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नेपाल में कयास तेज: क्या अब चुनाव तक कायम रह पाएगा सत्ताधारी गठबंधन?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 04 Feb 2022 11:57 AM IST

सार

नेपाली कांग्रेस में देउबा विरोधी धड़ा पहले से ही इस राय का है कि पार्टी को संसदीय चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। इस धड़े के नेता शेखर कोइराला हैं। उन्होंने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मैं किसी गठबंधन सहयोगी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के खिलाफ हूं। स्थानीय चुनावों में तो ऐसा करना असंभव है।’

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पाल में सत्ताधारी गठबंधन के भविष्य पर कयास तेज हो गए हैं। सबसे अधिक चर्चित प्रश्न यह है कि क्या पांच दलों का यह गठबंधन अब एकजुट रहते हुए अगले चुनाव में उतरेगा? स्थानीय चुनावों को अगले 18 मई को कराने पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के राजी हो जाने के बाद अब सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों के रुख को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट) स्थानीय चुनावों को संसदीय चुनाव के बाद कराने पर जोर डाले हुई थीं।

देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट के अलावा जनता समाजवादी दल और राष्ट्रीय जनमोर्चा भी शामिल हैं। अब नेपाली मीडिया और राजनीतिक पर्यवेक्षक यह अनुमान लगा रहे हैं कि क्या पांचों दल आपसी तालमेल के साथ स्थानीय चुनाव लड़ेंगे? ज्यादातर पर्यवेक्षकों की राय है कि अब इस सवाल का जवाब इस बात से मिलेगा कि अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की मदद लेने के बारे में प्रधानमंत्री देउबा क्या रुख अपनाते हैं।

एमसीसी की मदद पर बवाल

दहल और नेपाल की पार्टियां इस मदद का विरोध कर रही हैं। इसके बावजूद अगर प्रधानमंत्री देउबा ने एमसीसी की मदद की स्वीकार की, तो माना जा रहा है कि उसके सत्ताधारी गठबंधन का एकजुट बने रहना कठिन हो जाएगा। दो अहम मुद्दों पर अपनी अनदेखी के बाद दहल और नेपाल के लिए यह मुमकिन नहीं रह जाएगा कि अपनी पार्टियों को नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन में बनाए रखें।

उधर कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि प्रधानमंत्री देउबा भी गठबंधन के एकजुट चुनाव लड़ने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि गठबंधन किसी तरह अगले संसदीय चुनाव तक बना रहे। जबकि जानकारों का मानना है कि एमसीसी की सहायता के सवाल गठबंधन में संसदीय चुनाव से पहले ही फूट पड़ जाने की वास्तविक संभावना है। खासकर अगर देउबा ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) की मदद से इस मुद्दे पर संसद में अनुमोदन प्रस्ताव पारित कराया, तो गठबंधन के कायम रहने की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी।

अकेले चुनाव लड़ सकती है नेपाली कांग्रेस

नेपाली कांग्रेस में देउबा विरोधी धड़ा पहले से ही इस राय का है कि पार्टी को संसदीय चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। इस धड़े के नेता शेखर कोइराला हैं। उन्होंने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मैं किसी गठबंधन सहयोगी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के खिलाफ हूं। स्थानीय चुनावों में तो ऐसा करना असंभव है।’ बताया जाता है कि पार्टी महासचिव गगन थापा भी यही चाहते हैं कि नेपाली कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक असल में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टियों को गठबंधन की जरूरत ज्यादा है। उनका जनाधार कमजोर है। जबकि नेपाली कांग्रेस के पास एक ठोस समर्थन आधार है। लेकिन नेपाली कांग्रेस के देउबा खेमे का आकलन है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में यूएमएल अभी भी सबसे मजबूत पार्टी है। इसलिए अगर सत्ताधारी गठबंधन की पार्टियां अलग-अलग लड़ीं, तो यूएमएल की जीत की संभावना बेहतर हो जाएगी।

विस्तार

पाल में सत्ताधारी गठबंधन के भविष्य पर कयास तेज हो गए हैं। सबसे अधिक चर्चित प्रश्न यह है कि क्या पांच दलों का यह गठबंधन अब एकजुट रहते हुए अगले चुनाव में उतरेगा? स्थानीय चुनावों को अगले 18 मई को कराने पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के राजी हो जाने के बाद अब सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों के रुख को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट) स्थानीय चुनावों को संसदीय चुनाव के बाद कराने पर जोर डाले हुई थीं।

देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट के अलावा जनता समाजवादी दल और राष्ट्रीय जनमोर्चा भी शामिल हैं। अब नेपाली मीडिया और राजनीतिक पर्यवेक्षक यह अनुमान लगा रहे हैं कि क्या पांचों दल आपसी तालमेल के साथ स्थानीय चुनाव लड़ेंगे? ज्यादातर पर्यवेक्षकों की राय है कि अब इस सवाल का जवाब इस बात से मिलेगा कि अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की मदद लेने के बारे में प्रधानमंत्री देउबा क्या रुख अपनाते हैं।

एमसीसी की मदद पर बवाल

दहल और नेपाल की पार्टियां इस मदद का विरोध कर रही हैं। इसके बावजूद अगर प्रधानमंत्री देउबा ने एमसीसी की मदद की स्वीकार की, तो माना जा रहा है कि उसके सत्ताधारी गठबंधन का एकजुट बने रहना कठिन हो जाएगा। दो अहम मुद्दों पर अपनी अनदेखी के बाद दहल और नेपाल के लिए यह मुमकिन नहीं रह जाएगा कि अपनी पार्टियों को नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन में बनाए रखें।

उधर कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि प्रधानमंत्री देउबा भी गठबंधन के एकजुट चुनाव लड़ने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि गठबंधन किसी तरह अगले संसदीय चुनाव तक बना रहे। जबकि जानकारों का मानना है कि एमसीसी की सहायता के सवाल गठबंधन में संसदीय चुनाव से पहले ही फूट पड़ जाने की वास्तविक संभावना है। खासकर अगर देउबा ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) की मदद से इस मुद्दे पर संसद में अनुमोदन प्रस्ताव पारित कराया, तो गठबंधन के कायम रहने की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी।

अकेले चुनाव लड़ सकती है नेपाली कांग्रेस

नेपाली कांग्रेस में देउबा विरोधी धड़ा पहले से ही इस राय का है कि पार्टी को संसदीय चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। इस धड़े के नेता शेखर कोइराला हैं। उन्होंने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मैं किसी गठबंधन सहयोगी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के खिलाफ हूं। स्थानीय चुनावों में तो ऐसा करना असंभव है।’ बताया जाता है कि पार्टी महासचिव गगन थापा भी यही चाहते हैं कि नेपाली कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक असल में माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टियों को गठबंधन की जरूरत ज्यादा है। उनका जनाधार कमजोर है। जबकि नेपाली कांग्रेस के पास एक ठोस समर्थन आधार है। लेकिन नेपाली कांग्रेस के देउबा खेमे का आकलन है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में यूएमएल अभी भी सबसे मजबूत पार्टी है। इसलिए अगर सत्ताधारी गठबंधन की पार्टियां अलग-अलग लड़ीं, तो यूएमएल की जीत की संभावना बेहतर हो जाएगी।

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