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पवन खेड़ा का दावा: भाजपा समर्थक सांसद और यस बैंक की कहानी का खुलासा किया, बताया- कैसे हुआ जबरदस्ती लोन देने का केस दर्ज? 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुभाष कुमार
Updated Fri, 24 Dec 2021 09:24 PM IST

सार

बतौर खेड़ा, सांसद सुभाष चंद्र गोयल के एस्सेल ग्रुप पर बैंक के 6,789 करोड़ रुपये आउटस्टैंडिंग में थे। इस समूह ने 22 लोन लिए थे। उसमें 12 खातों की जांच हुई तो उसमें 8 फ्रॉड अकाउंट पाए गए।

Pawan Kheda (File Photo)
– फोटो : PTI

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विस्तार

कांग्रेस पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को एक रोचक मामले का खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस से घनिष्ठ संबंध रखने वाले भाजपा समर्थित सांसद ने यस बैंक के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। केस का मजमून यह था कि बैंक ने उन्हें जबरदस्ती लोन दिया है, इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। क्राइम ब्रांच, गौतम बुद्ध नगर के एक इंस्पेक्टर के सामने एफआईआर दर्ज की गई। 2020 में जब यह बैंक बहुत ज्यादा घाटे में चला गया तो उसे एसबीआई के तहत लाया गया। एसबीआई ने 11,760 करोड़ रुपये की राशि बैंक में डाली। बाद में उसे एसबीआई का एसोसिएट बैंक बना दिया गया। 

बतौर खेड़ा, सांसद सुभाष चंद्र गोयल के एस्सेल ग्रुप पर बैंक के 6,789 करोड़ रुपये आउटस्टैंडिंग में थे। इस समूह ने 22 लोन लिए थे। उसमें 12 खातों की जांच हुई तो उसमें 8 फ्रॉड अकाउंट पाए गए। यस बैंक ने लोन देते वक्त एस्सेल ग्रुप की डिश टीवी कंपनी के शेयर ‘सिक्योरिटी’ के तौर पर रख लिए थे। जब बैंक को अपना पैसा वापस नहीं मिला तो डिश टीवी के 25.63 प्रतिशत शेयर ले लिए गए। यानी सिक्योरिटी जब्त कर ली गई। 

इसके बाद बैंक ने कहा, हमारे पास कंपनी के 25.63 प्रतिशत शेयर हैं। हम चाहते हैं कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बदला जाए। कंपनी ने इसके लिए मना कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा। सरकार, एडमिनिस्ट्रेटर तक नहीं बैठा रही है। पवन खेड़ा ने शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता में बताया कि यस बैंक पहले एक निजी बैंक था। घाटे में जाने की वजह से उसे एसबीआई के तहत लाया गया। बैंक में आम लोगों का पैसा जमा था। एसबीआई ने 11,760 करोड़ रुपये यस बैंक में डाल कर उसे जीवित रखा। अब उसे एसबीआई का एसोसिएट बैंक माना जाता है। उसमें एसबीआई व आरबीआई के प्रतिनिधि हैं। 

मॉरिटोरियम लगाते वक्त कहा गया कि यस बैंक की जो स्थिति बनी है, वह घाटे की वजह से है। इसका कारण सुभाष चंद्र गोयल का एस्सेल ग्रुप है। इस पर बैंक की तरफ 6,789 करोड़ का आउटस्टैंडिंग था। 12 में से 8 फ्रॉड अकाउंट पाए गए। इनके जरिए 3,197 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। एस्सेल ग्रुप ने डिश टीवी, जो उनकी एक कंपनी है, उसके शेयर सिक्योरिटी के तौर पर रख दिए। कंपनी जब ये पैसा नहीं लौटा पाई तो यस बैंक ने जून, 2020 को शेयर ले लिए। अब यस बैंक के पास डिश टीवी के 25.63 प्रतिशत शेयर हैं। डिश टीवी के प्रमोटर के पास अब 5.93 प्रतिशत बचे हैं। डिश टीवी का बड़ा शेयर होल्डर अब यस बैंक बन गया। 

4 सितंबर, 2021 को यस बैंक ने डिश टीवी के बोर्ड को एक पत्र लिखा। एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने के लिए कहा। बैंक चाहता था कि नए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बनाए जाएं। नियम है कि किसी भी कंपनी का 10 प्रतिशत हिस्सा किसी शेयर होल्डर के पास हो, तो वह इस तरह की मीटिंग की मांग कर सकता है। डिश टीवी के बोर्ड ने बैठक बुलाने से इंकार कर दिया। मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास गया। यहां भी बात नहीं बनी। 

भाजपा समर्थित सांसद ने बैंक पर ही केस कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर बाबत कहा, ये मिसयूज है सीआरपीसी का। पवन खेड़ा ने बताया कि अब एस्सेल वर्ल्ड डिश टीवी से जो लाभ हो रहा है, वो ले रहा है। यस बैंक, 25.63 प्रतिशत शेयर होने के बावजूद कुछ नहीं कर पा रहा। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स और सेबी को पत्र लिखा गया, कोई फायदा नहीं हुआ। जब 20,000 करोड़ रुपये की मार्केट वेल्यू गिरी तो नुकसान आम आदमी को ही हुआ। 

एसबीआई ने सेबी को बार-बार पत्र लिखे कि यस बैंक के ड्यूज निकलवाए जाएं। डिश टीवी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नए लोगों को लाएं। पैसा रिकवर करें और कंपनी में एक एडमिनिस्ट्रेटर बैठाएं। कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी समर्थित सांसद पर आरोप लगाया कि क्या वे आरएसएस को फंडिग करते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस कैसे कार्रवाई कर सकती है। ये संभव कैसे हुआ कि बिजनेस मैन के कहने से आप एक बैंक के शेयर पर रोक लगा देते हैं। पुलिस की भूमिका की कोई जांच नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस एफआईआर को गलत ठहराया, इस पर स्टे दिया। विशेषज्ञों ने इसको बिल्कुल गलत करार कर दिया। कोई जांच नहीं हुई। इन सबके पीछे भाजपा समर्थित सांसद का प्रभाव नहीं है तो क्या है।

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