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बेहाल पाकिस्तान: संभल नहीं रहे हालात, इमरान को फिर आईएमएफ के आगे फैलाना होगा हाथ

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 20 Jan 2022 05:30 PM IST

सार

जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान आईएमएफ से और कर्ज लेने से तभी बच सकता है कि अगर संघीय और प्रांतीय सरकारें अगले 18 महीनों में भुगतान के लिए जरूरी 45 से 50 बिलियन डॉलर की रकम जुटाने के वैकल्पिक विदेशी स्रोत ढूंढने में सफल हों…

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पाकिस्तान सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आगे फिर हाथ फैलाने की सूरत आने वाली है। इसकी वजह ये अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में पाकिस्तान सरकार को 30 अरब डॉलर तक के खर्च का प्रावधान करना होगा। इतना पैसा सरकार के पास नहीं है। आईएमएफ से अभी जो कर्ज मंजूर हुआ है, उसकी अवधि सितंबर 2022 में पूरी हो जाएगी।

पाकिस्तान के अखबार द न्यूज की एक एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक पाकिस्तान में बन रही इस गंभीर हालत की पुष्टि उससे बातचीत में सरकारी सूत्रों ने की है। उन सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ की विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) से पाकिस्तान को छह बिलियन डॉलर और मिल सकते हैं। लेकिन इसकी शर्त यह है कि आईएमएफ की तरफ से होने वाली अगली तीन समीक्षाओं में पाकिस्तान का रिकॉर्ड खरा उतरे।

नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का उल्लंघन

उधर, आलोचकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान फिर से आईएमएफ से कर्ज मांगने जाता है, तो यह नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का उल्लंघन होगा। इसी महीने पाकिस्तान सरकार ने इस नीति को मंजूरी दी है। इस नीति में यह सिफारिश की गई है कि पाकिस्तान सरकार को आईएमएफ और दूसरी बहुपक्षीय एजेंसियों से कर्ज लेने से बचना चाहिए।

मगर पाकिस्तान सरकार के पास फिलहाल इस सिफारिश पर अमल करने की कोई योजना नहीं है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान आईएमएफ से और कर्ज लेने से तभी बच सकता है कि अगर संघीय और प्रांतीय सरकारें अगले 18 महीनों में भुगतान के लिए जरूरी 45 से 50 बिलियन डॉलर की रकम जुटाने के वैकल्पिक विदेशी स्रोत ढूंढने में सफल हों। ये मुमकिन नहीं दिखता है।

आईएमएफ के आकलन के मुताबिक पाकिस्तान सरकार को भुगतान के लिए अगले वित्त वर्ष में 28 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा की जरूरत होगी। अगले वित्त वर्ष में पाकिस्तान को विदेशी कर्ज चुकाने पर लगभग 13.5 बिलियन डॉलर खर्च करने होंगे। वैसी स्थिति में सरकार के चालू खाते का घाटा 14 बिलियन डॉलर तक बना रह सकता है, जिसके इस वित्त वर्ष यानी 2021-22 में 16 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है।  

खाली हो जाएगा विदेशी मुद्रा भंडार

द न्यूज के मुताबिक पकिस्तान में वित्तीय प्रबंधन से लंबे समय से जुड़े रहे एक अधिकारी ने उससे कहा कि मौजूदा हालत में देश को आर्थिक विकास की बात कुछ वर्षों के लिए भूल जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी सबसे बड़ी चुनौती भुगतन संतुलन को संभालना है। अगर इसमें देश नाकाम रहा, तो वह बहुत बड़े संकट में फंस जाएगा और देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाएगा।

पाकिस्तान सरकार की इकोनॉमिक रिफॉर्म यूनिट के महानिदेशक खकन नजीब ने भी यह स्वीकार किया है कि पाकिस्तान की भुगतान संतुलन की स्थिति कमजोर है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह महंगे आयात का बढ़ना है, जिससे देश का व्यापार घाटा बढ़ गया है। उसी का परिणाम है कि पाकिस्तान के चालू खाते का घाटा संभाल सकने की सीमा से ऊपर जाता दिख रहा है।

इस बीच कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में चढ़ रहे भाव ने पाकिस्तान की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। ये महंगाई जारी रही, तो पाकिस्तान को और अधिक विदेशी मुद्रा पेट्रोलियम की खरीदारी पर खर्च करनी होगी।

विस्तार

पाकिस्तान सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आगे फिर हाथ फैलाने की सूरत आने वाली है। इसकी वजह ये अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में पाकिस्तान सरकार को 30 अरब डॉलर तक के खर्च का प्रावधान करना होगा। इतना पैसा सरकार के पास नहीं है। आईएमएफ से अभी जो कर्ज मंजूर हुआ है, उसकी अवधि सितंबर 2022 में पूरी हो जाएगी।

पाकिस्तान के अखबार द न्यूज की एक एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक पाकिस्तान में बन रही इस गंभीर हालत की पुष्टि उससे बातचीत में सरकारी सूत्रों ने की है। उन सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ की विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) से पाकिस्तान को छह बिलियन डॉलर और मिल सकते हैं। लेकिन इसकी शर्त यह है कि आईएमएफ की तरफ से होने वाली अगली तीन समीक्षाओं में पाकिस्तान का रिकॉर्ड खरा उतरे।

नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का उल्लंघन

उधर, आलोचकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान फिर से आईएमएफ से कर्ज मांगने जाता है, तो यह नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का उल्लंघन होगा। इसी महीने पाकिस्तान सरकार ने इस नीति को मंजूरी दी है। इस नीति में यह सिफारिश की गई है कि पाकिस्तान सरकार को आईएमएफ और दूसरी बहुपक्षीय एजेंसियों से कर्ज लेने से बचना चाहिए।

मगर पाकिस्तान सरकार के पास फिलहाल इस सिफारिश पर अमल करने की कोई योजना नहीं है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान आईएमएफ से और कर्ज लेने से तभी बच सकता है कि अगर संघीय और प्रांतीय सरकारें अगले 18 महीनों में भुगतान के लिए जरूरी 45 से 50 बिलियन डॉलर की रकम जुटाने के वैकल्पिक विदेशी स्रोत ढूंढने में सफल हों। ये मुमकिन नहीं दिखता है।

आईएमएफ के आकलन के मुताबिक पाकिस्तान सरकार को भुगतान के लिए अगले वित्त वर्ष में 28 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा की जरूरत होगी। अगले वित्त वर्ष में पाकिस्तान को विदेशी कर्ज चुकाने पर लगभग 13.5 बिलियन डॉलर खर्च करने होंगे। वैसी स्थिति में सरकार के चालू खाते का घाटा 14 बिलियन डॉलर तक बना रह सकता है, जिसके इस वित्त वर्ष यानी 2021-22 में 16 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है।  

खाली हो जाएगा विदेशी मुद्रा भंडार

द न्यूज के मुताबिक पकिस्तान में वित्तीय प्रबंधन से लंबे समय से जुड़े रहे एक अधिकारी ने उससे कहा कि मौजूदा हालत में देश को आर्थिक विकास की बात कुछ वर्षों के लिए भूल जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी सबसे बड़ी चुनौती भुगतन संतुलन को संभालना है। अगर इसमें देश नाकाम रहा, तो वह बहुत बड़े संकट में फंस जाएगा और देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाएगा।

पाकिस्तान सरकार की इकोनॉमिक रिफॉर्म यूनिट के महानिदेशक खकन नजीब ने भी यह स्वीकार किया है कि पाकिस्तान की भुगतान संतुलन की स्थिति कमजोर है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह महंगे आयात का बढ़ना है, जिससे देश का व्यापार घाटा बढ़ गया है। उसी का परिणाम है कि पाकिस्तान के चालू खाते का घाटा संभाल सकने की सीमा से ऊपर जाता दिख रहा है।

इस बीच कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में चढ़ रहे भाव ने पाकिस्तान की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। ये महंगाई जारी रही, तो पाकिस्तान को और अधिक विदेशी मुद्रा पेट्रोलियम की खरीदारी पर खर्च करनी होगी।

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