वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 04 Feb 2022 03:46 PM IST
सार
बैंक के करेंसी मैनेजमेंट विभाग के कार्यकारी निदेशक रेवती प्रसाद नेपाल ने इस बारे में कोई समयसीमा बताने से इनकार किया। उन्होंने कहा- ‘हम पहले टास्क फोर्स की रिपोर्ट को देखेंगे। हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। हम भारत का इस बारे में कैसा अनुभव रहता है, उस पर भी ध्यान देंगे। उसके बाद हम कोई फैसला लेंगे।’
भारत के अगले वित्त वर्ष में अपनी डिजिटल मुद्रा शुरू करने के एलान के बाद नेपाल ने भी इस दिशा में पहल को तेज करने का संकेत दिया है। नेपाल के सेंट्रल बैंक- नेपाल राष्ट्र बैंक ने इसी वित्त वर्ष (2021-22) की शुरुआत में डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की संभावना के बारे में अध्ययन करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई थी। नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब नेपाल राष्ट्र बैंक ने टास्क फोर्स से अपना काम तेज करने को कहा है।
बैंक के करेंसी मैनेजमेंट विभाग के कार्यकारी निदेशक रेवती प्रसाद नेपाल ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘एक बैंक निदेशक की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स इस बारे में कॉन्सेप्ट नोट तैयार कर रही है। हम दो हफ्तों के अंदर टास्क फोर्स की रिपोर्ट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।’ नेपाल के वित्तीय क्षेत्र में ये राय बनी है कि उसके दोनों बड़े पड़ोसी देशों (भारत और चीन) में डिजिटल करेंसी का प्रचलन होने के बाद नेपाल के लिए भी ऐसी मुद्रा जरूरी हो जाएगी। चीन पहले ही अपनी ऐसी मुद्रा की शुरुआत कर चुका है।
भारत के अनुभव से सीखेंगे
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अपनी डिजिटल मुद्रा सचमुच लॉन्च करने के लिए अभी नेपाल को लंबी यात्रा तय करनी होगी। रेवती प्रसाद नेपाल ने इस बारे में कोई समयसीमा बताने से इनकार किया। उन्होंने कहा- ‘हम पहले टास्क फोर्स की रिपोर्ट को देखेंगे। हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। हम भारत का इस बारे में कैसा अनुभव रहता है, उस पर भी ध्यान देंगे। उसके बाद हम कोई फैसला लेंगे।’ लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई की दो से तीन साल के अंदर नेपाल अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च कर देगा।
दुनिया के दूसरे देशों की तरह नेपाल में भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसियां कई साल से प्रचलित हैं। लेकिन इन मुद्राओं की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। जबकि डिजिटल करेंसी देश का केंद्रीय बैंक जारी करेगा। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि यह कोई अलग मुद्रा नहीं होगी। बल्कि वर्तमान मुद्रा का ही यह एक डिजिटल रूप होगा।
चीन से पिछडे अमेरिका और दूसरे देश
साल 2021 में दुनिया भर में डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने की कोशिशें तेज हो गईं। विभिन्न देशों के सेंट्रल बैंकों के बीच बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट की तरफ से कराए गए एक सर्वे से सामने आया है कि 86 फीसदी देशों में इस बारे में अध्ययन शुरू हो गया है। 60 फीसदी देशों में संबंधित टेक्नोलॉजी के परीक्षण किए जा रहे हैं, जबकि 14 फीसदी देशों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए हैं। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक इस होड़ में चीन ने बाजी मार ली है। अपने कई शहरों डिजिटल युवान (चीन की मुद्रा) का इस्तेमाल वह शुरू कर चुका है। जल्द ही वह राष्ट्रीय स्तर पर इसकी शुरुआत करने वाला है। इस मामले में अमेरिका और यूरोपीय देश फिलहाल पिछड़ गए नजर आ रहे हैं।
नेपाल के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में भी डिजिटल पेमेंट में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021-22 में 15 दिसंबर तक नेपाली नागरिकों ने साढ़े 88 अरब रुपये का लेनदेन डिजिटल माध्यमों से किया था। जबकि साल भर पहले इसी अवधि में सिर्फ सवा 30 अरब रुपये का भुगतान इस रूप में किया गया था।
विस्तार
भारत के अगले वित्त वर्ष में अपनी डिजिटल मुद्रा शुरू करने के एलान के बाद नेपाल ने भी इस दिशा में पहल को तेज करने का संकेत दिया है। नेपाल के सेंट्रल बैंक- नेपाल राष्ट्र बैंक ने इसी वित्त वर्ष (2021-22) की शुरुआत में डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की संभावना के बारे में अध्ययन करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई थी। नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब नेपाल राष्ट्र बैंक ने टास्क फोर्स से अपना काम तेज करने को कहा है।
बैंक के करेंसी मैनेजमेंट विभाग के कार्यकारी निदेशक रेवती प्रसाद नेपाल ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘एक बैंक निदेशक की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स इस बारे में कॉन्सेप्ट नोट तैयार कर रही है। हम दो हफ्तों के अंदर टास्क फोर्स की रिपोर्ट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।’ नेपाल के वित्तीय क्षेत्र में ये राय बनी है कि उसके दोनों बड़े पड़ोसी देशों (भारत और चीन) में डिजिटल करेंसी का प्रचलन होने के बाद नेपाल के लिए भी ऐसी मुद्रा जरूरी हो जाएगी। चीन पहले ही अपनी ऐसी मुद्रा की शुरुआत कर चुका है।
भारत के अनुभव से सीखेंगे
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अपनी डिजिटल मुद्रा सचमुच लॉन्च करने के लिए अभी नेपाल को लंबी यात्रा तय करनी होगी। रेवती प्रसाद नेपाल ने इस बारे में कोई समयसीमा बताने से इनकार किया। उन्होंने कहा- ‘हम पहले टास्क फोर्स की रिपोर्ट को देखेंगे। हम किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। हम भारत का इस बारे में कैसा अनुभव रहता है, उस पर भी ध्यान देंगे। उसके बाद हम कोई फैसला लेंगे।’ लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई की दो से तीन साल के अंदर नेपाल अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च कर देगा।
दुनिया के दूसरे देशों की तरह नेपाल में भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसियां कई साल से प्रचलित हैं। लेकिन इन मुद्राओं की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। जबकि डिजिटल करेंसी देश का केंद्रीय बैंक जारी करेगा। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि यह कोई अलग मुद्रा नहीं होगी। बल्कि वर्तमान मुद्रा का ही यह एक डिजिटल रूप होगा।
चीन से पिछडे अमेरिका और दूसरे देश
साल 2021 में दुनिया भर में डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने की कोशिशें तेज हो गईं। विभिन्न देशों के सेंट्रल बैंकों के बीच बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट की तरफ से कराए गए एक सर्वे से सामने आया है कि 86 फीसदी देशों में इस बारे में अध्ययन शुरू हो गया है। 60 फीसदी देशों में संबंधित टेक्नोलॉजी के परीक्षण किए जा रहे हैं, जबकि 14 फीसदी देशों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए हैं। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक इस होड़ में चीन ने बाजी मार ली है। अपने कई शहरों डिजिटल युवान (चीन की मुद्रा) का इस्तेमाल वह शुरू कर चुका है। जल्द ही वह राष्ट्रीय स्तर पर इसकी शुरुआत करने वाला है। इस मामले में अमेरिका और यूरोपीय देश फिलहाल पिछड़ गए नजर आ रहे हैं।
नेपाल के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में भी डिजिटल पेमेंट में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021-22 में 15 दिसंबर तक नेपाली नागरिकों ने साढ़े 88 अरब रुपये का लेनदेन डिजिटल माध्यमों से किया था। जबकि साल भर पहले इसी अवधि में सिर्फ सवा 30 अरब रुपये का भुगतान इस रूप में किया गया था।
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