एजेंसी, वाशिंगटन
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 11 Dec 2021 02:10 AM IST
सार
लोकतंत्र पर दो दिनी डिजिटल शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले दिन स्वतंत्र मीडिया व भ्रष्टाचार रोधी कार्यों का समर्थन करने के लिए दुनिया भर में 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की अमेरिका की योजना की घोषणा की।उन्होंने दुनिया भर में लोकतंत्र की कथित खतरनाक स्थिति को पलटने के लिए विश्व के नेताओं से उनके साथ काम करने का आह्वान किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : पीटीआई
राष्ट्रपति जो बाइडन लोकतंत्र पर दो दिनी डिजिटल शिखर सम्मेलन का समापन चुनावी ईमानदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, निरंकुश शासनों का मुकाबला व स्वतंत्र मीडिया को मजबूत बनाने के संकल्प के साथ करना चाहते हैं। उन्होंने पहले दिन स्वतंत्र मीडिया व भ्रष्टाचार रोधी कार्यों का समर्थन करने के लिए दुनिया भर में 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की अमेरिका की योजना की घोषणा की।
इस पहल की घोषणा उन्होंने दुनिया भर में लोकतंत्र की कथित खतरनाक स्थिति को पलटने के लिए विश्व के नेताओं से उनके साथ काम करने का आह्वान करते हुए की। बाइडन ने पूछा, क्या हम हक व लोकतंत्र के अवमूल्यन को बेकाबू रूप से जारी रहने देंगे? या हम साथ मिलकर एक दृष्टिकोण बनाएंगे और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे।
उन्होंने चीन और रूस का नाम लिए बिना बार-बार यह बात उठाई कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र निरंकुशता की तुलना में समाज के लिए एक बेहतर माध्यम है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने कहा, लोकतांत्रिक बातचीत बदल रही है। नई प्रौद्योगिकियां और बड़ी तकनीकी कंपनियां लोकतांत्रिक संवाद के लिए तेजी से मंच तैयार कर रही हैं।
लोकतंत्र के लिए लड़ना पड़ता है : यूक्रेन
शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन सीमा पर रूस ने सैनिकों को बड़े पैमाने पर जुटाया है और बाइडन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर उन्हें पीछे हटाने का दबाव बना रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने ट्विटर पर कहा, ‘लोकतंत्र मिलता नहीं है, इसके लिए लड़ना पड़ता है।’ पोलैंड के आंद्रेज डूडा ने रूस के खिलाफ बात की और बेलारूस को दिए जा रहे मॉस्को के समर्थन की निंदा की।
चीन-रूस ने की आलोचना
बृहस्पतिवार को हुए इस सम्मेलन की अमेरिका के मुख्य विरोधियों और अन्य देशों ने आलोचना की जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिका में चीन और रूस के राजदूतों ने एक साझा लेख लिखा जिसमें बाइडन प्रशासन को ‘शीत-युद्ध की मानसिकता’ का प्रदर्शन करने वाला बताया गया, जो ‘वैचारिक टकराव को हवा देगा और दुनिया में दरार पैदा करेगा।’ चीन ने सम्मेलन में ताइवान को बुलाने की भी निंदा की।
विस्तार
राष्ट्रपति जो बाइडन लोकतंत्र पर दो दिनी डिजिटल शिखर सम्मेलन का समापन चुनावी ईमानदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, निरंकुश शासनों का मुकाबला व स्वतंत्र मीडिया को मजबूत बनाने के संकल्प के साथ करना चाहते हैं। उन्होंने पहले दिन स्वतंत्र मीडिया व भ्रष्टाचार रोधी कार्यों का समर्थन करने के लिए दुनिया भर में 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की अमेरिका की योजना की घोषणा की।
इस पहल की घोषणा उन्होंने दुनिया भर में लोकतंत्र की कथित खतरनाक स्थिति को पलटने के लिए विश्व के नेताओं से उनके साथ काम करने का आह्वान करते हुए की। बाइडन ने पूछा, क्या हम हक व लोकतंत्र के अवमूल्यन को बेकाबू रूप से जारी रहने देंगे? या हम साथ मिलकर एक दृष्टिकोण बनाएंगे और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे।
उन्होंने चीन और रूस का नाम लिए बिना बार-बार यह बात उठाई कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र निरंकुशता की तुलना में समाज के लिए एक बेहतर माध्यम है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने कहा, लोकतांत्रिक बातचीत बदल रही है। नई प्रौद्योगिकियां और बड़ी तकनीकी कंपनियां लोकतांत्रिक संवाद के लिए तेजी से मंच तैयार कर रही हैं।
लोकतंत्र के लिए लड़ना पड़ता है : यूक्रेन
शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन सीमा पर रूस ने सैनिकों को बड़े पैमाने पर जुटाया है और बाइडन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर उन्हें पीछे हटाने का दबाव बना रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने ट्विटर पर कहा, ‘लोकतंत्र मिलता नहीं है, इसके लिए लड़ना पड़ता है।’ पोलैंड के आंद्रेज डूडा ने रूस के खिलाफ बात की और बेलारूस को दिए जा रहे मॉस्को के समर्थन की निंदा की।
चीन-रूस ने की आलोचना
बृहस्पतिवार को हुए इस सम्मेलन की अमेरिका के मुख्य विरोधियों और अन्य देशों ने आलोचना की जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिका में चीन और रूस के राजदूतों ने एक साझा लेख लिखा जिसमें बाइडन प्रशासन को ‘शीत-युद्ध की मानसिकता’ का प्रदर्शन करने वाला बताया गया, जो ‘वैचारिक टकराव को हवा देगा और दुनिया में दरार पैदा करेगा।’ चीन ने सम्मेलन में ताइवान को बुलाने की भी निंदा की।
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