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पाकिस्तान: इमरान खान अगले सप्ताह चीन के दौरे पर, बीजिंग से पाक को क्या-क्या फायदा मिल रहा?

चीन, पाकिस्तान में अपने पांव पसारता जा रहा है।
– फोटो : Social Media

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अगले सप्ताह चीन के दौरे पर जाएंगे। उनकी यह यात्रा अगले सप्ताह तीन फरवरी को शुरू होने वाली है। इसी दौरान बीजिंग में विंटर ओलंपिक की भी शुरुआत होने वाली है। हालांकि बताया जा रहा है कि पाक पीएम का दौरा ओलंपिक से अलग है, लेकिन वे इसके उद्घाटन सत्र में भाग लेंगे।

चीन के साथ भविष्य की सहयोग परियोजनाओं पर चर्चा के लिए इमरान खान को बुधवार को जानकारी दी गई। प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि खान को ‘निवेश, व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी और निर्यात के क्षेत्र में ठोस योजनाओं पर सहयोग बढ़ाने के लिए’ चीनी अधिकारियों के साथ चल रही बातचीत के संदर्भ में अपडेट किया गया। दोनों देशों के नेताओं ने पिछले साल आदान-प्रदान के दौरान कृषि, डिजिटल अर्थव्यवस्था, लोगों की आजीविका में सहयोग बढ़ाने, स्वास्थ्य, उद्योग, व्यापार और हरित गलियारों के निर्माण पर जोर दिया था।

इमरान खान की यात्रा का मकसद क्या? 
बीते कुछ सालों में पाकिस्तान और चीन की दोस्ती प्रगाढ़ होती जा रही है। पाकिस्तान चीन के साथ खड़ा है। आज इन दोनों देशों के लिए ‘ऑल वेदर फ्रेंड्स’ और ‘आयरन ब्रदर्स’ जैसी मिसालें दी जाती हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने चीन के बनाए एक पोत को अपनी नेवी में शामिल किया है और कई पोतों के शामिल होने की योजना है। नेवी में पोत के शामिल होने के बाद यह इमरान खान की पहली चीन यात्रा है।

 2021 में, पाकिस्तान और चीन ने पाकिस्तान और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कई आभासी और भौतिक समारोह आयोजित किए। हालांकि माना जाता है कि चीन पाकिस्तान से दोस्ती के पीछे दोनों के अपने-अपने स्वार्थ हैं। चीन हमेशा से कोशिश करता रहा है कि वो भारत से सीधा ना टकराए और पाकिस्तान के जरिए भारत को दक्षिण एशिया में उलाझाए रखने में कामयाब हो जाए, दूसरी तरफ पाकिस्तान को आर्थिक विकास और खुद को सुरक्षित महसूस कराने के लिए चीन के सहायता की जरूरत है।

पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को संभाले रखने का श्रेय चीन को ही दिया जाता है। जानकार मानते हैं कि इस तरह इस दोस्ती से दोनों के स्वार्थ पूरे होते हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया का कहना है कि चीन की यात्रा करके इमरान खान चीन के प्रति अपनी दोस्ती को बार-बार दुनिया को दिखाना चाहते हैं।
पाकिस्तान को उम्मीद क्या? 
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन फरवरी से होने वाली इमरान खान की यात्रा का उद्देश्य चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं के कामों में तेजी लाना  और दोनों रणनीतिक भागीदारों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है। प्रधान मंत्री के विशेष सहायक खालिद मंसूर के एक बयान के मुताबिक पीएम की आगामी यात्रा से व्यापार में बाधाओं को दूर करने और विशेष रूप से नव विकसित विशेष आर्थिक क्षेत्रों में पाकिस्तान में निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 

सीपीईसी से पाकिस्तान को क्या फायदा मिल रहा
पाकिस्तान में चीन के राजदूत नोंग रोंग के एक बयान के अनुसार ‘पिछले वर्षों में, चीन ने सीपीईसी परियोजनाओं पर पाकिस्तान में 25 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिससे 75,000 नौकरियां पैदा हुईं, 5500 किलोवाट बिजली का उत्पादन हुआ और 500 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण हुआ है।’

2015 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आधिकारिक तौर पर इस परियोजना को लॉन्च किया, जिसके बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत पाकिस्तान में सड़कों, बंदरगाहों और बिजली संयंत्रों के निर्माण और फाइबर ऑप्टिक केबलों को बिछाने का काम हुआ है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सीपीईसी और अन्य वजहों से से पाकिस्तान पर चीन के अरबों डॉलर का कर्ज चढ़ गया है और इसे चुकाने के लिए पाकिस्तान को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ मामलों में तो चीन ने पाकिस्तानियों को नौकरी देने के बजाय अपने कैदियों को ही काम पर लगा दिया है।
 

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अगले सप्ताह चीन के दौरे पर जाएंगे। उनकी यह यात्रा अगले सप्ताह तीन फरवरी को शुरू होने वाली है। इसी दौरान बीजिंग में विंटर ओलंपिक की भी शुरुआत होने वाली है। हालांकि बताया जा रहा है कि पाक पीएम का दौरा ओलंपिक से अलग है, लेकिन वे इसके उद्घाटन सत्र में भाग लेंगे।

चीन के साथ भविष्य की सहयोग परियोजनाओं पर चर्चा के लिए इमरान खान को बुधवार को जानकारी दी गई। प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि खान को ‘निवेश, व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी और निर्यात के क्षेत्र में ठोस योजनाओं पर सहयोग बढ़ाने के लिए’ चीनी अधिकारियों के साथ चल रही बातचीत के संदर्भ में अपडेट किया गया। दोनों देशों के नेताओं ने पिछले साल आदान-प्रदान के दौरान कृषि, डिजिटल अर्थव्यवस्था, लोगों की आजीविका में सहयोग बढ़ाने, स्वास्थ्य, उद्योग, व्यापार और हरित गलियारों के निर्माण पर जोर दिया था।

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