न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Sun, 10 Apr 2022 11:12 AM IST
सार
मुंबई में मानसिक रूप से बीमार एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का प्रयास करने वाले युवक की सुनवाई में पॉक्सो कोर्ट ने कहा है कि यह हत्या से भी जघन्य अपराध है। यह पीड़िता की आत्मा को मार देता है। इसके साथ ही दोषी को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
मुंबई में 15 साल की नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के प्रयास के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने दोषी को दस साल की सजा सुनाई है। यह लड़की मानसिक रूप से बीमार थी और आरोपी ने एक अन्य युवक के साथ मिलकर उसके साथ ज्यादती करने की कोशिश की थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए पॉक्सो कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म हत्या से भी जघन्य अपराध है। यह पीड़िता की आत्मा को मार देता है। इस मामले में लड़की ने कोर्ट में पेश होकर आरोपी के खिलाफ बयान दिया था। विशेष जज एच सी शिंदे ने कहा कि पीड़िता का बयान विश्वसनीय है और इसे स्वीकार किया जा सकता है कि आरोपी सामान्य इरादे से आगे जाकर पीड़िता से दुष्कर्म करने की नीयत से एकांत स्थान पर ले गया था।
अदालत ने बचाव पक्ष के तर्क का किया खंडन
अदालत ने बचाव पक्ष के तर्क का खंडन करते हुए कहा कि आरोपी पर आरोप सही है औक किसी भी तरह से गलत पहचान का मामला नहीं है। अदालत ने कहा कि आरोपी बच्चे को जानते थे। अदालत ने कहा कि पीड़िता ने बातचीत में धीमी गति से ही सही लेकिन उसने सही बयान दिया। पीड़िता ने वर्तमान आरोपी की पहचान हमलावर के रूप में की।
बच्ची की मां ने यौन शोषण की सूचना पुलिस को दी
अधिकारियों के मुताबिक बच्ची की मां ने यौन शोषण की सूचना पुलिस को दी थी। मां ने थाने में बताया कि बच्ची मानसिक रूप से बीमार है और इसलिए वह घर पर ही रहती है। जबकि उसके भाई रोजाना स्कूल जाते हैं। मां ने कहा कि 4 सितंबर, 2015 को काम से लौटने के बाद उन्होंने बच्ची के व्यवहार में बदलाव देखा। मां ने कहा कि जब उसने बच्ची को विश्वास में लिया तो उसने मारपीट की बात बताई। उसने मां को बताया कि आरोपी ने उसे 10 रुपये का लालच देकर सुनसान जगह पर ले जाकर उसका यौन शोषण किया। बच्चे ने आगे कहा कि पहले भी ऐसा हो चुका है।
आरोपियों ने गला काटने तक की दी थी धमकी
इसके बाद प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया । अदालत में, बच्ची ने कहा कि दोनों आरोपियों ने अपने परिवार को यौन उत्पीड़न का खुलासा करने पर उसका गला काटने की धमकी दी थी। आरोपी को दोषी पाते हुए, अदालत ने बचाव पक्ष को खारिज कर दिया कि अब मृत आरोपी और लड़की प्यार में थे और दोषी व्यक्ति को झूठा फंसाया गया था। कोई भी सम्माननीय महिला अपने परिवार के सम्मान और अपनी बेटी के चरित्र को सिर्फ आरोपी को सबक सिखाने के लिए दुष्कर्म के आरोपों के साथ झूठा मामला दर्ज करने के लिए दांव पर नहीं लगा सकती है।
अदालत ने आरोपियों को नरमी देने से किया इनकार
आरोपियों को नरमी देने से इनकार करते हुए अदालत ने इस तरह के अपराधों के सभ्य समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का हवाला दिया। आमतौर पर दुष्कर्म का अपराध अपनी प्रकृति से गंभीर होता है। इससे भी अधिक, जब अपराधी ने नाबालिग और धीमी बुद्धि वाली पीड़िता से बलात्कार किया हो।