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Economic Survey 2022: अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार, जानें आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख बातें

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 31 Jan 2022 02:15 PM IST

सार

Main Points Of Economic Survey 2022: केंद्र सरकार की ओर से बजट से एक दिन पहले सोमवार को सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश वित्तीय हालात का लेखा-जोखा सामने रखा। इस दौरान वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.5 फीसदी जताया गया है। आइए जानते हैं कि आर्थिक सर्वे में कौन-कौन से प्रमुख बिंदुओं पर क्या जानकारी दी गई। 

 

आर्थिक सर्वेक्षण 2022
– फोटो : अमर उजाला

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केंद्र सरकार की ओर से बजट से एक दिन पहले सोमवार को सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश वित्तीय हालात का लेखा-जोखा सामने रखा। इस दौरान वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.5 फीसदी जताया गया है। आइए जानते हैं कि मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कौन-कौन से प्रमुख बिंदुओं पर क्या जानकारी दी गई। 
 

  • सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि 2022-23 में चुनौतियों का सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से तैयार है। आर्थिक गतिविधियां पूर्व-महामारी के स्तर पर पहुंच गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की कमाई में तेजी से सुधार हुआ है ऐसे में सरकार राजकोषीय उपायों की घोषणा कर पाने की स्थिति में है।
  • आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर 9.2 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था का अनुमान 8 से 8.5 फीसदी अनुमानित है। इसमें कहा गया कि वित्त वर्ष 2023 में विकास को व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधार और नियमों में ढील से समर्थन मिलेगा।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग प्रबंधन के बजाय आपूर्ति पक्ष में सुधार हुआ है। अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय प्रणाली के साथ निजी क्षेत्र का निवेश अच्छी स्थिति में रहेगा। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि का समर्थन करने के लिए पूंजीगत व्यय में तेजी लाने के लिए निर्यात में मजबूत वृद्धि होगी। 
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के संकट काल में कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे अहम रहा है। इस साल कृषि क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया। इस आधार पर एग्रिकल्चर सेक्टर के ग्रोथ का अनुमान 3.9 फीसदी और इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया है।
  • चालू वित्त वर्ष के लिए सेवा क्षेत्र के ग्रोथ का अनुमान 8.2 फीसदी तय किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में 2020-21 में निगेटिव (-7%) ग्रोथ दर्ज की गई थी, सर्विस सेक्टर में पिछले साल यानी 2020-21 में 8.6 परसेंट की गिरावट आई थी। इसके साथ ही आईपीओ का जिक्र करते हुए कहा गया कि 2021 में आईपीओ के जरिए पूर्व के वर्षों की तुलना में ज्यादा रकम जुटाई गई। 75 कंपनियों ने आईपीओ से 89,066 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

रोजगार के मौके तैयार होंगे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा यह बात कही गई है। अन्य सेवाप्रदाता (ओएसपी) नियमों में ढील और दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों सहित विभिन्न नीतिगत कदमों से आईटी सेवा क्षेत्र की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा और बड़ी संख्या में रोजगार के मौके तैयार होंगे।  आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आईटी-बीपीएम क्षेत्र की आय (ई-कॉमर्स को छोड़कर) 2020-21 के दौरान 194 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जो सालाना आधार पर 2.26 प्रतिशत की वृद्धि है। समीक्षा के मुताबिक, पिछले एक साल में इस क्षेत्र में नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए कई नीतिगत पहलें की गई हैं, जिसमें अन्य सेवाप्रदाता नियमों में छूट, दूरसंचार क्षेत्र के सुधार और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 शामिल हैं। 

5जी में निवेश के लिए अनुकूल माहौल
दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों से 4जी प्रसार को बढ़ावा मिलेगा, तरलता या नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। कोविड संबंधी चुनौतियों का सामना करने में दूरसंचार क्षेत्र के उत्कृष्ट प्रदर्शन और ऑनलाइन शिक्षा एवं घर से काम (डब्ल्यूएफएच) के चलन से डाटा की खपत में भारी वृद्धि के साथ, सुधार उपायों से ब्रॉडबैंड और दूरसंचार कनेक्टिविटी के प्रसार और पैठ को बढ़ावा मिलेगा। इसमें कहा गया, सुधारों से 4जी प्रसार को बढ़ावा मिलेगा, नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। मोबाइल टावरों की संख्या दिसंबर, 2021 में बढ़कर 6.93 लाख हो गई है। 

 

मौद्रिक कदमों से निपटने में भारत सक्षम
भारत 630 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार और हालात से निपटने के लिए पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश होने से फेडरल रिजर्व समेत विदेशी केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीतिगत कदमों का बखूबी सामना कर सकता है। रिपोर्ट में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत की मौद्रिक स्थिति को उपयुक्त बताया गया।

एयर इंडिया की बिक्री से निजीकरण को गति
आर्थिक सर्वे में कहा गया कि विमानन कंपनी एयर इंडिया की निजी हाथों में बिक्री से देश में निजीकरण के अभियान को बढ़ावा मिलेगा। समीक्षा में साथ ही सभी क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक उद्यमों में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को फिर से परिभाषित करने का सुझाव भी दिया गया है। 

बुनियादी ढांचे पर 1400 अरब डॉलर खर्च 
देश को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए इस दौरान बुनियादी ढांचे पर 1,400 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत होगी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि वित्त वर्षों 2008-17 के दौरान भारत ने बुनियादी ढांचे पर 1,100 अरब डॉलर खर्च किये हैं। हालांकि, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को लेकर चुनौतियां भी हैं।
   
महंगाई को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं
आर्थिक सर्वे में महंगाई को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया है कि आयातित खाद्य तेल और दालों की मुद्रास्फीति ने इन उत्पादों की कीमतों को बढ़ा दिया, जिसे सरकार ने सक्रिय उपायों से नियंत्रित किया। खुदरा महंगाई की बात करें, तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर पर बनी हुई है। हालांकि, आर्थिक गतिविधियों में तेजी, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और माल ढुलाई की ऊंची लागत के कारण थोक कीमतों में 12 फीसदी से अधिक की तेजी देखी गई।

अंतरिक्ष नियामक को मिले 40 प्रस्ताव
भारत के अंतरिक्ष नियामक को निजी क्षेत्र और अकादमिक जगत से प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रहों के निर्माण से लेकर पृथ्वी अवलोकन अनुप्रयोगों तक की गतिविधियों के लिए करीब 40 प्रस्ताव मिले हैं। इसके साथ ही आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि लगभग 100 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा जा रहा है क्योंकि सरकार प्रदूषण की जांच के लिए उपयुक्त कदम उठा रही है। सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

विस्तार

केंद्र सरकार की ओर से बजट से एक दिन पहले सोमवार को सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश वित्तीय हालात का लेखा-जोखा सामने रखा। इस दौरान वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.5 फीसदी जताया गया है। आइए जानते हैं कि मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कौन-कौन से प्रमुख बिंदुओं पर क्या जानकारी दी गई। 

 

  • सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि 2022-23 में चुनौतियों का सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से तैयार है। आर्थिक गतिविधियां पूर्व-महामारी के स्तर पर पहुंच गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की कमाई में तेजी से सुधार हुआ है ऐसे में सरकार राजकोषीय उपायों की घोषणा कर पाने की स्थिति में है।
  • आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर 9.2 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था का अनुमान 8 से 8.5 फीसदी अनुमानित है। इसमें कहा गया कि वित्त वर्ष 2023 में विकास को व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधार और नियमों में ढील से समर्थन मिलेगा।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग प्रबंधन के बजाय आपूर्ति पक्ष में सुधार हुआ है। अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय प्रणाली के साथ निजी क्षेत्र का निवेश अच्छी स्थिति में रहेगा। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि का समर्थन करने के लिए पूंजीगत व्यय में तेजी लाने के लिए निर्यात में मजबूत वृद्धि होगी। 
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के संकट काल में कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे अहम रहा है। इस साल कृषि क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया। इस आधार पर एग्रिकल्चर सेक्टर के ग्रोथ का अनुमान 3.9 फीसदी और इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया है।
  • चालू वित्त वर्ष के लिए सेवा क्षेत्र के ग्रोथ का अनुमान 8.2 फीसदी तय किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में 2020-21 में निगेटिव (-7%) ग्रोथ दर्ज की गई थी, सर्विस सेक्टर में पिछले साल यानी 2020-21 में 8.6 परसेंट की गिरावट आई थी। इसके साथ ही आईपीओ का जिक्र करते हुए कहा गया कि 2021 में आईपीओ के जरिए पूर्व के वर्षों की तुलना में ज्यादा रकम जुटाई गई। 75 कंपनियों ने आईपीओ से 89,066 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

रोजगार के मौके तैयार होंगे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा यह बात कही गई है। अन्य सेवाप्रदाता (ओएसपी) नियमों में ढील और दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों सहित विभिन्न नीतिगत कदमों से आईटी सेवा क्षेत्र की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा और बड़ी संख्या में रोजगार के मौके तैयार होंगे।  आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आईटी-बीपीएम क्षेत्र की आय (ई-कॉमर्स को छोड़कर) 2020-21 के दौरान 194 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जो सालाना आधार पर 2.26 प्रतिशत की वृद्धि है। समीक्षा के मुताबिक, पिछले एक साल में इस क्षेत्र में नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए कई नीतिगत पहलें की गई हैं, जिसमें अन्य सेवाप्रदाता नियमों में छूट, दूरसंचार क्षेत्र के सुधार और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 शामिल हैं। 

5जी में निवेश के लिए अनुकूल माहौल

दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों से 4जी प्रसार को बढ़ावा मिलेगा, तरलता या नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। कोविड संबंधी चुनौतियों का सामना करने में दूरसंचार क्षेत्र के उत्कृष्ट प्रदर्शन और ऑनलाइन शिक्षा एवं घर से काम (डब्ल्यूएफएच) के चलन से डाटा की खपत में भारी वृद्धि के साथ, सुधार उपायों से ब्रॉडबैंड और दूरसंचार कनेक्टिविटी के प्रसार और पैठ को बढ़ावा मिलेगा। इसमें कहा गया, सुधारों से 4जी प्रसार को बढ़ावा मिलेगा, नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। मोबाइल टावरों की संख्या दिसंबर, 2021 में बढ़कर 6.93 लाख हो गई है। 

 

मौद्रिक कदमों से निपटने में भारत सक्षम

भारत 630 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार और हालात से निपटने के लिए पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश होने से फेडरल रिजर्व समेत विदेशी केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीतिगत कदमों का बखूबी सामना कर सकता है। रिपोर्ट में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत की मौद्रिक स्थिति को उपयुक्त बताया गया।

एयर इंडिया की बिक्री से निजीकरण को गति

आर्थिक सर्वे में कहा गया कि विमानन कंपनी एयर इंडिया की निजी हाथों में बिक्री से देश में निजीकरण के अभियान को बढ़ावा मिलेगा। समीक्षा में साथ ही सभी क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक उद्यमों में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को फिर से परिभाषित करने का सुझाव भी दिया गया है। 

बुनियादी ढांचे पर 1400 अरब डॉलर खर्च 

देश को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए इस दौरान बुनियादी ढांचे पर 1,400 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत होगी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि वित्त वर्षों 2008-17 के दौरान भारत ने बुनियादी ढांचे पर 1,100 अरब डॉलर खर्च किये हैं। हालांकि, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को लेकर चुनौतियां भी हैं।

   

महंगाई को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं

आर्थिक सर्वे में महंगाई को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया है कि आयातित खाद्य तेल और दालों की मुद्रास्फीति ने इन उत्पादों की कीमतों को बढ़ा दिया, जिसे सरकार ने सक्रिय उपायों से नियंत्रित किया। खुदरा महंगाई की बात करें, तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर पर बनी हुई है। हालांकि, आर्थिक गतिविधियों में तेजी, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और माल ढुलाई की ऊंची लागत के कारण थोक कीमतों में 12 फीसदी से अधिक की तेजी देखी गई।

अंतरिक्ष नियामक को मिले 40 प्रस्ताव

भारत के अंतरिक्ष नियामक को निजी क्षेत्र और अकादमिक जगत से प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रहों के निर्माण से लेकर पृथ्वी अवलोकन अनुप्रयोगों तक की गतिविधियों के लिए करीब 40 प्रस्ताव मिले हैं। इसके साथ ही आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि लगभग 100 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा जा रहा है क्योंकि सरकार प्रदूषण की जांच के लिए उपयुक्त कदम उठा रही है। सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

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