न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 12 Mar 2022 07:43 AM IST
सार
भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित सेना की 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और चीन की ओर से दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। मैराथन बैठक सुबह 10 बजे शुरू हुई और शुक्रवार देर रात समाप्त हुई।
भारत ने चीन से एक बार फिर कहा है कि वह पूर्वी लद्दाख में अटकी सेना की वापसी की प्रक्रिया पूरी करे। शुक्रवार को हुई दोनों देशों की 15 वीं सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने चीन से साफ कहा कि वह देपसांग व डेमचोक में दोनों देशों की सेनाओं के बड़े जमावड़े को भी कम करे।
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को लद्दाख के चुशुल मोल्डो के भारतीय इलाके में सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर हुआ। भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित सेना की 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और चीन की ओर से दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। मैराथन बैठक सुबह 10 बजे शुरू हुई और शुक्रवार देर रात समाप्त हुई। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की इस वार्ता को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
चीन अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने को अनिच्छुक
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 के पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग मानने के प्रति अनिच्छुक नजर आया। चीन ने सीमावर्ती इलाकों से पूरी तरह से सैन्य वापसी और 22 माह से चला आ रहा सैन्य टकराव खत्म करने के भी कोई संकेत नहीं दिए।
इन इलाकों से सैन्य वापसी के संकेत
हालांकि, इस बात के संकेत हैं कि दोनों पक्ष कम से कम हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा-कोंगका ला क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 (पीपी-15) पर रुकी हुई सैन्य वापसी कोपूरा करने के लिए सहमत हो सकते हैं। वार्ता प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार पीपी-15 में सफलता संभव है क्योंकि पिछले साल जुलाई में कोर कमांडर स्तर की 12वीं वार्ता के दौरान इस पर बात बनी थी।
22 माह से एलएसी पर गतिरोध कायम
लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग बुल्गे इलाके में गतिरोध का समाधान नजर नहीं आ रहा है। यहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भारत को गश्त करने से रोक रही है। पीएलए भारतीय सेना को 18 किलोमीटर अंदर रोक रही है, भारत इसे अपना इलाका मानता है। डेमचोक के चार्डिंग निंगलुंग नाला डेमचोक में भी चीन गश्त नहीं करने दे रहा है। दोनों देशों के बीच 22 माह से एलएसी पर गतिरोध कायम है। पैगोंग झील समेत कुछ इलाकों से सेना की वापसी हो चुकी है, लेकिन अब भी दोनों देशों की सेनाओं के 50 से 60 हजार जवान वहां तैनात हैं।
विस्तार
भारत ने चीन से एक बार फिर कहा है कि वह पूर्वी लद्दाख में अटकी सेना की वापसी की प्रक्रिया पूरी करे। शुक्रवार को हुई दोनों देशों की 15 वीं सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने चीन से साफ कहा कि वह देपसांग व डेमचोक में दोनों देशों की सेनाओं के बड़े जमावड़े को भी कम करे।
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को लद्दाख के चुशुल मोल्डो के भारतीय इलाके में सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर हुआ। भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित सेना की 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और चीन की ओर से दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। मैराथन बैठक सुबह 10 बजे शुरू हुई और शुक्रवार देर रात समाप्त हुई। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की इस वार्ता को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
चीन अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने को अनिच्छुक
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 के पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग मानने के प्रति अनिच्छुक नजर आया। चीन ने सीमावर्ती इलाकों से पूरी तरह से सैन्य वापसी और 22 माह से चला आ रहा सैन्य टकराव खत्म करने के भी कोई संकेत नहीं दिए।
इन इलाकों से सैन्य वापसी के संकेत
हालांकि, इस बात के संकेत हैं कि दोनों पक्ष कम से कम हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा-कोंगका ला क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 (पीपी-15) पर रुकी हुई सैन्य वापसी कोपूरा करने के लिए सहमत हो सकते हैं। वार्ता प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार पीपी-15 में सफलता संभव है क्योंकि पिछले साल जुलाई में कोर कमांडर स्तर की 12वीं वार्ता के दौरान इस पर बात बनी थी।
22 माह से एलएसी पर गतिरोध कायम
लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग बुल्गे इलाके में गतिरोध का समाधान नजर नहीं आ रहा है। यहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भारत को गश्त करने से रोक रही है। पीएलए भारतीय सेना को 18 किलोमीटर अंदर रोक रही है, भारत इसे अपना इलाका मानता है। डेमचोक के चार्डिंग निंगलुंग नाला डेमचोक में भी चीन गश्त नहीं करने दे रहा है। दोनों देशों के बीच 22 माह से एलएसी पर गतिरोध कायम है। पैगोंग झील समेत कुछ इलाकों से सेना की वापसी हो चुकी है, लेकिन अब भी दोनों देशों की सेनाओं के 50 से 60 हजार जवान वहां तैनात हैं।
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