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Pegasus Case: पूर्व राजनयिक अकबरुद्दीन बोले- पेगासस के कारण इस्राइल के पक्ष में वोट की बात बेबुनियाद

सार

 सैयद अकबरुद्दीन ने कहा 2019 में किसी ने वोटिंग के समय भारत से संपर्क नहीं किया था। न तो फिलिस्तीन और न ही इस्राइल ने। उस वोटिंग को पेगासस से जोड़ना गंभीर त्रुटि है।   

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) में छपी उस खबर को बकवास बताया है जिसमें इशारा किया गया है कि इस्राइल से पेगासस की खरीद करने के बाद नई दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के पक्ष में मतदान किया था। अकबरुद्दीन ने शनिवार को कहा, यूएन में भारत के मतदान के बारे में जो इशारा किया गया है वह बकवास है। अकबरुद्दीन अभी कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन हैं। उन्होंने कहा, 2019 में किसी ने वोटिंग के समय भारत से संपर्क नहीं किया था। न तो फिलिस्तीन और न ही इस्राइल ने। उस वोटिंग को पेगासस से जोड़ना गंभीर त्रुटि है।   

एनवाईटी ने रिपोर्ट छापी है कि जुलाई, 2017 में नरेंद्र मोदी ने भारत की दशकों पुरानी फिलिस्तीन पक्षधरता की नीति को त्याग कर इस्राइल का दौरा किया। इस दौरे में 2 अरब डॉलर के रक्षा सौदे को अंजाम दिया गया जिसके तहत एक मिसाइल सिस्टम और पेगासस की खरीद की गई। इसके कुछ महीने बाद तब के इस्राइली पीएम भी भारत दौरे पर आए और आखिरकार जून, 2019 में भारत ने यूएन में फिलिस्तीन के खिलाफ इस्राइल के पक्ष में वोटिंग की।

एनएसओ बेपरवाह, आलोचकों को पाखंडी बताया
इस्राइल की संकट में घिरी तकनीकी कंपनी एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाईवेयर को गैर लोकतांत्रिक देशों को बेचे जाने को लेकर हो रही आलोचना को पाखंड बताया है और कहा है कि दूसरे देश इन्हीं देशों को आधुनिक सर्विलांस तकनीक और युद्धक हथियार बेच रहे हैं। एनएसओ पर पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्राइल समेत पूरी दुनिया में गलत इस्तेमाल को लेकर दबाव बना हुआ है।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेलेव हुलियो ने इस्राइली चैनल 12 को शनिवार को इंटरव्यू देकर कंपनी के क्रियाकलापों का बचाव किया। हालांकि उन्होंने यह जरूर माना कि पिछले वर्षों में कुछ ‘चूकें’ हुई हो सकती हैं। चैनल द्वारा यह पूछे जाने पर कि इतनी आलोचना के बीच क्या उन्हें नींद आ रही है, उन्होंने कहा, मैं रात में खूब अच्छी नींद सो रहा हूं। 

भारत में न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के बाद हंगामा मचा है और विपक्षी दल सरकार पर अवैध जासूसी और देशद्रोह जैसे आरोप लगा रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर हुलियो ने कंपनी की नीति का बचाव करते हुए कहा, हमने किसी एक देश को यह नहीं बेचा। ऐसे किसी देश को नहीं, जिसे अमेरिका नहीं बेच रहा या इस्राइल नहीं बेच रहा। इसलिए यह कहना पाखंड है कि एफ 35, या टैंक अथवा ड्रोन बेचना सही है लेकिन गुप्त सूचना जुटाने का औजार बेचना सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तकनीक के लिए उनसे संपर्क करने वाले करीब 90 ग्राहकों में से उन्होंने तय नियमों के तहत सिर्फ 40 को यह तकनीक बेची है। अमेरिका द्वारा कंपनी को काली सूची में डाले जाने पर उन्होंने इसे अतिवादी कदम कहा और उम्मीद जताई कि यह प्रतिबंध जल्द हटा लिया जाएगा।

विपक्ष हमलावर, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की मांग की
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर सूचना तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की मांग की है। चौधरी ने वैष्णव पर पेगासस मामले में सदन को गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। 

चौधरी ने लिखा, सरकार सदन में हमेशा यह कहती रही है कि पेगासस से उसका कोई लेना-देना नहीं है और उसने एनएसओ ग्रुप से कभी ये जासूसी सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा। हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स के ताजा खुलासे से पता चलता है कि मोदी सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और देश की जनता से झूठ बोला। इस खुलासे के आलोक में मैं सूचना तकनीक मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव की मांग करता हूं जिन्होंने जानबूझकर पेगासस मुद्दे पर सदन को गुमराह किया।
चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पेगासस खरीद के बारे में किए गए सीधे सवाल पर भी झूठ बोला। सरकार ने शपथपत्र देकर कोर्ट में पेगासस मुद्दे पर लग रहे सभी आरोपों से इनकार किया था।

विस्तार

संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) में छपी उस खबर को बकवास बताया है जिसमें इशारा किया गया है कि इस्राइल से पेगासस की खरीद करने के बाद नई दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के पक्ष में मतदान किया था। अकबरुद्दीन ने शनिवार को कहा, यूएन में भारत के मतदान के बारे में जो इशारा किया गया है वह बकवास है। अकबरुद्दीन अभी कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन हैं। उन्होंने कहा, 2019 में किसी ने वोटिंग के समय भारत से संपर्क नहीं किया था। न तो फिलिस्तीन और न ही इस्राइल ने। उस वोटिंग को पेगासस से जोड़ना गंभीर त्रुटि है।   

एनवाईटी ने रिपोर्ट छापी है कि जुलाई, 2017 में नरेंद्र मोदी ने भारत की दशकों पुरानी फिलिस्तीन पक्षधरता की नीति को त्याग कर इस्राइल का दौरा किया। इस दौरे में 2 अरब डॉलर के रक्षा सौदे को अंजाम दिया गया जिसके तहत एक मिसाइल सिस्टम और पेगासस की खरीद की गई। इसके कुछ महीने बाद तब के इस्राइली पीएम भी भारत दौरे पर आए और आखिरकार जून, 2019 में भारत ने यूएन में फिलिस्तीन के खिलाफ इस्राइल के पक्ष में वोटिंग की।

एनएसओ बेपरवाह, आलोचकों को पाखंडी बताया

इस्राइल की संकट में घिरी तकनीकी कंपनी एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाईवेयर को गैर लोकतांत्रिक देशों को बेचे जाने को लेकर हो रही आलोचना को पाखंड बताया है और कहा है कि दूसरे देश इन्हीं देशों को आधुनिक सर्विलांस तकनीक और युद्धक हथियार बेच रहे हैं। एनएसओ पर पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्राइल समेत पूरी दुनिया में गलत इस्तेमाल को लेकर दबाव बना हुआ है।

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेलेव हुलियो ने इस्राइली चैनल 12 को शनिवार को इंटरव्यू देकर कंपनी के क्रियाकलापों का बचाव किया। हालांकि उन्होंने यह जरूर माना कि पिछले वर्षों में कुछ ‘चूकें’ हुई हो सकती हैं। चैनल द्वारा यह पूछे जाने पर कि इतनी आलोचना के बीच क्या उन्हें नींद आ रही है, उन्होंने कहा, मैं रात में खूब अच्छी नींद सो रहा हूं। 

भारत में न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के बाद हंगामा मचा है और विपक्षी दल सरकार पर अवैध जासूसी और देशद्रोह जैसे आरोप लगा रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर हुलियो ने कंपनी की नीति का बचाव करते हुए कहा, हमने किसी एक देश को यह नहीं बेचा। ऐसे किसी देश को नहीं, जिसे अमेरिका नहीं बेच रहा या इस्राइल नहीं बेच रहा। इसलिए यह कहना पाखंड है कि एफ 35, या टैंक अथवा ड्रोन बेचना सही है लेकिन गुप्त सूचना जुटाने का औजार बेचना सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तकनीक के लिए उनसे संपर्क करने वाले करीब 90 ग्राहकों में से उन्होंने तय नियमों के तहत सिर्फ 40 को यह तकनीक बेची है। अमेरिका द्वारा कंपनी को काली सूची में डाले जाने पर उन्होंने इसे अतिवादी कदम कहा और उम्मीद जताई कि यह प्रतिबंध जल्द हटा लिया जाएगा।

विपक्ष हमलावर, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की मांग की

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर सूचना तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की मांग की है। चौधरी ने वैष्णव पर पेगासस मामले में सदन को गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। 

चौधरी ने लिखा, सरकार सदन में हमेशा यह कहती रही है कि पेगासस से उसका कोई लेना-देना नहीं है और उसने एनएसओ ग्रुप से कभी ये जासूसी सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा। हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स के ताजा खुलासे से पता चलता है कि मोदी सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और देश की जनता से झूठ बोला। इस खुलासे के आलोक में मैं सूचना तकनीक मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव की मांग करता हूं जिन्होंने जानबूझकर पेगासस मुद्दे पर सदन को गुमराह किया।

चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पेगासस खरीद के बारे में किए गए सीधे सवाल पर भी झूठ बोला। सरकार ने शपथपत्र देकर कोर्ट में पेगासस मुद्दे पर लग रहे सभी आरोपों से इनकार किया था।

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