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चीन को मिला मौका: बांग्लादेश-अमेरिका के रिश्तों में फंसा लोकतंत्र और मानवाधिकारों का कांटा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 14 Dec 2021 12:22 PM IST

सार

चीनी राजदूत ने कहा कि बांग्लादेश ने सामाजिक-आर्थिक विकास और लोकतंत्र की दिशा में बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा- एक देश, जिसकी सरकार को वहां की जनता का व्यापक समर्थन हासिल हो, अगर उसे लोकतंत्र नहीं समझा जाता है, तो फिर लोकतंत्र की परिभाषा फिर से तय करने की जरूरत है…

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मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मुद्दे पर बांग्लादेश और अमेरिका के संबंध में पेच खड़ा होता दिख रहा है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते बांग्लादेश के अर्ध सैनिक बल- रैपिड एक्शन बटालियन के सात पूर्व और वर्तमान अधिकारियों पर मानवाधिकार हनन के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए थे। इस अमेरिकी कदम से बांग्लादेश बहुत आहत हुआ है। उसने इस पर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया जताई है। इस बीच परोक्ष रूप से चीन भी इस विवाद में कूद पड़ा है।

अमेरिकी आरोप कल्पनाओं पर आधारित

अमेरिकी आरोप पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश के संसदीय कार्य मंत्री अनीसुल हक ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश पर मानवाधिकारों के हनन के अमेरिकी आरोप उसकी कल्पनाओं पर आधारित हैं। उन्होंने अमेरिकी कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा- ‘रैपिड एक्शन बटालियन के सात पूर्व और मौजूदा अधिकारियों पर अमेरिकी प्रतिबंध दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जो लोग कानून के राज और लोकतंत्र में भरोसा करते हैं, उन पर यह जिम्मेदारी होती है कि वे उचित प्रक्रियाओं का पालन करें और आरोपी व्यक्तियों के अपने बचाव में दी गई दलीलों को सुनें। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने बिना बचाव का मौका दिए अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए।’

अनीसुल हक ने कहा- ‘मैं एक बात साफ कह देना चाहता हूं कि रैपिड एक्शन बटालियन और अन्य एजेंसियों पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। ये तमाम आरोप काल्पनिक हैं। बांग्लादेश में कानूनी प्रक्रिया से बाहर कोई हत्या नहीं की गई है।’

चीन ने की बांग्लादेश की तारीफ

इस बीच ढाका स्थित चीन के राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश के लोकतंत्र की तारीफ की है। उन्होंने ‘लोकतांत्रिक देशों का शिखर सम्मेलन’ आयोजित करने के लिए अमेरिका की कड़ी आलोचना की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिन देशों को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया, उनमें बांग्लादेश भी है। इसी बीच अमेरिका ने बांग्लादेश के अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन इससे बांग्लादेश में पैदा हुई नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश में है।

यहां जारी एक वीडियो संदेश में ली ने कहा कि अमेरिका ने अपने इस सम्मेलन से आधी दुनिया को बाहर रखा। उन्होंने कहा कि इस अमेरिकी रवैये से उसके इरादे को लेकर कुछ जायज सवाल उठे हैं। इनमें एक अहम सवाल यह है कि क्या अमेरिका को लोकतंत्र की परिभाषा करने का हक है? उन्होंने पूछा कि आखिर किसी देश के लोकतंत्र का मूल्यांकन करने का पैमाना क्या है?

चीनी राजदूत ने कहा कि बांग्लादेश ने सामाजिक-आर्थिक विकास और लोकतंत्र की दिशा में बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा- एक देश, जिसकी सरकार को वहां की जनता का व्यापक समर्थन हासिल हो, अगर उसे लोकतंत्र नहीं समझा जाता है, तो फिर लोकतंत्र की परिभाषा फिर से तय करने की जरूरत है।

लेकिन चीनी राजदूत के इस बयान से बांग्लादेश का प्रमुख विपक्षी दल- बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) भड़क गया है। उसने इसे बांग्लादेश के मामलों में अवांछित टिप्पणी बताया है। पार्टी के महासिचव रुहुल कबीर रिजवी ने एक बयान में कहा- ‘चीनी राजदूत के बयान से बीएनपी को सदमा पहुंचा है और वह गुस्से में है।’ उन्होंने कहा कि चीनी राजदूत के बयान से ऐसा लगा कि वे वर्तमान सरकार का समर्थन कर रहे हैं।

विस्तार

मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मुद्दे पर बांग्लादेश और अमेरिका के संबंध में पेच खड़ा होता दिख रहा है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते बांग्लादेश के अर्ध सैनिक बल- रैपिड एक्शन बटालियन के सात पूर्व और वर्तमान अधिकारियों पर मानवाधिकार हनन के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए थे। इस अमेरिकी कदम से बांग्लादेश बहुत आहत हुआ है। उसने इस पर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया जताई है। इस बीच परोक्ष रूप से चीन भी इस विवाद में कूद पड़ा है।

अमेरिकी आरोप कल्पनाओं पर आधारित

अमेरिकी आरोप पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश के संसदीय कार्य मंत्री अनीसुल हक ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश पर मानवाधिकारों के हनन के अमेरिकी आरोप उसकी कल्पनाओं पर आधारित हैं। उन्होंने अमेरिकी कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा- ‘रैपिड एक्शन बटालियन के सात पूर्व और मौजूदा अधिकारियों पर अमेरिकी प्रतिबंध दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जो लोग कानून के राज और लोकतंत्र में भरोसा करते हैं, उन पर यह जिम्मेदारी होती है कि वे उचित प्रक्रियाओं का पालन करें और आरोपी व्यक्तियों के अपने बचाव में दी गई दलीलों को सुनें। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने बिना बचाव का मौका दिए अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए।’

अनीसुल हक ने कहा- ‘मैं एक बात साफ कह देना चाहता हूं कि रैपिड एक्शन बटालियन और अन्य एजेंसियों पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। ये तमाम आरोप काल्पनिक हैं। बांग्लादेश में कानूनी प्रक्रिया से बाहर कोई हत्या नहीं की गई है।’

चीन ने की बांग्लादेश की तारीफ

इस बीच ढाका स्थित चीन के राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश के लोकतंत्र की तारीफ की है। उन्होंने ‘लोकतांत्रिक देशों का शिखर सम्मेलन’ आयोजित करने के लिए अमेरिका की कड़ी आलोचना की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिन देशों को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया, उनमें बांग्लादेश भी है। इसी बीच अमेरिका ने बांग्लादेश के अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन इससे बांग्लादेश में पैदा हुई नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश में है।

यहां जारी एक वीडियो संदेश में ली ने कहा कि अमेरिका ने अपने इस सम्मेलन से आधी दुनिया को बाहर रखा। उन्होंने कहा कि इस अमेरिकी रवैये से उसके इरादे को लेकर कुछ जायज सवाल उठे हैं। इनमें एक अहम सवाल यह है कि क्या अमेरिका को लोकतंत्र की परिभाषा करने का हक है? उन्होंने पूछा कि आखिर किसी देश के लोकतंत्र का मूल्यांकन करने का पैमाना क्या है?

चीनी राजदूत ने कहा कि बांग्लादेश ने सामाजिक-आर्थिक विकास और लोकतंत्र की दिशा में बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा- एक देश, जिसकी सरकार को वहां की जनता का व्यापक समर्थन हासिल हो, अगर उसे लोकतंत्र नहीं समझा जाता है, तो फिर लोकतंत्र की परिभाषा फिर से तय करने की जरूरत है।

लेकिन चीनी राजदूत के इस बयान से बांग्लादेश का प्रमुख विपक्षी दल- बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) भड़क गया है। उसने इसे बांग्लादेश के मामलों में अवांछित टिप्पणी बताया है। पार्टी के महासिचव रुहुल कबीर रिजवी ने एक बयान में कहा- ‘चीनी राजदूत के बयान से बीएनपी को सदमा पहुंचा है और वह गुस्से में है।’ उन्होंने कहा कि चीनी राजदूत के बयान से ऐसा लगा कि वे वर्तमान सरकार का समर्थन कर रहे हैं।

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