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राष्ट्रमंडल खेल: पति की मृत्यु के बाद मां ने खेतों में मजदूरी की, पेड़ बेचे कर्ज लिया पर पोपी हजारिका को वेटलिफ्टिंग नहीं छोड़ने दी

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Sat, 12 Mar 2022 04:12 PM IST

सार

पोपी के मुताबिक पहली बार जब वह राज्य विजेता बनीं तो आगे बढने के लिए अतिरिक्त खुराक और फूड सप्लीमेंट की जरूरत हुई। तब मां ने  कर्ज लेकर  उन्हें सप्लीमेंट दिलाया। उन्होंने खेल छोड़ने का भी सोचा, लेकिन मां ने ऐसा नहीं होने दिया।

पोपी हजारिका
– फोटो : सोशल मीडिया

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विस्तार

पोपी हजारिका की मां को अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा है कि उनकी वेटलिफ्टर बेटी बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में खेलने जा रही है। यह वही बेटी है जिसके लिए उन्होंने खेतों में मजदूरी कर धान काटा, पेड़ बेचे उसे अच्छी खुराक देने के लिए कर्ज लिया लेकिन पोपी के लाख कहने के बावजूद उसे वेटलिफ्टिंग नहीं छोडने दी। पोपी पांच साल की थीं जब उनके ड्राइवर पिता की करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। असम के शिबसागर की रहने वाली पोपी खुश हैं कि वह मां के त्याग को सफल करते हुए पहली बार इतने बड़े खेलों का हिस्सा बनने जा रही हैं।

तीन बहनों की शादी की चौथी बनीं लिफ्टर

28 जुलाई से होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 59 किलो में खेलने जा रही 22 साल की पोपी खुलासा करती  हैं कि पिता मोटर लगाकर गाड़ी धो रहे थे। अचानक उसमें करंट आया और उनकी वहीं मत्यु हो गई। मां पर उनका और तीन बड़ी  बहनों का बोझ आ पड़ा।  मां ने मेहनत कर तीनों की शादी कर दी। वह स्कूल में एथलेटिक करती थीं। इस दौरान उनके शहर में वेटलिफ्टिंग सेंटर खुला जिसमें उनकी दोस्त जाती थी। उसे देख उन्होंने यह खेल अपनाया। तब वह कक्षा 10 में थीं। यहीं दुलाजीत बरुआ ने उनकी खुराक और अन्य चीजों में काफी मदद की।

खेल छोड़ने का बना लिया था मन

पोपी के मुताबिक पहली बार जब वह राज्य विजेता बनीं तो आगे बढने के लिए अतिरिक्त खुराक और फूड सप्लीमेंट की जरूरत हुई। तब मां ने  कर्ज लेकर  उन्हें सप्लीमेंट दिलाया। उन्होंने खेल छोड़ने का भी सोचा, लेकिन मां ने ऐसा नहीं होने दिया।

हाल ही में मिली रेलवे की नौकरी

पोपी ने पिछले साल राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 59 किलो में 202 किलो वजन उठा स्वर्ण जीता। हाल ही में ताशकंद में हुई राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप स्त्रमें पोपी ने रजत जीत बर्मिंघम का टिकट लिया। उनकी कुछ माह पहले रेलवे में नौकरी लगी है। पोपी कहती हैं कि वह देश के लिए खेल  और रेलवे की नौकरी से मां को त्याग का फल देना चाहती हैं। मीराबाई चानू को आदर्श मानने वाली पोपी आज उन्हीं के साथ ट्रेनिंग करती हैं। बीते माह उन्होंने सिंगापुर इंटरनेशनल में 64 किलो में स्वर्ण जीता।

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