स्टार्टअप: नवाचार के दम पर दुनिया में बने नंबर-3
महामारी ने देश में स्टार्टअप के रूप में नए कारोबार का सृजन किया। इस साल स्टार्टअप ने न सिर्फ 2 लाख से ज्यादा नौकरियां दीं, बल्कि संक्रमण के दौर में अर्थव्यवस्था को संभालने में भी योगदान किया।
सरकार के प्रयासों के दम पर 2021 में घरेलू स्टार्टअप को 36 अरब डॉलर का निवेश मिला, जो 2020 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। इस साल 33 स्टार्टअप यूनिकॉर्न जिससे बन गए, ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया में नंबर-3 बन गया। खास बात है कि तकनीक और नवाचार की बदौलत मेट्रो शहरों के साथ टियर-1 और टियर-2 क्षेत्रों में भी पिछले तीन साल में स्टार्टअप का विस्तार हुआ है। देश में कुल स्टार्टअप में टियर 1 और टियर-2 शहरों की हिस्सेदारी बढ़कर 45 फीसदी पहुंच गई है।
आईपीओ: तोड़े रिकॉर्ड कायम रहेगा जलवा
तकनीकी कंपनियों के दमदार प्रदर्शन और नए स्टार्टअप आने की बदौलत आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ने इस साल सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। बीते 3 वर्षों में कुल इतने आईपीओ नहीं आए, जितने सिर्फ 2021 में आए। कर्ज चुकाने और कारोबारी विस्तार के लिए 63 कंपनियों ने कुल 1, 18, 704 करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाए। यह पिछले साल 15 आईपीओ से जुटाए 26,613 करोड़ से करीब साढ़े चार गुना है।
आईपीओ का औसत आकार 1,884 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, पेटीएम, स्टारहेल्थ जैसे कुछ बड़े आईपीओ ने निवेशकों को निराश भी किया। इसके बाद आए आईपीओ में एक – दो को छोड़ बाकी नुकसान के साथ सूचीबद्ध हुए।
इस साल दमदार प्रदर्शन के बाद 2022 में आईपीओ से करीब 2 लाख करोड़ जुटाने का अनुमान है । अगले साल आईपीओ के लिए 15 अरब डॉलर का प्रस्ताव पहले ही सेबी को भेजा जा चुका है। 11 अरब डॉलर का प्रस्ताव जल्द भेजे जाने की संभावना है।
एलआईसी पर नजर
नए साल में हर किसी की नजर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ पर है। सरकार इस आईपीओ के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेचेगी इससे 1 लाख करोड़ जुटाने की योजना है। अडानी विल्गर, ओला, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी कंपनियां भी आईपीओ ला सकती हैं।
भारत बनेगा दुनिया की फैक्टरी
इलेक्ट्रॉनिक वाहन उपकरण, सोलर पैनल, बैटरी, खिलौने और उपभोक्ता उत्पाद सहित सैकड़ों सामान के लिए हम दूसरे देशों से आयात पर निर्भर हैं महामारी ने सीमा पार व्यापार पर असर डाला और आयात में कमी की मार महंगाई के रूप में सामने आई। ऐसे में 13 क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की। 1.97 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा देश की विनिर्माण कंपनियों को योजना के तहत इससे भारत को दुनिया की फैक्टरी बनाने का लक्ष्य पूरा होगा। उत्पादन बढ़ने से निर्यात भी 465 अरब डॉलर सालाना के महत्वाकांक्षी स्तर तक पहुंच सकता है।
बुनियादी ढांचा: पूंजी और प्रबंधन से मिलेगी गति
महामारी के कारण पहले ही देरी से चल रही परियोजनाओं का काम और मंद पड़ गया। 439 प्रोजेक्ट की लागत 4.38 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। सरकार ने इसके हल के लिए 15 अगस्त को गति शक्ति योजना शुरू की और 2025 तक 107 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य बनाया।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र की नई परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना का भी ब्लूप्रिंट पेश किया। इसमें सड़क, विमानन, दूरसंचार, रेलवे सहित 13 क्षेत्रों से 2024 25 तक 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। यह 2 लाख करोड़ की विनिवेश योजना से अलग है।
बैंकिंग : मुनाफे की राह में एनपीए बना चुनौती
बैंकों पर फंसे कर्ज का बोन घटाने के लिए बैंड बैंक बनाया और 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी भी दो 2 लाख करोड़ के एनपीए का समाधान निकाला जाएगा।
सरकारी बैंकों ने पहली दूसरी छमाही में मोटा मुनाफा कमाया। पहली तिमाही 14,012 करोड़ तो दूसरी में 17,132 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है। लिहाजा पहली छमाही का शुद्ध लाभ ही पिछले पूरे साल के 31,820 करोड़ के मुनाफे के करीब है।
एनपीए भी घटकर 8.35 लाख करोड़ रह गया लेकिन रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज की राशि दोबारा बढ़ने की चेतावनी दी है और मार्च 2022 तक 9.80% एनपीए का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट घटाकर बैंकों को पूंजी मुहैया कराई । इससे 9 लाख करोड़ की अतिरिक्त पूंजी मिली।
बैंकों पर फंसे कर्ज का बोन घटाने के लिए बैंड बैंक बनाया और 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी भी दो 2 लाख करोड़ के एनपीए का समाधान निकाला जाएगा।