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Petrol Desiel Politics: ईंधन की कीमतें कम करने से क्यों कतरा रहे गैर भाजपा शासित राज्य, इन 13 राज्यों ने नहीं की वैट में कटौती

Petrol Desiel Politics: ईंधन की कीमतें कम करने से क्यों कतरा रहे गैर भाजपा शासित राज्य, इन 13 राज्यों ने नहीं की वैट में कटौती

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 09 Nov 2021 11:24 AM IST

सार

पेट्रोलियम मंत्रालय की एक विज्ञप्ति को देखें तो अब 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में किसी तरह की कोई कटौती की घोषणा नहीं की है।

पेट्रोल-डीजल (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

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लगातार बढ़ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने आम जनता को त्रस्त कर दिया था। इससे राहत दिलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने दिवाली के एक दिन पहले जनता को तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को कम कर दिया। इसके बाद ईंधन की कीमतों में 5 से 10 रुपये की कमी आई। केंद्र के निर्णय के बाद देशभर के कई राज्यों ने भी अपने यहां पेट्रोल-डीजल से वैट कम कर दिया। लेकिन, ज्यादातर गैर-भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां वैट कम करने से कन्नी काट ली। इसके बाद से ईंधन की राजनीति तेज हो गई है। 

ज्यादातर भाजपा शासित प्रदेशों ने कम किए दाम 
देशभर में ज्यादातर भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार के निर्णय के बाद कदम से कदम मिलाकर अपने राज्य में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) को कम कर दिया। इससे राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमशर: 05 रुपये और 10 रुपये तक कम हो गईं। अपने यहां वैट में कटौती करने वाले राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, मनिपुर, असम, बिहार और हरियाणा समेत अन्य राज्य शामिल हैं। 

गैर-भाजपा शासित राज्य वैट में कमी से कतरा रहे 
पिछले सप्ताह पेट्रोलियम मंत्रालय की एक विज्ञप्ति को देखें तो अब 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में किसी तरह की कोई कटौती की घोषणा नहीं की है। विज्ञप्ति के अनुसार, इनमें महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, अंडमान और निकोबार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। 

विपक्षी दलों ने केंद्र के फैसले पर दिया यह तर्क
विपक्षी दलों का तर्क है कि केंद्र सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी करना महज क्षति पूर्ति की कवायद है। विपक्ष के अनुसार, हाल ही में 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में हार का सामना करने के बाद केंद्र ने यह निर्णय लिया है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट खो दी, जिसके लिए खुद राज्य के भाजपा नेताओं ने महंगाई और ईंधन की कीमतों में तेजी को जिम्मेदार ठहराया।

पेट्रोल और डीजल पर लगते हैं दो तरह के टैक्स
देश में पेट्रोल और डीजल पर दो तरह के टैक्स लगाए जाते हैं। केंद्र सरकार पांच ईंधनों पर उत्पाद शुल्क और उपकर लगाती है, जबकि राज्यों की सरकारें वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाती हैं। गौरतलब है कि वैट में बदलाव होने से देशभर में ईंधन की कीमतों में भी बदलाव हो जाता है। 

विस्तार

लगातार बढ़ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने आम जनता को त्रस्त कर दिया था। इससे राहत दिलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने दिवाली के एक दिन पहले जनता को तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को कम कर दिया। इसके बाद ईंधन की कीमतों में 5 से 10 रुपये की कमी आई। केंद्र के निर्णय के बाद देशभर के कई राज्यों ने भी अपने यहां पेट्रोल-डीजल से वैट कम कर दिया। लेकिन, ज्यादातर गैर-भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां वैट कम करने से कन्नी काट ली। इसके बाद से ईंधन की राजनीति तेज हो गई है। 

ज्यादातर भाजपा शासित प्रदेशों ने कम किए दाम 

देशभर में ज्यादातर भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार के निर्णय के बाद कदम से कदम मिलाकर अपने राज्य में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) को कम कर दिया। इससे राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमशर: 05 रुपये और 10 रुपये तक कम हो गईं। अपने यहां वैट में कटौती करने वाले राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, मनिपुर, असम, बिहार और हरियाणा समेत अन्य राज्य शामिल हैं। 

गैर-भाजपा शासित राज्य वैट में कमी से कतरा रहे 

पिछले सप्ताह पेट्रोलियम मंत्रालय की एक विज्ञप्ति को देखें तो अब 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में किसी तरह की कोई कटौती की घोषणा नहीं की है। विज्ञप्ति के अनुसार, इनमें महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, अंडमान और निकोबार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। 

विपक्षी दलों ने केंद्र के फैसले पर दिया यह तर्क

विपक्षी दलों का तर्क है कि केंद्र सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी करना महज क्षति पूर्ति की कवायद है। विपक्ष के अनुसार, हाल ही में 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में हार का सामना करने के बाद केंद्र ने यह निर्णय लिया है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट खो दी, जिसके लिए खुद राज्य के भाजपा नेताओं ने महंगाई और ईंधन की कीमतों में तेजी को जिम्मेदार ठहराया।

पेट्रोल और डीजल पर लगते हैं दो तरह के टैक्स

देश में पेट्रोल और डीजल पर दो तरह के टैक्स लगाए जाते हैं। केंद्र सरकार पांच ईंधनों पर उत्पाद शुल्क और उपकर लगाती है, जबकि राज्यों की सरकारें वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाती हैं। गौरतलब है कि वैट में बदलाव होने से देशभर में ईंधन की कीमतों में भी बदलाव हो जाता है। 

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