वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Fri, 08 Apr 2022 04:54 PM IST
पाकिस्तान का सियासी संकट जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान, संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के संसद भंग करने और अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के फैसले को गलत ठहराया है। संसद बहाल करते हुए कोर्ट ने नौ अप्रैल को इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने को कहा है।
पाकिस्तान की सियासत के लिए नौ अप्रैल का दिन बहुत अहम होने वाला है। ये भी तय है कि इमरान खान सदन का विश्वास खो चुके हैं। मौजूदा स्थिति में इमरान के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में जीतना नामुमकिन दिख रहा है। विपक्ष की सरकार बनती है तो शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इमरान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। संसद भंग करवाने और अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवाने की साजिश में इमरान को कड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
कौन से नियम का हलावा देकर अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया गया?
तीन अप्रैल को इमरान सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। इसी दिन प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। चौधरी ने डिप्टी स्पीकर के सामने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। इसमें दो क्लॉज हैं। इसके अनुसार –
- ‘राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।’
- ‘संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर।’ इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को देश के खिलाफ विदेशी साजिश बताकर डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के फैसले को रद्द कर दिया। इमरान खान की ओर से चुनाव कराने की सिफारिश के फैसले को भी असंवैधानिक करार दिया गया। मतलब साफ है कि इमरान सरकार ने अनुच्छेद 5 (II) का उल्लंघन किया है। अब अगर सत्ता विपक्ष के हाथों में चली जाती है तो नई सरकार इमरान के खिलाफ इस कानून के उल्लंघन को लेकर केस चला सकती है।
अगर केस चला तो इमरान को क्या-क्या सजा मिल सकती है?
इमरान खान अगर पाकिस्तान संविधान के उल्लंघन के दोषी पाए जाते हैं तो उन पर इसी संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत कार्रवाई होगी। इसमें कहा गया है कि…
- “अगर कोई व्यक्ति संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन करे, उसे गलत तरीके से पेश करे या उसे जबरदस्ती और साजिशन रोकने की कोशिश करे, तो ऐसा व्यक्ति राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
- “कोई व्यक्ति पहले क्लॉज के तहत संविधान उल्लंघन में किसी की मदद करेगा, तो वह भी राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
- “मजलिस-ए-शूरा में संविधान उल्लंघन करने वाले राष्ट्रदोहियों को सजा मिलेगी। इनमें सजा-ए-मौत से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने का भी जिक्र किया गया है।”
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20 मार्च : इमरान के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली दो पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया।
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24 मार्च : सात सांसदों वाली एमक्यूएमपी, पांच सांसदों वाली पीएमएलक्यू, पांच सांसदों वाली बीएपी और एक सांसद वाली जेडब्ल्यूपी ने भी इमरान खान का साथ छोड़ दिया और वह अल्पमत में आ गए। इमरान की पार्टी के कई सासंदों के भी बागी होने की खबरें आने लगीं।
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25 मार्च : विपक्ष ने संसद में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। 31 मार्च को इसपर चर्चा होने की बात कही गई।
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30 मार्च : पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने पहुंचे।
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31 मार्च : पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तीन अप्रैल की तारीख घोषित कर दी गई।
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03 अप्रैल : पाकिस्तान संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने आर्टिकल-5 का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी।
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04 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई।
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05, 06 अप्रैल : कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई। दोनों पक्षों से कई मामलों में कोर्ट ने जवाब तलब किया।
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07 अप्रैल : कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के फैसले पर रोक लगा दी। विपक्ष के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संसद को बहाल किया गया। नौ अप्रैल को इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया।
विस्तार
पाकिस्तान की सियासत के लिए नौ अप्रैल का दिन बहुत अहम होने वाला है। ये भी तय है कि इमरान खान सदन का विश्वास खो चुके हैं। मौजूदा स्थिति में इमरान के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में जीतना नामुमकिन दिख रहा है। विपक्ष की सरकार बनती है तो शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इमरान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। संसद भंग करवाने और अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवाने की साजिश में इमरान को कड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
कौन से नियम का हलावा देकर अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया गया?
तीन अप्रैल को इमरान सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। इसी दिन प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। चौधरी ने डिप्टी स्पीकर के सामने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। इसमें दो क्लॉज हैं। इसके अनुसार –
- ‘राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।’
- ‘संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर।’ इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को देश के खिलाफ विदेशी साजिश बताकर डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया।