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एनएसई को-लोकेशन मामला: सीबीआई ने किया बड़ा खुलासा- आनंद सुब्रमण्यम ने 'अज्ञात योगी'के नाम से बनाई थी ई-मेल आईडी

एनएसई को-लोकेशन मामला: सीबीआई ने किया बड़ा खुलासा- आनंद सुब्रमण्यम ने 'अज्ञात योगी'के नाम से बनाई थी ई-मेल आईडी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 12 Mar 2022 05:50 PM IST

सार

Anand Subramanian Created Email ID Of Himalayan Yogi: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को-लोकेशन मामले में सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय एजेंसी ने विशेष सीबीआई अदालत के सामने कहा है कि जिस ईमेल आईडी से एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दी जाती थी। उस अज्ञात योगी के नाम से बनाई गई आईडी को आनंद ने ही बनाया था। 

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एनएसई को-लोकेशन मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी ने दावा किया कि जिस ईमेल आईडी के जरिए ‘हिमालयन योगी’ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दिया करता था, उसे कथित तौर पर इस मामले में गिरफ्तार आनंद सुब्रमण्यम ने ही बनाया था। 

आनंद के योगी होने पर लगी मुहर
गौरतलब है कि सीबीआई के इस खुलासे के बाद एक प्रकार से इस बात पर मुहर लग गई है कि एनएसई के पूर्व समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम ही रहस्यमयी हिमालयन योगी है। सीबीआई की ओर से एक बयान में कहा गया है कि अब वह इस बात की गहनता से जांच कर रही है कि कथित रूप से सुब्रमण्यम द्वारा बनाई गई ईमेल आईडी का उपयोग वह खुद कर रहा था या कोई अन्य इसका इस्तेमाल कर रहा था। 

सेशल्स ट्रिप की हो रही जांच 
जांच एजेंसी ने शुक्रवार को विशेष सीबीआई अदालत को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि वो अब रामकृष्ण और सुब्रमण्यम की कर चोरों के पनाहगाह देश सेशल्स की यात्रा की भी जांच कर रही है। बता दें कि चित्रा और ‘अज्ञात योगी’ के बीच ईमेल के जरिए हुई बातचीत में कई सनसनीखेज बातें सामने आई हैं। इनमें से एक ईमेल में योगी ने पूर्व एनएसई सीईओ के साथ टैक्स हेवन कहे जाने वाले सेशल्स ट्रिप की योजना बनाई थी। योगी ने एक मेल में चित्रा को संबोधित करते हुए लिखा था कि अपने बैग तैयार रखिएगा। यह मेल 17 फरवरी 2015 को किया गया था। 

सुब्रमण्यम की जमानत पर फैसला सुरक्षित
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व एमडी के सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम की जमानत याचिका पर सीबीआई अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुब्रमण्यम पहले व्यक्ति थे, जिन्हें सीबीआई ने पिछले महीने एनएसई को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था। सुब्रमण्यम की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अर्शदीप सिंह खुराना ने तर्क दिया कि जहां तक प्राथमिकी में निहित आरोपों का संबंध है तो उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है, क्योंकि वह इस तरह लगाए गए आरोपों से किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं। वहीं सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल की अदालत ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी करने के बाद कहा कि जमानत को लेकर आदेश 24 मार्च को पारित किया जाएगा।

सात दिन की रिमांड पर चित्रा रामकृष्ण
इससे पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को-लोकेशन मामले में एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की मुश्किलें बढ़ाते हुए विशेष अदालत ने उन्हें सात दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया था। गौरतलब है कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण को अदालत के समक्ष पेश किया था और एनएसई को-लोकेशन मामले में उनकी 14 दिन की हिरासत की मांग की थी। गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने कहा था कि सीबीआई ने रामकृष्ण से लगातार तीन दिनों तक पूछताछ की और उनके आवास पर तलाशी ली, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने कहा कि वह उचित जवाब नहीं दे रही थीं। 

क्या है को-लोकेशन स्कैम?
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

विस्तार

एनएसई को-लोकेशन मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी ने दावा किया कि जिस ईमेल आईडी के जरिए ‘हिमालयन योगी’ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सलाह दिया करता था, उसे कथित तौर पर इस मामले में गिरफ्तार आनंद सुब्रमण्यम ने ही बनाया था। 

आनंद के योगी होने पर लगी मुहर

गौरतलब है कि सीबीआई के इस खुलासे के बाद एक प्रकार से इस बात पर मुहर लग गई है कि एनएसई के पूर्व समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम ही रहस्यमयी हिमालयन योगी है। सीबीआई की ओर से एक बयान में कहा गया है कि अब वह इस बात की गहनता से जांच कर रही है कि कथित रूप से सुब्रमण्यम द्वारा बनाई गई ईमेल आईडी का उपयोग वह खुद कर रहा था या कोई अन्य इसका इस्तेमाल कर रहा था। 

सेशल्स ट्रिप की हो रही जांच 

जांच एजेंसी ने शुक्रवार को विशेष सीबीआई अदालत को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि वो अब रामकृष्ण और सुब्रमण्यम की कर चोरों के पनाहगाह देश सेशल्स की यात्रा की भी जांच कर रही है। बता दें कि चित्रा और ‘अज्ञात योगी’ के बीच ईमेल के जरिए हुई बातचीत में कई सनसनीखेज बातें सामने आई हैं। इनमें से एक ईमेल में योगी ने पूर्व एनएसई सीईओ के साथ टैक्स हेवन कहे जाने वाले सेशल्स ट्रिप की योजना बनाई थी। योगी ने एक मेल में चित्रा को संबोधित करते हुए लिखा था कि अपने बैग तैयार रखिएगा। यह मेल 17 फरवरी 2015 को किया गया था। 

सुब्रमण्यम की जमानत पर फैसला सुरक्षित

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व एमडी के सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम की जमानत याचिका पर सीबीआई अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुब्रमण्यम पहले व्यक्ति थे, जिन्हें सीबीआई ने पिछले महीने एनएसई को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था। सुब्रमण्यम की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अर्शदीप सिंह खुराना ने तर्क दिया कि जहां तक प्राथमिकी में निहित आरोपों का संबंध है तो उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है, क्योंकि वह इस तरह लगाए गए आरोपों से किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं। वहीं सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल की अदालत ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी करने के बाद कहा कि जमानत को लेकर आदेश 24 मार्च को पारित किया जाएगा।

सात दिन की रिमांड पर चित्रा रामकृष्ण

इससे पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को-लोकेशन मामले में एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की मुश्किलें बढ़ाते हुए विशेष अदालत ने उन्हें सात दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया था। गौरतलब है कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण को अदालत के समक्ष पेश किया था और एनएसई को-लोकेशन मामले में उनकी 14 दिन की हिरासत की मांग की थी। गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने कहा था कि सीबीआई ने रामकृष्ण से लगातार तीन दिनों तक पूछताछ की और उनके आवास पर तलाशी ली, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने कहा कि वह उचित जवाब नहीं दे रही थीं। 

क्या है को-लोकेशन स्कैम?

शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

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