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नेपाल के लिए मुश्किल भरे दिन: कोरोना खा गया है देश के बजट का बहुत बड़ा हिस्सा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 14 Dec 2021 12:05 PM IST

सार

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी आने के बाद से जुलाई 2021 नेपाल सरकार ने स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर 56 अरब रुपये खर्च किए हैं। इसमें वह रकम शामिल नहीं है, जो सरकार ने कोरोना वैक्सीन खरीदने पर खर्च किए गए। इसमें वह रकम भी शामिल नहीं है, जो गैर सरकारी संगठनों ने महामारी संबंधी राहत कार्यों पर खर्च किए…

नेपाल कोरोना केस
– फोटो : Agency (File Photo)

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नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट ने देश में बढ़ रही आर्थिक मुश्किलों पर रोशनी डाली है। इसके मुताबिक कोरोना महामारी को संभालने के लिए नेपाल को बहुत बड़ी रकम खर्च करनी पड़ी है। ऐसा दूसरे जरूरी मदों में कटौती करते हुए किया गया है। इसका खराब असर आने वाले समय पर होगा।

56 अरब रुपये हुए खर्च

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी आने के बाद से जुलाई 2021 नेपाल सरकार ने स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर 56 अरब रुपये खर्च किए हैं। इसमें वह रकम शामिल नहीं है, जो सरकार ने कोरोना वैक्सीन खरीदने पर खर्च किए गए। इसमें वह रकम भी शामिल नहीं है, जो गैर सरकारी संगठनों ने महामारी संबंधी राहत कार्यों पर खर्च किए। इन संगठनों ने अपने दूसरे विकास कार्यों में कटौती कर अपने बजट के बड़े हिस्से को कोरोना राहत पर खर्च किया है।

नेपाल सरकार ने कोविड-19 सहायता और उस पर हुए खर्च के बारे में तीसरी अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट अब जारी की है। इससे ये अंदाजा लगाना आसान हुआ है कि कोरोना महामारी के कारण देश पर कितना बड़ा बोझ पड़ा है। नेपाल के पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर खनाल अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘इन आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने अपने बजट का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा कोरोना से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में खर्च कर दिया।’ उन्होंने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर रकम इस काम लगाई गई है, उससे जाहिर होता है कि कोरोना महामारी का नेपाल जैसे गरीब देशों पर कितना बुरा असर पड़ा है।

कई अस्पतालों का बजट घटाया

इस रिपोर्ट से ये सामने आया है कि कोरोना को संभालने की कोशिश में सरकार को दूसरे मदों में कटौती करनी पड़ी। इनमें स्वास्थ्य संबंधी आम बजट भी शामिल है। मसलन, यहां के प्रमुख अस्पताल बीपी कोइराला मेमोरियल कैंसर सेंटर का बजट 2019-20 में 36 करोड़ 39 लाख रुपये था। इसे इस वर्ष घटा कर 23 करोड़ 67 लाख रुपये कर दिया गया है। ऐसा ही कई दूसरे अस्पतालों के साथ भी हुआ है, जिनमें हृदय रोग अस्पताल और अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) केंद्र शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में इन कटौतियों का कैंसर, हृदय रोग, और इन जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज पर बहुत खराब असर पड़ेगा।

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने पब्लिक हेल्थ के दूसरे क्षेत्रों को दो प्रमुख रूपों में प्रभावित किया है। पहली बात तो यह हुई कि महामारी के दौरान लगाए लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों की वजह से दूसरे रोगों के मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाए। दूसरा असर यह हुआ कि इस महामारी के कारण अन्य रोगों की देखभाल के बजट में कटौती करनी पड़ी है।

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अरुणा उप्रेती ने काठमांडू पोस्ट से कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी, कुपोषण, महिला स्वास्थ्य, प्रसूति देखभाल, और बाल कल्याण की गहरी अनदेखी हुई है। इन रोगों की चर्चा अब जाकर फिर शुरू हुई है, जब कोरोना महामारी से कुछ राहत मिलती दिख रही है। इसी बीच कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामने आ जाने से ये अंदेशा गहरा गया है कि बाकी बीमारियों की फिर अनदेखी हो सकती है। ऐसा हुआ तो उसका और भी ज्यादा बुरा असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर होगा।

विस्तार

नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट ने देश में बढ़ रही आर्थिक मुश्किलों पर रोशनी डाली है। इसके मुताबिक कोरोना महामारी को संभालने के लिए नेपाल को बहुत बड़ी रकम खर्च करनी पड़ी है। ऐसा दूसरे जरूरी मदों में कटौती करते हुए किया गया है। इसका खराब असर आने वाले समय पर होगा।

56 अरब रुपये हुए खर्च

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी आने के बाद से जुलाई 2021 नेपाल सरकार ने स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज पर 56 अरब रुपये खर्च किए हैं। इसमें वह रकम शामिल नहीं है, जो सरकार ने कोरोना वैक्सीन खरीदने पर खर्च किए गए। इसमें वह रकम भी शामिल नहीं है, जो गैर सरकारी संगठनों ने महामारी संबंधी राहत कार्यों पर खर्च किए। इन संगठनों ने अपने दूसरे विकास कार्यों में कटौती कर अपने बजट के बड़े हिस्से को कोरोना राहत पर खर्च किया है।

नेपाल सरकार ने कोविड-19 सहायता और उस पर हुए खर्च के बारे में तीसरी अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट अब जारी की है। इससे ये अंदाजा लगाना आसान हुआ है कि कोरोना महामारी के कारण देश पर कितना बड़ा बोझ पड़ा है। नेपाल के पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर खनाल अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘इन आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने अपने बजट का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा कोरोना से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में खर्च कर दिया।’ उन्होंने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर रकम इस काम लगाई गई है, उससे जाहिर होता है कि कोरोना महामारी का नेपाल जैसे गरीब देशों पर कितना बुरा असर पड़ा है।

कई अस्पतालों का बजट घटाया

इस रिपोर्ट से ये सामने आया है कि कोरोना को संभालने की कोशिश में सरकार को दूसरे मदों में कटौती करनी पड़ी। इनमें स्वास्थ्य संबंधी आम बजट भी शामिल है। मसलन, यहां के प्रमुख अस्पताल बीपी कोइराला मेमोरियल कैंसर सेंटर का बजट 2019-20 में 36 करोड़ 39 लाख रुपये था। इसे इस वर्ष घटा कर 23 करोड़ 67 लाख रुपये कर दिया गया है। ऐसा ही कई दूसरे अस्पतालों के साथ भी हुआ है, जिनमें हृदय रोग अस्पताल और अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) केंद्र शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में इन कटौतियों का कैंसर, हृदय रोग, और इन जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज पर बहुत खराब असर पड़ेगा।

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने पब्लिक हेल्थ के दूसरे क्षेत्रों को दो प्रमुख रूपों में प्रभावित किया है। पहली बात तो यह हुई कि महामारी के दौरान लगाए लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों की वजह से दूसरे रोगों के मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाए। दूसरा असर यह हुआ कि इस महामारी के कारण अन्य रोगों की देखभाल के बजट में कटौती करनी पड़ी है।

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अरुणा उप्रेती ने काठमांडू पोस्ट से कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी, कुपोषण, महिला स्वास्थ्य, प्रसूति देखभाल, और बाल कल्याण की गहरी अनदेखी हुई है। इन रोगों की चर्चा अब जाकर फिर शुरू हुई है, जब कोरोना महामारी से कुछ राहत मिलती दिख रही है। इसी बीच कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामने आ जाने से ये अंदेशा गहरा गया है कि बाकी बीमारियों की फिर अनदेखी हो सकती है। ऐसा हुआ तो उसका और भी ज्यादा बुरा असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर होगा।

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