Desh

UP Election 2022: हर लहर से बेअसर कैसे रहा कुंडा का किला, राजा भैया के जीत की वजह क्या?

सार

राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजा भैया की कथित तौर पर बाहुबली की छवि है। हालांकि राजा भैया खुद को बाहुबली मानने से इनकार करते हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम प्रदेश की सियासत में कई नए चैप्टर खोल रहा है। जहां मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी सिर्फ एक ही सीट पर सिमट गई वहीं दूसरी तरफ रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया  की नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक  ने बाबागंज  और कुंडा  सीट से जीत दर्ज की है। 

राजा भैया अब तक निर्दलीय ही चुनाव लड़ते आए थे, इस बार वह अपनी पार्टी से विधायक बने हैं। वहीं उनके साथ बाबागंज सीट से विनोद कुमार ने भी जीत हासिल की है। 

कुंडा राजा भैया का अभेद्य किला क्यों?
प्रतापगढ़ जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में से एक कुंडा सीट राजा भैया की वजह से हमेशा चर्चा में रहती है। 

कुंडा विधानसभा सीट से रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया लगातार 1993 से यहां निर्दलीय विधायक हैं। 

प्रदेश में सत्ता किसी की भी रही हो कुंडा की सत्ता राजा भैया के पास ही रही, इसलिए वे यहां मजबूत होते चले गए।

कहा जाता है कि अब तक भाजपा और सपा से उन्हें समर्थन मिलता रहा, इसलिए कुंडा में उनका जनाधार मजबूत होता चला गया।

वे दूसरी जातियों के युवाओं में भी लोकप्रिय रहे। वे दावा करते हैं कि वे अपनी क्षेत्र की जनता के प्यार की बदौलत चुनाव जीतते हैं। 

उनका राजनीतिक करियर ऐसा रहा है कि वे कुंडा से कभी चुनाव नहीं हारे। 
 
कुंडा में हराना मुश्किल?
उन्हें भदरी रियासत का राजकुमार कहा जाता है जिन्हें कुंडा में हराना बहुत मुश्किल है।

सपा से नजदीकी के कारण पिछले डेढ़ दशक से सपा कुंडा में राजा भैया के समर्थन में कोई प्रत्याशी नहीं उतारती रही।

माना गया कि वे इस वजह से भी हर बार आसानी से कुंडा सीट से चुनाव जीतते रहे। 

लेकिन कहा गया कि तीन दशक में पहली बार राजा भैया के लिए चुनौती पैदा हुई, जिसे उन्होंने पार कर लिया।

क्या बादशाहत कम हो गई?
हालांकि इस चुनाव में वे महज 30 हजार वोटों से जीते हैं, इसलिए कहा जा रहा है कि उनकी सियासी बादशाहत कम हो गई।

राजा भैया को जहां 99,612 वोट मिले वहीं सपा के गुलशन यादव को 69,297 वोट प्राप्त हुए है।

इस बार वे अपनी पार्टी जनसत्ता दल से ही कुंडा से चुनाव लड़े और सातवीं बार यहां से जीत गए।

इस सीट पर सपा ने उनके करीबी रहे गुलशन यादव को चुनावी मैदान में उतारा था। 

कुंडा सीट पर रघुराज के सियासी तिलस्म को तोड़ने के लिए सपा ने गुलशन यादव को मैदान में उतारा था। 
 
उनकी जीत का अंतर पहले 60,000 से 80,000 वोटों के बीच रहा है। 

2012 के चुनाव में तो यह 88,000 वोटों को पार कर गया था, जो कि प्रदेश में सबसे ज्यादा है।

वे हर चुनावों में अपनी जीत का मार्जिन बढ़ाते रहने को लेकर चर्चित रहे हैं। पर इस बार वे अपना पुराना रिकॉर्ड बचाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।

बाहुबली की छवि
राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजा भैया की कथित तौर पर बाहुबली की छवि है। हालांकि राजा भैया खुद को बाहुबली मानने से इनकार करते हैं।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राजा भैया के खिलाफ प्रतापगढ़ के कुंडा और महेशगंज पुलिस थाने के साथ-साथ प्रयागराज, रायबरेली और राजधानी लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं के तहत कुल 47 मामले दर्ज हैं।

2007 में दिए उनके हलफनामे के मुताबिक उनके ऊपर 4 मुकदमे दर्ज थे। जबकि 2012 में उनके ऊपर 8 मुकदमे दर्ज थे। 2017 से 2022 तक राजा भैया पर सिर्फ एक मुकदमा है।
करोड़ों की संपत्ति के मालिक
वे करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं कुंडा स्थित बेंती किला किसी सपने से कम नहीं है।

इस साल नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए राजा भैया के हलफनामे के मुताबिक वे 15 करोड़ 78 लाख 54 हजार 38 रुपये के मालिक हैं। 

वहीं साल 2017 में राजा भैया की संपत्ति 14 करोड़ 25 लाख 84 हजार 83 रुपये थी।

उनके पास साढ़े 3 किलो सोना, 26 किलो चांदी है। वहीं, पत्नी के नाम 4 किलो सोना,10 किलो 509 ग्राम चांदी है।

योगी राज में उनकी कमाई की रफ्तार काफी कम रही है। 2017 से 2022 के बीच उनकी संपत्ति सिर्फ डेढ़ गुना रफ्तार से ही बढ़ी है।

जबकि 2012 से 2017 के बीच उनकी कमाई दो गुना बढ़ गई।

सत्ता का स्वाद चखा
राजा भैया भले ही अब तक निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे हों लेकिन उन्होंने सत्ता का स्वाद कई बार चखा। भाजपा की कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, रामप्रकाश गुप्ता से लेकर सपा के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री बने थे। हालांकि 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन कर आए तो राजा भैया इस सरकार का हिस्सा नहीं रहे।

राजा भैया अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव दोनों की ही सरकारों में मंत्री रहे हैं। लेकिन साल 2018 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच के रिश्ते बिगड़ गए। जिसके बाद राजा भैया ने अपनी खुद की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बना ली। 2002 में तत्कालीन सीएम मायावती ने राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) में गिरफ्तार करवाया था। इसके बाद उन्होंने देशभर में सुर्खियां बटोरी।

विस्तार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम प्रदेश की सियासत में कई नए चैप्टर खोल रहा है। जहां मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी सिर्फ एक ही सीट पर सिमट गई वहीं दूसरी तरफ रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया  की नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक  ने बाबागंज  और कुंडा  सीट से जीत दर्ज की है। 

राजा भैया अब तक निर्दलीय ही चुनाव लड़ते आए थे, इस बार वह अपनी पार्टी से विधायक बने हैं। वहीं उनके साथ बाबागंज सीट से विनोद कुमार ने भी जीत हासिल की है। 

कुंडा राजा भैया का अभेद्य किला क्यों?

प्रतापगढ़ जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में से एक कुंडा सीट राजा भैया की वजह से हमेशा चर्चा में रहती है। 

कुंडा विधानसभा सीट से रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया लगातार 1993 से यहां निर्दलीय विधायक हैं। 

प्रदेश में सत्ता किसी की भी रही हो कुंडा की सत्ता राजा भैया के पास ही रही, इसलिए वे यहां मजबूत होते चले गए।

कहा जाता है कि अब तक भाजपा और सपा से उन्हें समर्थन मिलता रहा, इसलिए कुंडा में उनका जनाधार मजबूत होता चला गया।

वे दूसरी जातियों के युवाओं में भी लोकप्रिय रहे। वे दावा करते हैं कि वे अपनी क्षेत्र की जनता के प्यार की बदौलत चुनाव जीतते हैं। 

उनका राजनीतिक करियर ऐसा रहा है कि वे कुंडा से कभी चुनाव नहीं हारे। 

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: