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Indian Hockey: भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश हुए भावुक, बताया ओलंपिक मेडल जीतने के बाद की कहानी

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Fri, 04 Feb 2022 05:55 PM IST

सार

श्रीजेश ने कहा कि मेडल जीतते ही वह अपने 21 साल के करियर को याद करने लगे थे। उन्होंने बताया कि पूरा करियर उनकी आंखों के सामने घूम गया था।

पीआर श्रीजेश
– फोटो : सोशल मीडिया

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विस्तार

भारत के स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने टोक्यो ओलंपिक के दौरान शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने कई गोल बचाए थे, जिसकी बदौलत टीम इंडिया 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीतने में कामयाब हो पाई थी। टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल के मैच में श्रीजेश ने पेन्ल्टी पर गोल बचाया था और भारत को जीत दिलाई थी। अब उन्होंने मेडल जीतने के बाद के उस खास पल के बारे में बताया है। 

श्रीजेश को विश्व के सबसे शानदार एथलीट का अवॉर्ड मिला

श्रीजेश ने कहा कि मेडल जीतते ही वह अपने 21 साल के करियर को याद करने लगे थे। उन्होंने बताया कि पूरा करियर उनकी आंखों के सामने घूम गया था। 33 साल के श्रीजेश को हाल ही में वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर 2021 अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। वह भारत के कप्तान भी रह चुके हैं। 

जर्मनी के खिलाफ मैच में दबाव में थे श्रीजेश

श्रीजेश ने ‘हॉकी ते चर्चा’ पॉडकास्ट में बताया- जर्मनी के खिलाफ मैच के दौरान आखिरी 6 सेकंड में पेनल्टी कॉर्नर गंवाने से मैं बाकी हॉकी प्रेमियों की तरह दुखी था। जर्मनी की टीम मैच पलटने में माहिर है। हमने पहले भी कई मैच आखिरी पल में गंवाए थे और वो सभी यादें ताजा हो गईं। मैं बस इतना जानता था कि मुझे अपना फोकस बनाए रखना है। 

जीत के बाद भावुक हो गए थे पीआर श्रीजेश

श्रीजेश ने कहा- मैंने उस वक्त सभी को उनकी जिम्मेदारी सौंपी दी थी, क्योंकि इतने दबाव में अपनी जिम्मेदारी पर फोकस बनाए रखना मुश्किल होता है। हालांकि, हमने गोल बचाया और मैच जीते। जीत और मेडल की खुशी में मैं भावुक हो गया। मेरी आंखों के सामने मेरा 21 साल का करियर घूम गया। मैं जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल से लेकर टोक्यो ओलंपिक तक के सफर को याद कर रहा था।

2017 में श्रीजेश को लगी थी गंभीर चोट

श्रीजेश को 2017 में चोट लगी थी। इसके कारण उनका करियर भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गया था। इसके बारे में श्रीजेश ने बताया- चोट से निपटना मेरे लिए सबसे ज्यादा मुश्किल काम था। मेरा करियर उस वक्त अपने चरम पर था। उस वक्त मैं भारतीय टीम का कप्तान था। लोग मुझे पहचानने लगे थे। 

श्रीजेश ने मजबूती के साथ की थी वापसी

श्रीजेश ने कहा- हॉकी मेरे लिए सर्वोपरि है। चोट लगने के बाद मैं टीम से बाहर हो गया। मेरी अनुपस्थिति में भी टीम इंडिया अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। मुझे लगा कि लोग मुझे अब भूल जाएंगे। मेरे लिए वह कठिन समय था, लेकिन मैंन खुद को मजबूत बनाए रखा और टीम में वापसी की। भारत में उम्र काफी नाजुक मसला है और चोट के साथ बढ़ती उम्र के कारण लोग मुझे बीता हुआ कल मानने लगे।

काफी मुश्किलों के बाद कठिन दौर से निकल सका

श्रीजेश ने कहा- 2018 हॉकी विश्व कप के दौरान भी कई लोगों ने मेरी आलोचना की। मेरे पिताजी का भी स्वास्थ्य उस वक्त सही नहीं था। मैं तब काफी परेशानियों से जूझ रहा था। इस दौरान मेरे मन में हॉकी से संन्यास लेने का भी विचार आया। मैं नीदरलैंड के गोलकीपर याप स्टॉकमैन का एहसानमंद रहूंगा। उनकी सलाह से ही मैं उस कठिन दौर से निकल सका।

 

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