वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 11 Jan 2022 07:55 PM IST
सार
पर्यवेक्षकों के मुताबिक विपक्ष को आशंका है कि जनरल बाजवा के सेनाध्यक्ष बने रहने से इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) पार्टी के लिए अनुकूल स्थितियां रहेंगी। पाकिस्तान में आम चुनाव अगले साल होना है…
बाजवा और इमरान खान
– फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
पाकिस्तान में सेनाध्यक्ष के कार्यकाल को लेकर सियासी विवाद खड़ा होने के संकेत हैं। विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने आरोप लगाया है कि इसको लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान बेवजह मसला खड़ा कर रहे हैं। मुद्दा मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को फिर बढ़ाने से जुड़ा है। बाजवा का न सिर्फ सेना, बल्कि पाकिस्तान में सत्ता तंत्र के दूसरे हिस्सों पर भी गहरा प्रभाव समझा जाता है।
प्रधानमंत्री ने दिया संकेत
ताजा विवाद प्रधानमंत्री खान के एक इंटरव्यू के बाद उठा है। टीवी चैनल दुनिया टीवी को दिए इंटरब्यू में खान ने एक सवाल पर कहा- ‘अभी नया साल शुरू ही हुआ है। नवंबर अभी दूर है। इसलिए अभी सेनाध्यक्ष के कार्यकाल में विस्तार को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।’ उनके इस बयान को इस बात का संकेत समझा गया है कि जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस संभावना से विपक्ष नाराज हो गया है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक जनरल बाजवा के प्रधानमंत्री से बेहतर रिश्ते हैं। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री तय करने में सेना की अहम भूमिका होती है।
प्रधानमंत्री का इंटरव्यू बीते छह जनवरी को प्रसारित हुआ था। उस पर पीएमएल-एन की प्रतिक्रिया रविवार को आई। पर्यवेक्षकों के मुताबिक पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियां सेना के बारे में आम तौर पर बहुत संभल कर बोलती हैं। इसलिए विपक्ष की प्रतिक्रिया में देर अस्वाभाविक नहीं है। पीएमएल-एन के नेता शाहिद खान अब्बासी ने सोमवार को कहा कि इमरान खान इस मामले में गैर जरूरी विवाद खड़ा कर रहे हैं। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक सराकर को सिर्फ सेनाध्यक्ष की नियुक्ति का अधिकार है, सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने का नहीं।
अगले साल पाकिस्तान में होना है आम चुनाव
इसके पहले रविवार को पीएमएल के महासचिव अहसान इकबाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री खान को समय से पहले इस बारे में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन इस मामले में पार्टी की विस्तृत प्रतिक्रिया अब्बासी ने दी। उन्होंने कहा- हमने जो संविधान पढ़ा है, उसमें लिखा है कि सेनाध्यक्ष की नियुक्ति तीन साल के लिए की जाती है। सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में पहले कभी बहस नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बाद में बने कानून के तहत सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस बारे में अपनी राय जताने का अधिकार प्रधानमंत्री को नहीं है।
जनरल बाजवा का कार्यकाल पहले एक बार बढ़ाया जा चुका है। वे नवंबर 2019 में रिटायर्ड होने वाले थे। लेकिन रिटायरमेंट की तारीख से तीन महीना पहले ही उनका कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया गया था। तब कार्यकाल विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जनरल बाजवा सिर्फ छह महीने और अपने पद पर रह पाएंगे। लेकिन जनवरी 2020 में कानून पारित करवा कर जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक विपक्ष को आशंका है कि जनरल बाजवा के सेनाध्यक्ष बने रहने से इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) पार्टी के लिए अनुकूल स्थितियां रहेंगी। पाकिस्तान में आम चुनाव अगले साल होना है।
विस्तार
पाकिस्तान में सेनाध्यक्ष के कार्यकाल को लेकर सियासी विवाद खड़ा होने के संकेत हैं। विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने आरोप लगाया है कि इसको लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान बेवजह मसला खड़ा कर रहे हैं। मुद्दा मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को फिर बढ़ाने से जुड़ा है। बाजवा का न सिर्फ सेना, बल्कि पाकिस्तान में सत्ता तंत्र के दूसरे हिस्सों पर भी गहरा प्रभाव समझा जाता है।
प्रधानमंत्री ने दिया संकेत
ताजा विवाद प्रधानमंत्री खान के एक इंटरव्यू के बाद उठा है। टीवी चैनल दुनिया टीवी को दिए इंटरब्यू में खान ने एक सवाल पर कहा- ‘अभी नया साल शुरू ही हुआ है। नवंबर अभी दूर है। इसलिए अभी सेनाध्यक्ष के कार्यकाल में विस्तार को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।’ उनके इस बयान को इस बात का संकेत समझा गया है कि जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस संभावना से विपक्ष नाराज हो गया है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक जनरल बाजवा के प्रधानमंत्री से बेहतर रिश्ते हैं। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री तय करने में सेना की अहम भूमिका होती है।
प्रधानमंत्री का इंटरव्यू बीते छह जनवरी को प्रसारित हुआ था। उस पर पीएमएल-एन की प्रतिक्रिया रविवार को आई। पर्यवेक्षकों के मुताबिक पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियां सेना के बारे में आम तौर पर बहुत संभल कर बोलती हैं। इसलिए विपक्ष की प्रतिक्रिया में देर अस्वाभाविक नहीं है। पीएमएल-एन के नेता शाहिद खान अब्बासी ने सोमवार को कहा कि इमरान खान इस मामले में गैर जरूरी विवाद खड़ा कर रहे हैं। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक सराकर को सिर्फ सेनाध्यक्ष की नियुक्ति का अधिकार है, सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने का नहीं।
अगले साल पाकिस्तान में होना है आम चुनाव
इसके पहले रविवार को पीएमएल के महासचिव अहसान इकबाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री खान को समय से पहले इस बारे में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन इस मामले में पार्टी की विस्तृत प्रतिक्रिया अब्बासी ने दी। उन्होंने कहा- हमने जो संविधान पढ़ा है, उसमें लिखा है कि सेनाध्यक्ष की नियुक्ति तीन साल के लिए की जाती है। सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में पहले कभी बहस नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बाद में बने कानून के तहत सेनाध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस बारे में अपनी राय जताने का अधिकार प्रधानमंत्री को नहीं है।
जनरल बाजवा का कार्यकाल पहले एक बार बढ़ाया जा चुका है। वे नवंबर 2019 में रिटायर्ड होने वाले थे। लेकिन रिटायरमेंट की तारीख से तीन महीना पहले ही उनका कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया गया था। तब कार्यकाल विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जनरल बाजवा सिर्फ छह महीने और अपने पद पर रह पाएंगे। लेकिन जनवरी 2020 में कानून पारित करवा कर जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक विपक्ष को आशंका है कि जनरल बाजवा के सेनाध्यक्ष बने रहने से इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) पार्टी के लिए अनुकूल स्थितियां रहेंगी। पाकिस्तान में आम चुनाव अगले साल होना है।
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