सार
रेशनलाइज्ड होम लोन नियमों को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया है। अक्तूबर, 2020 में कोविड-19 से निपटने के लिए होम लोन को सुसंगत बनाने के लिए कदम उठाए गए थे। इसके तहत लोन के जोखिम को कम करने के लिए इसे सिर्फ कर्ज के मूल्य (एलटीवी) अनुपात से जोड़ दिया गया था। यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक स्वीकृत सभी होम लोन के लिए थी।
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विस्तार
पहली तिमाही में यह 6.3 फीसदी रह सकती है। दूसरी तिमाही में इसके घटकर 5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.4% और चौथी तिमाही में 5.1% रहने का अनुमान है। लगातार तीन तिमाहियों से महंगाई दर आरबीआई के ऊपरी दायरे 6% से अधिक बनी हुई है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा कि महंगाई के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात जिम्मेदार हैं। इसकी वजह से क्रूड, खाद्य तेल व कमोडिटी के दाम बढ़े हैं।
इसे देखते हुए हम फरवरी, 2019 से लेकर पिछले तीन साल तक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की कोशिशों के बाद बढ़ती महंगाई के दबावों से निपटने के लिए अपनी नीतिगत प्राथमिकताओं में बदलाव करने जा रहे हैं। कोरोना काल में प्रभावी रहीं सरल नीतियों को वापस लेने पर जोर रहेगा। मौद्रिक नीति की प्राथमिकताओं में अब वृद्धि के बजाय महंगाई पर ध्यान देने का समय आ गया है।
नई चुनौतियों से जूझ रही अर्थव्यवस्था
दास ने कहा, केंद्रीय बैंक किसी नियम से बंधा नहीं है। अर्थव्यवस्था के ‘संरक्षण’ के लिए सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे। अर्थव्यवस्था नई एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। अर्थव्यवस्था में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसे चुनौतियों से बचाकर रखेंगे। भू-राजनीतिक तनावों ने अर्थव्यवस्था को होने वाले लाभों से वंचित कर दिया है।
आर्थिक वृद्धि : 0.6 फीसदी की कटौती
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल में लगी आग और आपूर्ति संबंधी समस्याओं को देखते हुए आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए वृद्धि दर अनुमान में 0.6 फीसदी की कटौती कर 7.2 फीसदी कर दिया है। पहले विकास दर 7.8 फीसदी रहने का अनुमान था। दास ने कहा कि वृद्धि दर पहली तिमाही में 16.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 4 फीसदी से ज्यादा रहेगी।
- दास ने कहा कि यह अनुमान इस धारणा पर आधारित है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की ओर से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की औसत कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल रहेगी।
- इसी साल जनवरी में पेश आर्थिक समीक्षा में 2022-23 में वृद्धि दर 8-8.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। 2021-22 में इसके 8.9 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
रेशनलाइज्ड होम लोन नियमों को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया है। अक्तूबर, 2020 में कोविड-19 से निपटने के लिए होम लोन को सुसंगत बनाने के लिए कदम उठाए गए थे। इसके तहत लोन के जोखिम को कम करने के लिए इसे सिर्फ कर्ज के मूल्य (एलटीवी) अनुपात से जोड़ दिया गया था। यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक स्वीकृत सभी होम लोन के लिए थी।
ग्राहक सेवाओं में सुधार के लिए बनेगी समिति
केंद्रीय बैंक विनियमित इकाइयों की ग्राहक सेवाओं में सुधार के लिए एक समिति गठित करेगा। दास ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इनमें आंतरिक शिकायत निवारण और ‘ओम्बड्समैन’ प्रणाली पर नियामकीय ढांचा खड़ा करना शामिल है। वित्तीय जोखिमों के प्रभाव के आकलन के लिए जलवायु जोखिम और सतत वित्त पर परिचर्चा पत्र प्रकाशित भी किया जाएगा।
नरम रुख को अब वापस लेने का समय
बदलते हुए हालात में महंगाई के खासकर जोखिम वाली स्थिति में होने से हम अपने अधिक नरम रुख को वापस लेना चाहते हैं। केंद्रीय बैंक के पास अब भी उदार रुख कायम रखने की गुंजाइश बची हुई है। -माइकल पात्रा, डिप्टी गवर्नर, आरबीआई
कंपनियों के लिए नेटवर्थ घटाकर 25 करोड़ किया
भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) पर दास ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिल भुगतान करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बीबीपीएस से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिहाज से इससे जुड़ी कंपनियों के लिए नेटवर्थ को 100 करोड़ से घटाकर 25 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है।
रूस के मामले में पहले सरकार को निपटना होगा
डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के खिलाफ जाता हो। इस मसले से पहले सरकार को निपटना होगा। जहां तक केंद्रीय बैंक का संबंध है तो हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जो प्रतिबंधों के खिलाफ हो।
नकदी को ‘सामान्य’ करने के लिए उठाया कदम
आरबीआई ने नकदी प्रबंधन को महामारी पूर्व स्तर पर ले जाने के लिए स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) लागू करने और तरलता समायोजन (एलएएफ) को 0.50% पर लाने की घोषणा की। दास ने कहा, एसडीएफ को रेपो दर से 0.25% कम यानी 3.75% पर रखा जाएगा, जो सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) से 0.50% कम होगा।
एमएसएफ बैंकों को जरूरत पड़ने पर पूंजी के मामले में मदद करता है। एसडीएफ की शुरुआत आरबीआई अधिनियम में 2018 में किए संशोधन से हुई थी। यह किसी नकारात्मक असर के बिना व्यवस्था में मौजूद तरलता को दूर करने का एक साधन है।