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Karnataka: बेलूर, हेलेबिड और होयसला मंदिर विश्व विरासत सूची के लिए नामांकित, पूर्व पीएम ने जताया आभार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: न्यूज डेस्क
Updated Thu, 03 Feb 2022 12:29 AM IST

सार

कर्नाटक की इस उपलब्धि पर देश के पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा ने पीएमओ आफिस को पत्र लिखकर खुशी जताई है। उन्होंने इसे कर्नाटक के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है।

कर्नाटक के बेलूर में स्थित होयसला मंदिर।
– फोटो : ANI

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भारत विरासत का धनी है और इसकी धरोहर का विश्व भर में नाम है। इसी के उदाहरण स्वरूप कर्नाटक के बेलूर, हेलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को साल 2022-2023 की विश्व विरासत सूची के लिए भारत की ओर से नामांकन के तौर पर शामिल कर लिया गया है। कर्नाटक की इस उपलब्धि पर देश के पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने पीएमओ ऑफिस को पत्र लिखकर खुशी जताई है। उन्होंने इसे कर्नाटक के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने पत्र में लिखा कि, हमें गर्व है कि बेलूर, हेलेबिड और होयसला मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के लिए भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया है। मैं कर्नाटक में कला और विरासत के सभी प्रेमियों के सुझाव को स्वीकार करने के लिए @PMOIndia का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।

संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने दी जानकारी
दरअसल, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने हाल ही में बताया कि, कर्नाटक के बेलूर, हेलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को साल 2022-2023 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के लिए भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया है। यह मंदिर मानव रचनात्मक प्रतिभा के सर्वश्रेष्ठ बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारे देश की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साक्षी हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी इस पर खुशी जताते हुए कहा कि वास्तुकला के इस उत्कृष्ट कार्य को देखा जाना चाहिए। 

कर्नाटक के हम्पी और पत्तदकल पहले से ही यूनेस्को की सूची में शामिल
जानकारी के अनुसार, यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने सोमवार को औपचारिक रूप से होयसला मंदिरों का नामांकन विश्व विरासत के निदेशक, लजारे एलौंडौ को सौंप दिया है। सूत्रों के मुताबिक, पहला कदम वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर को डोजियर जमा करना है, जिसके बाद तकनीकी जांच की जाएगी। एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद यूनेस्को मार्च की शुरुआत तक वापस संचार करेगा। उसके बाद साइट मूल्यांकन सितंबर/अक्टूबर 2022 में होगा और जुलाई/अगस्त 2023 में डोजियर पर विचार किया जाएगा। आपको बता दें, कर्नाटक के हम्पी और पट्टाडकल पहले से ही यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हैं।

विस्तार

भारत विरासत का धनी है और इसकी धरोहर का विश्व भर में नाम है। इसी के उदाहरण स्वरूप कर्नाटक के बेलूर, हेलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को साल 2022-2023 की विश्व विरासत सूची के लिए भारत की ओर से नामांकन के तौर पर शामिल कर लिया गया है। कर्नाटक की इस उपलब्धि पर देश के पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने पीएमओ ऑफिस को पत्र लिखकर खुशी जताई है। उन्होंने इसे कर्नाटक के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने पत्र में लिखा कि, हमें गर्व है कि बेलूर, हेलेबिड और होयसला मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के लिए भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया है। मैं कर्नाटक में कला और विरासत के सभी प्रेमियों के सुझाव को स्वीकार करने के लिए @PMOIndia का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।

संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने दी जानकारी

दरअसल, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने हाल ही में बताया कि, कर्नाटक के बेलूर, हेलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को साल 2022-2023 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के लिए भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया है। यह मंदिर मानव रचनात्मक प्रतिभा के सर्वश्रेष्ठ बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारे देश की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साक्षी हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी इस पर खुशी जताते हुए कहा कि वास्तुकला के इस उत्कृष्ट कार्य को देखा जाना चाहिए। 

कर्नाटक के हम्पी और पत्तदकल पहले से ही यूनेस्को की सूची में शामिल

जानकारी के अनुसार, यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने सोमवार को औपचारिक रूप से होयसला मंदिरों का नामांकन विश्व विरासत के निदेशक, लजारे एलौंडौ को सौंप दिया है। सूत्रों के मुताबिक, पहला कदम वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर को डोजियर जमा करना है, जिसके बाद तकनीकी जांच की जाएगी। एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद यूनेस्को मार्च की शुरुआत तक वापस संचार करेगा। उसके बाद साइट मूल्यांकन सितंबर/अक्टूबर 2022 में होगा और जुलाई/अगस्त 2023 में डोजियर पर विचार किया जाएगा। आपको बता दें, कर्नाटक के हम्पी और पट्टाडकल पहले से ही यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हैं।

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