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अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी हुए हैरान: चीन की बढ़ती आर्थिक मुश्किलों का असर उसकी करेंसी पर क्यों नहीं?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांग कांग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 11 Dec 2021 12:08 PM IST

सार

विश्लेषकों के मुताबिक चीन सरकार के बॉन्ड्स में बढ़ रही अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी एक नया ट्रेंड है। इस साल अप्रैल से नवंबर तक लगातार आठ महीने में युवान में बेचे गए बॉन्ड्स की कीमत बढ़ी। चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के मुताबिक चीन के 3.9 ट्रिलियन (620 बिलियन डॉलर) मूल्य के बॉन्ड्स अब दूसरे देशों के पास हैं…

चीनी करेंसी युवान
– फोटो : Agency (File Photo)

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चीन की अर्थिक विकास दर गिरती जा रही है, लेकिन उसकी मुद्रा लगातार मजबूत बनी हुई है। ये बात वित्तीय बाजार में कयास और जिज्ञासा का विषय बन गई है। 2021 में अब तक चीन की मुद्रा युवान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ फीसदी मजबूत हो चुकी है। डॉलर के मुकाबले युवान अपने सबसे ऊंचे स्तर पर नवंबर 2015 में पहुंचा था। गुरुवार को वह उस स्तर से सिर्फ 0.26 फीसदी नीचे था।

बॉन्ड्स पर मिल रहा बेहतर रिटर्न

अमेरिका स्थित कैपिटल मार्केट्स ट्रेडिंग फर्म- बेनॉकबर्न ग्लोबल फॉरेक्स के महा-प्रबंधक मार्क शैंडलर के मुताबिक इस साल युवान का प्रदर्शन दुनिया की सभी मुद्राओं के बीच सबसे अच्छा रहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के मैक्रो स्ट्रेटेजी प्रमुख बेकी लिउ ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा कि इसकी वजह है चीन के निर्यात में भारी बढ़ोतरी और चीन सरकार के बॉन्ड्स पर बेहतर रिटर्न (लाभ)। विश्लेषकों ने कहा है कि 2022 में भी ये स्थिति जारी रहेगी।

दूसरी तरफ, चीन की अर्थव्यवस्था ऊंची महंगाई दर, रियल एस्टेट में गिरावट, और प्राइवेट सेक्टर पर जारी सरकारी बंदिशों से मुश्किल में है। लेकिन लिउ ने कहा कि युवान की मजबूत स्थिति से चीन को बड़ी मदद मिल रही है। युवान की कीमत बढ़ने से दूसरे देशों के सेंट्रल बैंक अधिक मात्रा में इसे अपने भंडार में रखेंगे। इससे चीन का आयात भी सस्ता होगा। उससे चीन को महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। लेकिन अगर युवान की कीमत अधिक चढ़ी, तो चीन से विदेश भेजने वाली उत्पादित वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। उसका असर चीनी निर्यात पर पड़ सकता है।

चीन के 3.9 ट्रिलियन के बॉन्ड्स दूसरे देशों के पास

विश्लेषकों के मुताबिक चीन सरकार के बॉन्ड्स में बढ़ रही अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी एक नया ट्रेंड है। इस साल अप्रैल से नवंबर तक लगातार आठ महीने में युवान में बेचे गए बॉन्ड्स की कीमत बढ़ी। चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के मुताबिक चीन के 3.9 ट्रिलियन (620 बिलियन डॉलर) मूल्य के बॉन्ड्स अब दूसरे देशों के पास हैं। इस ट्रेंड का असर यह हुआ कि अक्तूबर में बॉन्ड के अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स बनाने वाली एजेंसी एफटीएसई रसेल ने चीन सरकार के बॉन्ड्स को अपने फ्लैगशिप सूचकांक में शामिल कर लिया। एफटीएसई रसेल ये सूचकांक वर्ल्ड गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स नाम से जारी करता है। अंतरराष्ट्रीय बेंक एएनजेड ने अनुमान लगाया है कि इस इंडेक्स में शामिल होने के बाद चीनी बॉन्ड्स में 130 बिलियन डॉलर के बराबर निवेश बढ़ेगा। इस बैंक का अंदाजा है कि 2021 खत्म होने तक चीनी बॉन्ड्स में लगी विदेशी निवेशकों की रकम 625 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।

विश्लेषकों का कहना है कि चीनी बॉन्ड्स के खरीदारों की लगी कतार पर तभी लगाम लग सकता है, अगर अमेरिका अपने यहां ब्याज दरें बढ़ाए। लेकिन अभी तक अमेरिका के सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है। इसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्श के एक एनालिस्ट ने हाल में लिखा- ‘हमें युवान के भाव बढ़ने की अभी और उम्मीद है। लेकिन ऐसा अब धीमी रफ्तार से होगा। इसकी वजह यह है कि चीन के प्रमुख व्यापार भागीदार ने अब अपने यहां मुद्रा को नियंत्रित करने की नीति अपनाने लगे हैं।’

विस्तार

चीन की अर्थिक विकास दर गिरती जा रही है, लेकिन उसकी मुद्रा लगातार मजबूत बनी हुई है। ये बात वित्तीय बाजार में कयास और जिज्ञासा का विषय बन गई है। 2021 में अब तक चीन की मुद्रा युवान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ फीसदी मजबूत हो चुकी है। डॉलर के मुकाबले युवान अपने सबसे ऊंचे स्तर पर नवंबर 2015 में पहुंचा था। गुरुवार को वह उस स्तर से सिर्फ 0.26 फीसदी नीचे था।

बॉन्ड्स पर मिल रहा बेहतर रिटर्न

अमेरिका स्थित कैपिटल मार्केट्स ट्रेडिंग फर्म- बेनॉकबर्न ग्लोबल फॉरेक्स के महा-प्रबंधक मार्क शैंडलर के मुताबिक इस साल युवान का प्रदर्शन दुनिया की सभी मुद्राओं के बीच सबसे अच्छा रहा है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के मैक्रो स्ट्रेटेजी प्रमुख बेकी लिउ ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा कि इसकी वजह है चीन के निर्यात में भारी बढ़ोतरी और चीन सरकार के बॉन्ड्स पर बेहतर रिटर्न (लाभ)। विश्लेषकों ने कहा है कि 2022 में भी ये स्थिति जारी रहेगी।

दूसरी तरफ, चीन की अर्थव्यवस्था ऊंची महंगाई दर, रियल एस्टेट में गिरावट, और प्राइवेट सेक्टर पर जारी सरकारी बंदिशों से मुश्किल में है। लेकिन लिउ ने कहा कि युवान की मजबूत स्थिति से चीन को बड़ी मदद मिल रही है। युवान की कीमत बढ़ने से दूसरे देशों के सेंट्रल बैंक अधिक मात्रा में इसे अपने भंडार में रखेंगे। इससे चीन का आयात भी सस्ता होगा। उससे चीन को महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। लेकिन अगर युवान की कीमत अधिक चढ़ी, तो चीन से विदेश भेजने वाली उत्पादित वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। उसका असर चीनी निर्यात पर पड़ सकता है।

चीन के 3.9 ट्रिलियन के बॉन्ड्स दूसरे देशों के पास

विश्लेषकों के मुताबिक चीन सरकार के बॉन्ड्स में बढ़ रही अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी एक नया ट्रेंड है। इस साल अप्रैल से नवंबर तक लगातार आठ महीने में युवान में बेचे गए बॉन्ड्स की कीमत बढ़ी। चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के मुताबिक चीन के 3.9 ट्रिलियन (620 बिलियन डॉलर) मूल्य के बॉन्ड्स अब दूसरे देशों के पास हैं। इस ट्रेंड का असर यह हुआ कि अक्तूबर में बॉन्ड के अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स बनाने वाली एजेंसी एफटीएसई रसेल ने चीन सरकार के बॉन्ड्स को अपने फ्लैगशिप सूचकांक में शामिल कर लिया। एफटीएसई रसेल ये सूचकांक वर्ल्ड गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स नाम से जारी करता है। अंतरराष्ट्रीय बेंक एएनजेड ने अनुमान लगाया है कि इस इंडेक्स में शामिल होने के बाद चीनी बॉन्ड्स में 130 बिलियन डॉलर के बराबर निवेश बढ़ेगा। इस बैंक का अंदाजा है कि 2021 खत्म होने तक चीनी बॉन्ड्स में लगी विदेशी निवेशकों की रकम 625 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।

विश्लेषकों का कहना है कि चीनी बॉन्ड्स के खरीदारों की लगी कतार पर तभी लगाम लग सकता है, अगर अमेरिका अपने यहां ब्याज दरें बढ़ाए। लेकिन अभी तक अमेरिका के सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है। इसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्श के एक एनालिस्ट ने हाल में लिखा- ‘हमें युवान के भाव बढ़ने की अभी और उम्मीद है। लेकिन ऐसा अब धीमी रफ्तार से होगा। इसकी वजह यह है कि चीन के प्रमुख व्यापार भागीदार ने अब अपने यहां मुद्रा को नियंत्रित करने की नीति अपनाने लगे हैं।’

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