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ओमिक्रॉन का असर: मांग घटने से सेवा क्षेत्र की रफ्तार छह माह में सबसे सुस्त

ओमिक्रॉन का असर: मांग घटने से सेवा क्षेत्र की रफ्तार छह माह में सबसे सुस्त

एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 04 Feb 2022 05:25 AM IST

सार

महामारी के बढ़ने और प्रतिबंधों को फिर से लगाए जाने से सेवा क्षेत्र के विकास पर नकारात्मक असर पड़ा। नए कारोबार और उत्पादन की वृद्धि दर छह महीने में सबसे कम कमजोर रही। 

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कोरोना महामारी को लेकर बढ़ती चिंता का असर देश की सेवा क्षेत्र की गतिविधियों पर दिखने लगा है। मांग में कमी से सेवा क्षेत्र की गतिविधियों की रफ्तार जनवरी में छह महीने में सबसे सुस्त रही।

नए कारोबार और उत्पादन दोनों ही मोर्चे पर धीमी प्रगति की वजह से आईएचएस मार्किट इंडिया की ओर से जारी सर्विस बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक जनवरी में मासिक आधार पर घटकर 51.5 रह गया, जो दिसंबर में 55.5 रहा था। यह पिछले छह महीने में विस्तार की सबसे धीमी दर है। 

हालांकि, यह लगातार छठा महीना है जब सेवा क्षेत्र में उत्पादन बढ़ा है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का 50 से ज्यादा रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में पाबंदियां लगाए जाने से मांग में कमी आई है। महामारी के बढ़ने और प्रतिबंधों को फिर से लगाए जाने से सेवा क्षेत्र के विकास पर नकारात्मक असर पड़ा। नए कारोबार और उत्पादन की वृद्धि दर छह महीने में सबसे कम कमजोर रही। 

लागत एक दशक में सबसे ज्यादा, रोजगार भी घटा
लीमा ने कहा कि कीमतों को मोर्चे पर जनवरी के आंकड़ों ने सेवा प्रदाताओं के बीच खर्च में मजबूत वृद्धि की ओर इशारा किया है। महंगाई की वजह से कंपनियों की लागत दिसंबर, 2011 के बाद एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं, निजी क्षेत्र के रोजगार में लगातार दूसरे महीने में गिरावट रही। मामूली होने के बावजूद दिसंबर के मुकाबले जनवरी में नौकरी जाने की दर ज्यादा रही। 

  • कंपनियों के बीच इस बात को लेकर चिंता बढ़ी है कि महामारी के कारण फिर से प्रतिबंध लगाए जाने और महंगाई के दबाव से विकास को नुकसान होगा। कोरोना की मौजूदा लहर कितने समय तक रहेगी, इस चिंता से व्यापार में भरोसा कम होगा। नौकरियों में भी कमी आएगी। 
  • इस बीच, समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक जनवरी, 2022 में 53.0 रहा। यह पिछले छह महीने की अवधि में सबसे धीमी रफ्तार है। दिसंबर में यह आंकड़ा 56.4 था। 

आरबीआई की बैठक पर नजर
लगातार बढ़ रहे महंगाई के बीच अगले सप्ताह आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होनी है। नीतिगत दरों को लेकर 9 फरवरी, 2022 को घोषणा होनी है। इसमें पता चलेगा कि महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है या नहीं। उधर, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में कहा है कि सरकार अपनी खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2022-23 में बाजार से करीब 11.6 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी।

विस्तार

कोरोना महामारी को लेकर बढ़ती चिंता का असर देश की सेवा क्षेत्र की गतिविधियों पर दिखने लगा है। मांग में कमी से सेवा क्षेत्र की गतिविधियों की रफ्तार जनवरी में छह महीने में सबसे सुस्त रही।

नए कारोबार और उत्पादन दोनों ही मोर्चे पर धीमी प्रगति की वजह से आईएचएस मार्किट इंडिया की ओर से जारी सर्विस बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक जनवरी में मासिक आधार पर घटकर 51.5 रह गया, जो दिसंबर में 55.5 रहा था। यह पिछले छह महीने में विस्तार की सबसे धीमी दर है। 

हालांकि, यह लगातार छठा महीना है जब सेवा क्षेत्र में उत्पादन बढ़ा है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का 50 से ज्यादा रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में पाबंदियां लगाए जाने से मांग में कमी आई है। महामारी के बढ़ने और प्रतिबंधों को फिर से लगाए जाने से सेवा क्षेत्र के विकास पर नकारात्मक असर पड़ा। नए कारोबार और उत्पादन की वृद्धि दर छह महीने में सबसे कम कमजोर रही। 

लागत एक दशक में सबसे ज्यादा, रोजगार भी घटा

लीमा ने कहा कि कीमतों को मोर्चे पर जनवरी के आंकड़ों ने सेवा प्रदाताओं के बीच खर्च में मजबूत वृद्धि की ओर इशारा किया है। महंगाई की वजह से कंपनियों की लागत दिसंबर, 2011 के बाद एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं, निजी क्षेत्र के रोजगार में लगातार दूसरे महीने में गिरावट रही। मामूली होने के बावजूद दिसंबर के मुकाबले जनवरी में नौकरी जाने की दर ज्यादा रही। 

  • कंपनियों के बीच इस बात को लेकर चिंता बढ़ी है कि महामारी के कारण फिर से प्रतिबंध लगाए जाने और महंगाई के दबाव से विकास को नुकसान होगा। कोरोना की मौजूदा लहर कितने समय तक रहेगी, इस चिंता से व्यापार में भरोसा कम होगा। नौकरियों में भी कमी आएगी। 
  • इस बीच, समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक जनवरी, 2022 में 53.0 रहा। यह पिछले छह महीने की अवधि में सबसे धीमी रफ्तार है। दिसंबर में यह आंकड़ा 56.4 था। 

आरबीआई की बैठक पर नजर

लगातार बढ़ रहे महंगाई के बीच अगले सप्ताह आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होनी है। नीतिगत दरों को लेकर 9 फरवरी, 2022 को घोषणा होनी है। इसमें पता चलेगा कि महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है या नहीं। उधर, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में कहा है कि सरकार अपनी खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2022-23 में बाजार से करीब 11.6 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी।

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