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KGF Chapter 2: 'मेरे पास मां है' से 'सबसे बड़ी योद्धा तक' फिल्मों में कैसे लौटी सलीम जावेद और मनमोहन देसाई की दुखियारी मां?

रॉकी भाई यानी यश की फिल्म केजीएफ के दूसरे अध्याय यानी केजीएफ चैप्टर 2 ने जब से बड़े पर्दे पर एंट्री की है, तब से फिल्म का एक-एक डायलॉग और एक्शन सीन चर्चा में है। इन सबके बीच केजीएफ चैप्टर 2 में अगर कुछ और सुर्खियां बटोर रहा है तो वह है फिल्म में दिखाया गया दुखियारी मां और बेटे का रिश्ता, जो पूरी कहानी का आधार है। इसी रिश्ते की वजह से राजा कृष्णप्पा बैरिया पूरी दुनिया का ‘रॉकी भाई’ बनता है। सबसे ज्यादा सोना जुटाता है और हर किसी को नेस्तनाबूद कर देता है। …लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी फिल्म में दुखियारी मां नजर आई हो। दरअसल, सलीम-जावेद और मनमोहन देसाई के जमाने की फिल्मों वाली दुखियारी मां एक बार फिर फिल्मों में नजर आने लगी है। इस स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको उन्हीं फिल्मों से रूबरू करा रहे हैं, जिनमें मां-बेटे का रिश्ता दिखाया गया और जिसने उस फिल्म की कहानी में जान फूंक दी। 

बॉलीवुड में कब हुई मां की एंट्री?

फिल्मों में अगर मां के किरदार पर गौर करें तो सबसे पहले राखी गुलजार का नाम जेहन में आता है। उन्होंने 1995 के दौरान रिलीज हुई राकेश रोशन की फिल्म में रो-रोकर कहा था, ‘मेरे करण-अर्जुन आएंगे।’ अगर बरस वाली घड़ी का कांटा थोड़ा पीछे और घुमाएंगे तो निरूपा रॉय का नाम याद आ जाएगा। 1975 में आई ‘दीवार’ में जिन्हें लेकर ‘मेरे पास मां है’ वाला आइकॉनिक डायलॉग लिखा गया। लेकिन इन दोनों से भी आगे या भारतीय सिनेमा की सबसे पहली मां की बात करें तो लीला चिटनिस का नाम सामने आ जाता है, जिन्होंने इस तरह के किरदार निभाने की शुरुआत की। आवारा (1951) में वह राज कपूर की मां बनीं तो गंगा जमना (1961) में दिलीप कुमार की मां का किरदार निभाया। वहीं, गाइड (1965) में उन्होंने देव आनंद की मां की भूमिका निभाई।

मेरे पास मां है…

फिल्म जगत की मां का जिक्र हो और 1975 में रिलीज हुई ‘दीवार’ का नाम न आए, ऐसा होना नामुमकिन है। दरअसल, सलीम-जावेद की लेखनी से सजी इस फिल्म में दुखियारी मां के रूप में निरुपा रॉय को दिखाया गया। फिल्म के एक सीन जब अमिताभ अपने छोटे भाई शशि कपूर को बंगले और पैसे का रौब दिखाते हैं, तब शशि कपूर कहते हैं, मेरे पास मां है… जिस तरह यह फिल्म सुपरहिट रही, उसी तरह उसका यह डायलॉग भी अमर हो गया। इसी फिल्म का एक और डायलॉग काफी मशहूर हुआ, जिसमें निरुपा रॉय भी कहती हैं,

  • ‘तू अभी इतना अमीर नहीं हुआ बेटा कि अपनी मां को खरीद सके।’ 
  • राम-लखन एक जख्मी औरत के दो हथियार हैं…
  • मेरे करन-अर्जुन आएंगे…
  • एक मां ही जानती है…
  • यह देख मां पचास तोला
  • दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा होती है मां
  • मां तुझे पूरी दुनिया का सोना लाकर दूंगा…

अन्य प्रसिद्ध डायलॉग्स…

  • राम-लखन एक जख्मी औरत के दो हथियार हैं… (राम लखन)
  • मेरे करन-अर्जुन आएंगे… (करन अर्जुन)
  • एक मां ही जानती है… (लाडला)
  • यह देख मां पचास तोला (वास्तव)
  • दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा होती है मां (केजीएफ 1)
  • मां तुझे पूरी दुनिया का सोना लाकर दूंगा… (केजीएफ 2)

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