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श्रीलंका : राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार तमिल नेताओं से मिले राजपक्षे, अल्पसंख्यकों की चिंता पर हुई बातचीत

एजेंसी, कोलंबो।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 26 Mar 2022 01:14 AM IST

सार

तमिल राजनीतिक समूह टीएनए चाहता है कि संविधान का 13वां संशोधन तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिहाज से ‘अर्थपूर्ण’ हो।

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श्रीलंका के प्रमुख तमिल राजनीतिक समूह के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के करीब दो साल बाद गोतबाया राजपक्षे ने पहली बार शुक्रवार को टीएनए के नेताओं से मुलाकात की। राजपक्षे के नवंबर, 2019 में पदभार संभालने के बाद उनके और तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के बीच नवंबर, 2019 से ही मुलाकात संभव नहीं हो पा रही है।

 राष्ट्रपति से मिलने और द्वीपीय देश के उत्तरी तथा पूर्वी हिस्सों में तमिल लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लक्ष्य से टीएनए के सांसदों के एक समूहों ने पिछले महीने राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया था।

नवंबर, 2019 में राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने के बाद टीएनए ने कई बार उनसे मिलने का वक्त मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। कम से कम दो अवसरों पर अंतिम समय में बिना कारण बताए मुलाकात रद्द कर दी गई, और तमिल नेताओं को मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ा।

टीएनए चाहता है कि संविधान का 13वां संशोधन तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिहाज से ‘अर्थपूर्ण’ हो। बता दें, 1987 में तत्कालीन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धन और भारतीय पीएम राजीव गांधी के बीच दोनों देशों में संधि के चलते संविधान में 13वां संशोधन हुआ था जिसमें तमिलों को कुछ अधिकार दिए गए थे।

विस्तार

श्रीलंका के प्रमुख तमिल राजनीतिक समूह के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के करीब दो साल बाद गोतबाया राजपक्षे ने पहली बार शुक्रवार को टीएनए के नेताओं से मुलाकात की। राजपक्षे के नवंबर, 2019 में पदभार संभालने के बाद उनके और तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के बीच नवंबर, 2019 से ही मुलाकात संभव नहीं हो पा रही है।

 राष्ट्रपति से मिलने और द्वीपीय देश के उत्तरी तथा पूर्वी हिस्सों में तमिल लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लक्ष्य से टीएनए के सांसदों के एक समूहों ने पिछले महीने राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया था।

नवंबर, 2019 में राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने के बाद टीएनए ने कई बार उनसे मिलने का वक्त मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। कम से कम दो अवसरों पर अंतिम समय में बिना कारण बताए मुलाकात रद्द कर दी गई, और तमिल नेताओं को मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ा।

टीएनए चाहता है कि संविधान का 13वां संशोधन तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिहाज से ‘अर्थपूर्ण’ हो। बता दें, 1987 में तत्कालीन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धन और भारतीय पीएम राजीव गांधी के बीच दोनों देशों में संधि के चलते संविधान में 13वां संशोधन हुआ था जिसमें तमिलों को कुछ अधिकार दिए गए थे।

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