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LIC IPO : सूचीबद्ध होने पर कंपनी को बेचना पड़ सकता है और 20 फीसदी हिस्सा

LIC IPO: 70 लाख पॉलिसीधारकों ने किया ये जरूरी काम, 28 फरवरी तक नहीं कर पाए तो निवेश से चूकेंगे

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आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारियों में जुटी एलआईसी के लिए सेबी का एक नियम मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस नियम के तहत शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के तीन साल के भीतर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अपनी और 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। एलआईसी की आईपीओ 11 मार्च को आ सकता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम के मुताबिक, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली किसी भी कंपनी को तीन साल के भीतर अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी आम लोगों के लिए आरक्षित रखनी होती है। विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी ही बेच रही है। 
इसका मतलब है कि देश की सबसे बड़ी बीमाकंपनी को अगले तीन साल में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी और बेचनी पड़ सकती है। इस तरह, उसे हर साल औसतन करीब 42 करोड़ शेयर बेचने होंगे। इसकी कुल कीमत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। 

कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी

  • विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी अगर सेबी के इस नियम का पालन करती है तो क्या बाजार इतनी भारी संख्या में शेयरों की आपूर्ति संभाल पाएगा। 
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार एलआईसी के लिए कोई विशेष बनाकर उसे 25 फीसदी हिस्सेदारी आम जनता के लिए आरक्षित करने के नियम से छूट देगी। 
  • बाजार नियामक सेबी की इस मामले में क्या भूमिका होगी। इस सवालों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है।
बन जाएगी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी
शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी के बाजार पूंजीकरण में भारी तेजी आएगी। बाजार पूंजीकरण के हिसाब के यह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। इस आईपीओ से 60,000 से 90,000 करोड़ जुुटाए जाने का अनुमान है।

बीमा कंपनी अकेले जुटाएगी आधी रकम

  • पिछले साल आईपीओ के जरिये विभिन्न कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.20 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। इसकी आधी रकम अकेले एलआईसी अपने आईपीओ की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचकर जुटाने वाली है। यह भारतीय बाजार में एलआईसी की ताकत को दिखाता है।
  • इस आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए करीब 35 फीसदी हिस्सा यानी 11 करोड़ शेयर आरक्षित रखने की बात कही जा रही है। 
  • अक्तूबर, 2021 तक भारत में सिर्फ 7.3 करोड़ लोगों के पास डीमैट खाते थे। इसलिए यह भी देखना होगा कि आरक्षित हिस्सा कितना भर पाता है। 
सरकारी नियंत्रण को लेकर फिक्र न करें निवेशक : चेयरमैन
एलआईसी चेयरमैन एम आर कुमार ने कहा कि निवेशकों को आईपीओ के बाद कंपनी पर सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी है। उसे अभी पैसे की जरूरत नहीं है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम न सिर्फ सरकार से बल्कि सभी शेयरधारकों से मदद लेंगे। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी में फैसले सरकार नहीं बल्कि उसका बोर्ड लेता है।

आईपीओ के बाद भी कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 95 फीसदी रहेगी। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारियों में जुटी एलआईसी के लिए सेबी का एक नियम मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस नियम के तहत शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के तीन साल के भीतर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अपनी और 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। एलआईसी की आईपीओ 11 मार्च को आ सकता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम के मुताबिक, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली किसी भी कंपनी को तीन साल के भीतर अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी आम लोगों के लिए आरक्षित रखनी होती है। विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी ही बेच रही है। इसका मतलब है कि देश की सबसे बड़ी बीमाकंपनी को अगले तीन साल में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी और बेचनी पड़ सकती है। इस तरह, उसे हर साल औसतन करीब 42 करोड़ शेयर बेचने होंगे। इसकी कुल कीमत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। 

कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी

  • विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी अगर सेबी के इस नियम का पालन करती है तो क्या बाजार इतनी भारी संख्या में शेयरों की आपूर्ति संभाल पाएगा। 
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार एलआईसी के लिए कोई विशेष बनाकर उसे 25 फीसदी हिस्सेदारी आम जनता के लिए आरक्षित करने के नियम से छूट देगी। 
  • बाजार नियामक सेबी की इस मामले में क्या भूमिका होगी। इस सवालों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है।
बन जाएगी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी
शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी के बाजार पूंजीकरण में भारी तेजी आएगी। बाजार पूंजीकरण के हिसाब के यह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। इस आईपीओ से 60,000 से 90,000 करोड़ जुुटाए जाने का अनुमान है।

बीमा कंपनी अकेले जुटाएगी आधी रकम
पिछले साल आईपीओ के जरिये विभिन्न कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.20 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। इसकी आधी रकम अकेले एलआईसी अपने आईपीओ की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचकर जुटाने वाली है। यह भारतीय बाजार में एलआईसी की ताकत को दिखाता है।

  • इस आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए करीब 35 फीसदी हिस्सा यानी 11 करोड़ शेयर आरक्षित रखने की बात कही जा रही है। 
  • अक्तूबर, 2021 तक भारत में सिर्फ 7.3 करोड़ लोगों के पास डीमैट खाते थे। इसलिए यह भी देखना होगा कि आरक्षित हिस्सा कितना भर पाता है। 

सरकारी नियंत्रण को लेकर फिक्र न करें निवेशक : चेयरमैन
एलआईसी चेयरमैन एम आर कुमार ने कहा कि निवेशकों को आईपीओ के बाद कंपनी पर सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी है। उसे अभी पैसे की जरूरत नहीं है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम न सिर्फ सरकार से बल्कि सभी शेयरधारकों से मदद लेंगे। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी में फैसले सरकार नहीं बल्कि उसका बोर्ड लेता है। आईपीओ के बाद भी कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 95 फीसदी रहेगी। 

आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारियों में जुटी एलआईसी के लिए सेबी का एक नियम मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस नियम के तहत शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के तीन साल के भीतर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अपनी और 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। एलआईसी की आईपीओ 11 मार्च को आ सकता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम के मुताबिक, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली किसी भी कंपनी को तीन साल के भीतर अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी आम लोगों के लिए आरक्षित रखनी होती है। विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी ही बेच रही है। 

इसका मतलब है कि देश की सबसे बड़ी बीमाकंपनी को अगले तीन साल में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी और बेचनी पड़ सकती है। इस तरह, उसे हर साल औसतन करीब 42 करोड़ शेयर बेचने होंगे। इसकी कुल कीमत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। 

कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी

  • विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी अगर सेबी के इस नियम का पालन करती है तो क्या बाजार इतनी भारी संख्या में शेयरों की आपूर्ति संभाल पाएगा। 
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार एलआईसी के लिए कोई विशेष बनाकर उसे 25 फीसदी हिस्सेदारी आम जनता के लिए आरक्षित करने के नियम से छूट देगी। 
  • बाजार नियामक सेबी की इस मामले में क्या भूमिका होगी। इस सवालों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है।
बन जाएगी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी

शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी के बाजार पूंजीकरण में भारी तेजी आएगी। बाजार पूंजीकरण के हिसाब के यह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। इस आईपीओ से 60,000 से 90,000 करोड़ जुुटाए जाने का अनुमान है।

बीमा कंपनी अकेले जुटाएगी आधी रकम

  • पिछले साल आईपीओ के जरिये विभिन्न कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.20 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। इसकी आधी रकम अकेले एलआईसी अपने आईपीओ की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचकर जुटाने वाली है। यह भारतीय बाजार में एलआईसी की ताकत को दिखाता है।
  • इस आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए करीब 35 फीसदी हिस्सा यानी 11 करोड़ शेयर आरक्षित रखने की बात कही जा रही है। 
  • अक्तूबर, 2021 तक भारत में सिर्फ 7.3 करोड़ लोगों के पास डीमैट खाते थे। इसलिए यह भी देखना होगा कि आरक्षित हिस्सा कितना भर पाता है। 
सरकारी नियंत्रण को लेकर फिक्र न करें निवेशक : चेयरमैन

एलआईसी चेयरमैन एम आर कुमार ने कहा कि निवेशकों को आईपीओ के बाद कंपनी पर सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी है। उसे अभी पैसे की जरूरत नहीं है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम न सिर्फ सरकार से बल्कि सभी शेयरधारकों से मदद लेंगे। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी में फैसले सरकार नहीं बल्कि उसका बोर्ड लेता है।

आईपीओ के बाद भी कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 95 फीसदी रहेगी। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारियों में जुटी एलआईसी के लिए सेबी का एक नियम मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस नियम के तहत शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के तीन साल के भीतर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अपनी और 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। एलआईसी की आईपीओ 11 मार्च को आ सकता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम के मुताबिक, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली किसी भी कंपनी को तीन साल के भीतर अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी आम लोगों के लिए आरक्षित रखनी होती है। विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी ही बेच रही है। इसका मतलब है कि देश की सबसे बड़ी बीमाकंपनी को अगले तीन साल में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी और बेचनी पड़ सकती है। इस तरह, उसे हर साल औसतन करीब 42 करोड़ शेयर बेचने होंगे। इसकी कुल कीमत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। 

कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी

  • विश्लेषकों का कहना है कि एलआईसी अगर सेबी के इस नियम का पालन करती है तो क्या बाजार इतनी भारी संख्या में शेयरों की आपूर्ति संभाल पाएगा। 
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार एलआईसी के लिए कोई विशेष बनाकर उसे 25 फीसदी हिस्सेदारी आम जनता के लिए आरक्षित करने के नियम से छूट देगी। 
  • बाजार नियामक सेबी की इस मामले में क्या भूमिका होगी। इस सवालों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है।
बन जाएगी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी

शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी के बाजार पूंजीकरण में भारी तेजी आएगी। बाजार पूंजीकरण के हिसाब के यह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। इस आईपीओ से 60,000 से 90,000 करोड़ जुुटाए जाने का अनुमान है।

बीमा कंपनी अकेले जुटाएगी आधी रकम

पिछले साल आईपीओ के जरिये विभिन्न कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.20 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। इसकी आधी रकम अकेले एलआईसी अपने आईपीओ की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचकर जुटाने वाली है। यह भारतीय बाजार में एलआईसी की ताकत को दिखाता है।

  • इस आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए करीब 35 फीसदी हिस्सा यानी 11 करोड़ शेयर आरक्षित रखने की बात कही जा रही है। 
  • अक्तूबर, 2021 तक भारत में सिर्फ 7.3 करोड़ लोगों के पास डीमैट खाते थे। इसलिए यह भी देखना होगा कि आरक्षित हिस्सा कितना भर पाता है। 

सरकारी नियंत्रण को लेकर फिक्र न करें निवेशक : चेयरमैन

एलआईसी चेयरमैन एम आर कुमार ने कहा कि निवेशकों को आईपीओ के बाद कंपनी पर सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी है। उसे अभी पैसे की जरूरत नहीं है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम न सिर्फ सरकार से बल्कि सभी शेयरधारकों से मदद लेंगे। उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी में फैसले सरकार नहीं बल्कि उसका बोर्ड लेता है। आईपीओ के बाद भी कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 95 फीसदी रहेगी। 

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