नए नियमों के तहत प्लास्टिक अवशेष प्रबंधन के लिए उत्पादकों, आयातकों, ब्रांड मालिकों, और केंद्रीय/राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को निर्धारित किया गया है। इन नियमों को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
अधिसूचित नए नियमों के तहत केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का जोर देश में पूरी तरह पुन: इस्तेमाल किए जाने योग्य प्लास्टिक को बढ़ावा देना है। मंत्रालय का दावा है कि इससे न सिर्फ प्लास्टिक पैकेजिंग अवशेष की चक्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि प्लास्टिक के नए विकल्पों को भी बढ़ावा मिलेगा। ये नियम देश में कारोबार के लिए टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की राह भी प्रशस्त करेंगे।
नियमों के तहत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के तहत पुन: इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक को चार श्रेणियों में बांट कर इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसमें सख्त प्लास्टिक पैकेजिंग, सिंगल लेयर प्लास्टिक, मल्टीलेयर प्लास्टिक और प्लास्टिक शीट या प्लास्टिक शीट से बने कवर, कैरी बैग शामिल हैं। देश में प्लास्टिक कचरे का 60 फीसदी हिस्सा प्लास्टिक पैकेजिंग से आता है इसलिए सरकार का जोर प्लास्टिक पैकेजिंग के कचरे के निस्तारण पर है।
इन जगहों पर नहीं इस्तेमाल होगी सिंगल यूज प्लास्टिक
अब पूरे देश में खुदरा विक्रेताओं, फेरीवालों, मल्टीप्लेक्स, ईकॉमर्स कंपनियों, निजी और सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में एकल इस्तेमाल वाली प्लास्टिक नहीं चलेगी। नियमों का उल्लंघन करने पर प्रदूषण कानून के तहत कार्रवाई होगी जिसके तहत माल की जब्ती के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भी वसूला जाएगा।
इस तरह होगा प्लास्टिक कचरा निस्तारण
ईपीआर के तहत उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों के लिए चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक कचरा प्रबंधन का लक्ष्य तय किया गया है। इसके तहत साल 2022-23 में 70 फीसदी प्लास्टिक कचरे का निस्तारण और उसके अगले साल 100 फीसदी कचरे का निस्तारण करना अनिवार्य कर दिया गया है। कचरा निस्तारण के लिए जिम्मेदार ठहराए गए पक्षों को कचरे को एकत्र करना, उसे संशोधित करना, पुनर्चक्रण करना, फिर से इस्तेमाल लायक बनाना और ऐसा संभव न हो तो उसका निपटान करना शामिल है।
सीपीसीबी की भूमिका बढ़ी
प्लास्टिक पैकेजिंग वाली कंपनियां यदि निस्तारण लक्ष्य में विफल रहती हैं या वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप् त क्रेडिट नहीं जुटाती हैं तो उन्हें जुर्माना देना होगा। जुर्माना तय करने और सभी निस्तारण से जुड़े सभी कामों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को जिम्मेदारी दी गई है। प्लास्टिक कचरे प्रबंधन में सबसे बड़ी भूमिका अब सीपीसीबी की ही होगी।