा है। 

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देश में आकस्मिक चिकित्सा संसाधनों की स्थिति का आकलन करने के लिए दिल्ली एम्स द्वारा किए गए अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अध्ययन में पाया गया है कि देश के अस्पतालों में उपलब्ध कुल बिस्तरों में से मात्र 3 से 5 फीसदी बेड ही आकस्मिक उपचार (emergency departments) के लिए उपलब्ध हैं। 

एम्स ने देश के सरकारी व निजी अस्पतालों के 100 इमर्जेंसी व इंजुरी केयर सेंटरों का आकलन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। ‘देश के दूसरे व प्रांतीय स्तर के सेंटर्स में इमर्जेंसी एंड इंजुरी केयर’ शीर्षक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एम्स ने इसे नीति आयोग को सौंपा है। 

विस्तार

देश में आकस्मिक चिकित्सा संसाधनों की स्थिति का आकलन करने के लिए दिल्ली एम्स द्वारा किए गए अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अध्ययन में पाया गया है कि देश के अस्पतालों में उपलब्ध कुल बिस्तरों में से मात्र 3 से 5 फीसदी बेड ही आकस्मिक उपचार (emergency departments) के लिए उपलब्ध हैं। 

एम्स ने देश के सरकारी व निजी अस्पतालों के 100 इमर्जेंसी व इंजुरी केयर सेंटरों का आकलन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। ‘देश के दूसरे व प्रांतीय स्तर के सेंटर्स में इमर्जेंसी एंड इंजुरी केयर’ शीर्षक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एम्स ने इसे नीति आयोग को सौंपा है। 

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