न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 17 Nov 2021 09:17 PM IST
सार
वित्तमंत्री ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भी हमें निवेश बढ़ाना होगा, क्योंकि अभी सालाना 150 अरब डॉलर का जीवाश्म ईंधन आयात करना पड़ता है। प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में भी बड़ी संभावनाएं हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
अर्थव्यवस्था में तेज सुधारों का लाभ उठाने लिए उद्योग जगत को जोखिम लेना होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को उद्योग जगत से कहा कि मौजूदा हालात में उन्हें निवेश के जरिये पूंजी बढ़ाने और रोजगार सृजन पर जोर देना चाहिए। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति शिखर सम्मेलन में वित्तमंत्री ने कहा कि उद्योगों को थोड़ा जोखिम उठाकर उभरते क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए। उन्हें तकनीक की मदद से अपनी क्षमता बढ़ाने और नई नौकरियां पैदा करने पर जोर देना चाहिए, ताकि लोगों की आमदनी बढ़े और अर्थव्यवस्था की मांग को और सुधारा जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की फैक्ट्री बनने का मौका है और उद्योगों को विनिर्माण क्षेत्र में जमकर निवेश करना चाहिए। हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए आयात पर निर्भरता घटानी होगी। उद्योगों को समझना होगा कि नया भारत क्या चाहता है और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए थोड़े जोखिम भी उठाने होंगे। इस दौरान वैश्विक आपूर्ति शृंखला में आ रही बाधाओं का असर भी दिखेगा, तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है।
चिप की कमी से बढ़ा वाहन उद्योग का संकट
वित्तमंत्री ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग महामारी के दबाव से निकलकर तेज गति से बढ़ रहा था। त्योहारी सीजन में गाड़ियों की मांग बढ़ी, लेकिन सेमीकंडक्टर की कमी ने रफ्तार पर ब्रेक लगा दी। आर्थिक प्रगति में बड़ी भूमिका निभाने वाले वाहन उद्योग को चिप संकट का सामना नहीं करना पड़ता, तो इसमें वृद्धि की बड़ी संभावनाएं थीं। ऊर्जा क्षेत्र में भी हमें निवेश बढ़ाना होगा, क्योंकि अभी सालाना 150 अरब डॉलर का जीवाश्म ईंधन आयात करना पड़ता है। प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में भी बड़ी संभावनाएं हैं।
विस्तार
अर्थव्यवस्था में तेज सुधारों का लाभ उठाने लिए उद्योग जगत को जोखिम लेना होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को उद्योग जगत से कहा कि मौजूदा हालात में उन्हें निवेश के जरिये पूंजी बढ़ाने और रोजगार सृजन पर जोर देना चाहिए। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति शिखर सम्मेलन में वित्तमंत्री ने कहा कि उद्योगों को थोड़ा जोखिम उठाकर उभरते क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए। उन्हें तकनीक की मदद से अपनी क्षमता बढ़ाने और नई नौकरियां पैदा करने पर जोर देना चाहिए, ताकि लोगों की आमदनी बढ़े और अर्थव्यवस्था की मांग को और सुधारा जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की फैक्ट्री बनने का मौका है और उद्योगों को विनिर्माण क्षेत्र में जमकर निवेश करना चाहिए। हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए आयात पर निर्भरता घटानी होगी। उद्योगों को समझना होगा कि नया भारत क्या चाहता है और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए थोड़े जोखिम भी उठाने होंगे। इस दौरान वैश्विक आपूर्ति शृंखला में आ रही बाधाओं का असर भी दिखेगा, तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है।
चिप की कमी से बढ़ा वाहन उद्योग का संकट
वित्तमंत्री ने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग महामारी के दबाव से निकलकर तेज गति से बढ़ रहा था। त्योहारी सीजन में गाड़ियों की मांग बढ़ी, लेकिन सेमीकंडक्टर की कमी ने रफ्तार पर ब्रेक लगा दी। आर्थिक प्रगति में बड़ी भूमिका निभाने वाले वाहन उद्योग को चिप संकट का सामना नहीं करना पड़ता, तो इसमें वृद्धि की बड़ी संभावनाएं थीं। ऊर्जा क्षेत्र में भी हमें निवेश बढ़ाना होगा, क्योंकि अभी सालाना 150 अरब डॉलर का जीवाश्म ईंधन आयात करना पड़ता है। प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में भी बड़ी संभावनाएं हैं।
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