न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 11 Jan 2022 08:00 PM IST
सार
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह, महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई के बीच बनी स्थिति को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद परेशान करने वाली बताया है।
सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई
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विस्तार
पीठ ने परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से सुरक्षा को और बढ़ाने की मांग नकारते हुए कहा, ‘यह वही पुलिस बल है जिसकी आपने लंबे समय तक अध्यक्षता की है। हम क्या कहें कि पुलिस बल के मुखिया को पुलिस बल पर कोई भरोसा नहीं है, राज्य सरकार को सीबीआई पर कोई भरोसा नहीं है। उस परिदृश्य को देखें जिसे चित्रित किया जा रहा है। हमारे लिए यह बहुत ही परेशान करने वाला परिदृश्य है। हम इसको शांतिपूर्व नहीं हल कर सकते हैं।’
‘परमबीर सिंह को और सुरक्षा नहीं दी जा सकती’
शीर्ष अदालत ने कहा, राज्य सरकार को यह उचित नहीं लगता कि सीबीआई इसकी जांच करे और उन्होंने इस संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें वह हार गई है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हम यह नहीं जानते हैं कि संबंधित पीठ का इस मामले में क्या विचार रहेगा। हम आपको पर्याप्त सुरक्षा दे चुके हैं, अब हम इससे ज्यादा और सुरक्षा नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 22 फरवरी को करेगी।
‘सीबीआई जांच अपने हाथ में लेने के लिए तैयार’
सीबीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आशंका व्यक्त की कि इस मामले में राज्य सरकार ऐसे कदम उठा सकती है जिससे जांच पूरी करने में ब्यूरो का काम मुश्किल हो सकता है। उन्होंने पीठ से कहा कि सीबीआई की ओर से इस मामले में हलफनामा दाखिल कर दिया गया है और यह परमबीर सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस की ओर से दर्ज किए गए एक आपराधिक मामले की जांच अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है।
‘परमबीर को निशाना बनाने की कोशिश हो रही’
परमबीर सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने दलील दी कि सिंह को निशाना बनाया जा रहा है और राज्य सरकार सीबीआई के मामले में जांच में अवरोध डालने की कोशिश कर रही है। वहीं, पीठ ने टिप्पणी की, ‘इस पूरे परिदृश्य में कोई भी पाक साफ नहीं है। जब चीजें सही से चलती रहती हैं तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन जब चीजें ठीक से नहीं चल रही होती हैं तो सब एक दूसरे पर आरोप लगाने लगते हैं।’
अब 22 फरवरी को होगी मामले में अगली सुनवाई
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डैरियस खंबाटा ने पीठ को बताया कि राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ तबादले के लिए पैसे लेने के आरोप में एसआईटी जांच कर रही थी। इस जांच को सीबीआई को दिए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 फरवरी तय की है।
