First Aadhaar card in India
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आज भारत में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों के पास उनका खुद का आधार कार्ड है। वहीं दूसरी तरफ क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है कि देश में सबसे पहला आधार कार्ड किसका बना था? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं। आधार कार्ड की कार्यप्रणाली को यूपीए सरकार के अंतर्गत लागू किया गया था। इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकनी ने आधार परियोजना की अध्यक्षता की थी। आधार कार्ड के आने से भारत में कई व्यापक बदलाव हुए हैं। आधार व्यक्ति की पहचान का प्रमाण है। इसके आने से देश में पारदर्शिता देखने को मिली है और कई सरकारी काम काजों में भी सुधार हुआ है। विभिन्न सरकारी योजनाओं, बैंकिंग से जुड़े कार्य, नौकरी आदि जगहों पर आधार कार्ड की खास जरूरत हम लोगों को होती है। इस कारण भारत में विशाल पैमाने पर लोग आधार कार्ड को बनवा रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने वाले हैं कि भारत में पहला आधार कार्ड किसका बना था। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से –
First Aadhaar card in India
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जनवरी 2009 में भारत सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया। इस प्राधिकरण के गठन के बाद सितंबर 2010 से आधार कार्ड बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ। उसके बाद विशाल पैमाने पर भारत में लोगों का आधार कार्ड बनाकर उनको वितरित किए जाने की शुरुआत हुई।
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बात अगर भारत के सबसे पहले आधार कार्ड की करें तो देश में पहला आधार कार्ड 29 सितंबर 2010 को रंजना सोनावाने का बना था। रंजना महाराष्ट्र की रहने वाली एक महिला हैं। उस दौरान उनका निवास स्थान महाराष्ट्र के नंदुबार जिले के तंभाली में था, जो कि पुणे से करीब 470 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
First Aadhaar card in India
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यूपीए सरकार के दौरान आधार कार्ड को बनाने का प्रारंभ महाराष्ट्र के नंदुबार जिले के तंभाली गांव से ही शुरू हुआ था। रंजना सोनावाने को उनका पहला आधार कार्ड सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में दिया गया।
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ऐसे में रंजना सोनावाने भारत की वह पहली महिला बनीं, जिनको भारत में पहला आधार कार्ड मिला था। आज भारत में बड़े पैमान पर लोगों के पास उनका आधार कार्ड है। सरकार की कई लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इसकी जरूरत हम सभी को पड़ती है। आधार कार्ड के आने से देश के भीतर एक पारदर्शिता आई है।