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'द कश्मीर फाइल्स': सियासत में फायदा लेने की होड़, जोखिम से भरे हैं ये 'पन्ने'

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी बॉलीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’, रिलीज होते ही चर्चा में आ गई है। राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और पीड़ित परिवार अपना पक्ष रख रहे हैं। कई लोग आरोप-प्रत्यारोप के लहजे में अपनी बात कह रहे हैं। फिल्म लगातार बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है। फिल्म रिलीज होने के बाद कई राज्यों में इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ का एक राजनीतिक मायना भी है। जम्मू कश्मीर के राजनीतिक जानकार कैप्टन अनिल गौर (सेवानिवृत्त) का कहना है कि इस फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है। कश्मीरी पंडितों के साथ जो जुल्म हुए हैं, उनकी सच्ची कहानी है। हां, वहां विधानसभा चुनाव के दौरान इसका असर देखने को मिल सकता है। मौजूदा हालात में दो तीन दलों को यह फिल्म राजनीतिक चोट पहुंचा सकती है। जम्मू क्षेत्र में इस मूवी पर लोगों का जो भाव दिखाई पड़ रहा है, उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। पनून कश्मीर के कन्वीनर, डॉ. अग्निशेखर कहते हैं कि कांग्रेस सरकार के समय में कश्मीरी पंडितों का विस्थापन नहीं हुआ। जिस वक्त ये घटनाएं हुई, उस वक्त देश में वीपी सिंह की सरकार थी, जिसका समर्थन भाजपा कर रही थी। भाजपा ने तब कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर तत्कालीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया।

ताकि खून से सना ऐसा इतिहास दोबारा न लिखा जा सके… 
बता दें कि सोमवार को जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों का नए सिरे से निर्धारण करने संबंधी अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। रिपोर्ट पर 21 मार्च तक जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्र सरकार यहां चुनाव करा सकती है। ‘द कश्मीर फाइल्स’, फिल्म को बनाने वाले विवेक अग्निहोत्री का कई कश्मीरी पंडितों ने आभार जताया है। लोगों का कहना था कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने पुराने जख्म हरे कर दिए हैं। कई दिनों से यह फिल्म ट्विटर पर ट्रेंड में रही है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और दूसरे भाजपा नेता इस फिल्म को मस्ट वॉच बता रहे हैं। स्मृति इरानी ने लिखा, यह फिल्म इसलिए देखी जानी चाहिए, ताकि खून से सना ऐसा इतिहास दोबारा न लिखा जा सके। उस वक्त मामला गर्मा गया, जब केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों के इस दर्द में कश्मीरी मुस्लिमों की ‘हिस्सेदारी’ की बात कह दी। सोशल मीडिया पर कहा गया कि घाटी में जिस तरह से दूसरे लोग आतंकवाद का शिकार हैं, वैसे ही कश्मीरी पंडित हैं। भाजपा नेताओं ने इन ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। 

सियासत में फायदा लेने के चक्कर में झूठ बोल रहें गृह मंत्री: डॉ. अग्निशेखर  
पनून कश्मीर के कन्वीनर, डॉ. अग्निशेखर ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीरी पंडितों को लेकर लोकसभा में गलत आंकड़े पेश किए हैं। उन्होंने कहा, 44000 कश्मीरी विस्थापित परिवारों को प्रति माह 13 हजार रुपये की राहत राशि मिलती है। ये ठीक नही है। बतौर डॉ. अग्निशेखर, मैने अभी जम्मू में राहत आयुक्त से बात कर पुष्टि की है। उन्होंने लगभग 22 हजार लोगों की संख्या बताई है, जिन्हें राहत कार्ड पर राहत राशि मिलती है। 44 हजार पंजीकृत परिवार हैं। शाह ने कहा था, कांग्रेस सरकार में कश्मीरी पंडितों के साथ जुल्म हुए थे, विस्थापन हुआ था। डॉ. अग्निशेखर ने उनके इस बयान को गलत बताते हुए कहा, कांग्रेस सरकार के समय में ये सब नहीं हुआ। जिस वक्त ये घटनाएं हुई, उस वक्त देश में वीपी सिंह की सरकार थी, जिसका समर्थन भाजपा कर रही थी। भाजपा ने तब कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर तत्कालीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया। शाह दावा करते हैं कि कश्मीर में पंडितों के लिए जमीन का अधिगृहण किया गया है। तीन हजार बच्चे वहां पहुंचे हैं। सरकार उनके लिए फ्लैट तैयार करेगी। 

रोजगार पैकेज तो डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने शुरु किया था…  
सच तो यह है कि रोजगार पैकेज डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय में शुरु हुआ था। तीन राउंड टेबल में डॉ. अग्निशेखर ने यह मुद्दा उठाया था। अगर भाजपा सरकार श्रेय लेना चाहती है तो लीजिये। डॉ. अग्निशेखर ने पूछा, क्या भाजपा का यही संकल्प है। केंद्रीय गृह मंत्री झूठ बोल रहे हैं। क्या देश में छह हजार ही कश्मीरी पंडित हैं। लाखों कश्मीरी पंडित हैं। भाजपा सरकार ने 370 हटाया तो हमने स्वागत किया। अब हम दुनिया के सामने बोलेंगे। अभी तक कश्मीरी पंडित आपका लिहाज कर रहे थे, लेकिन अब वे दुनिया के सामने आपकी पोल खोलने के लिए विवश होंगे। कांग्रेस पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सीएम को हटाकर उनके बिठाए राज्यपाल ने सुरक्षा देने की बजाय कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए क्यों उकसाया। याद करें, भाजपा समर्थित सरकार में जब कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न और पलायन हो रहा था तब राजीव गाँधी जी ने संसद का घेराव किया, उनकी आवाज उठायी। मगर भाजपा ने इस त्रासदी को मौन समर्थन दिया, इन नेता राजनीतिक फ़ायदे के लिए ‘रथ यात्रा’ निकालते रहे। उन्हें तब कश्मीरी पंडितों का दर्द नजर नहीं आया। 

घाटी में अभी तक कितने कश्मीरी पंडित बसाए हैं…  
भाजपा शासित प्रदेशों में फिल्म को टैक्स फ्री किया जा रहा है। कश्मीर पंडितों के मुद्दे पर मौन रहने वाली पार्टियों को भाजपा घेर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में भाजपा से सवाल किया है। कांग्रेस पार्टी ने पूछा, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने घाटी कितने कश्मीरी पंडित बसाए हैं, इसका आंकड़ा दिया जाए। सोमवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई है। यहां भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का जिक्र हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, फिल्म में जो दिखाया गया है, उस सत्य को दबाने की कोशिश की गई थी। 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार और घाटी से उनके पलायन की घोर त्रासदी को इस फ़िल्म में दिखाया गया है। 

जम्मू में फायदा तो कश्मीर में भाजपा के खिलाफ जा सकती है मूवी…  
राजनीतिक जानकार कैप्टन अनिल गौर (सेवानिवृत्त) ने बताया, इस मूवी ने कश्मीरी पंडितों से जुड़े बहुत से राज उजागर कर दिए हैं। उस दौर में बहुत सी बातें छिपा ली गई थी। बहुत से सवाल कांग्रेस पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस को देने पड़ेंगे। आतंकी युसूफ शाह से सलाउद्दीन तक की कहानी, ये दोनों दल उसे अच्छी तरह जानते हैं। बाद में कौन पाकिस्तान भाग गया। किसने मदद की, ये सब बातें पब्लिक अब जान रही है। 87 से 90 तक कश्मीरी पंडितों को बुरी तरह से टारगेट किया गया। मस्जिदों से घोषणा होती थी जो कश्मीरी पंडित है भाग जाओ। महिलाएं वहीं छोड़ने के लिए कहा जाता था। इस मूवी का राजनीतिक असर पड़ेगा। जम्मू क्षेत्र में भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है। कश्मीर में ये मूवी भाजपा के खिलाफ जा सकती है। हालांकि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी, इन तीनों पार्टियों को ‘द कश्मीर फाइल्स’ नुकसान पहुंचा सकती है। सबसे बड़ा राजनीतिक नुकसान नेशनल कांफ्रेंस को पहुंचने की संभावना है। घाटी में अभी भी कई दल कश्मीरी पंडितों की वापसी नहीं चाहते। उन दलों की सोच हैं कि कश्मीरी पंडित उन्हीं घरों में जाएं, जहां से वे निकले थे। कश्मीरी पंडितों की होमलैंड की मांग का वे दल समर्थन नहीं कर रहे। इस फिल्म के बाद विधानसभा चुनाव में कश्मीरी पंडितों का मुद्दा राजनीतिक तौर पर नफे नुक़सान का कारण बनेगा। परिसीमन का कार्य पूरा होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।

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