वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद।
Published by: मेघा चौधरी
Updated Tue, 22 Feb 2022 12:53 PM IST
सार
पाकिस्तान में आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर साल महिलाओं की ओर से ‘औरत मार्च’ निकाली जाती है। इस बार महिलाएं औरत मार्च निकालने की तैयारी कर रही हैं तो वहीं इमरान खान की सरकार हिजाब पहनकर उनके प्रयासों को विफल करने की कोशिश कर रही है।
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विस्तार
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हर साल पाकिस्तान की महिलाओं की ओर से औरत मार्च निकाली जाती है, इसको लेकर धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान से आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय हिजाब दिवस मनाने की घोषणा करने की अपील की है। मंत्री ने आगे कहा कि 2018 से हर साल पाकिस्तान में होने वाली औरत मार्च इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार, कादरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान को भेजे गए अपने पत्र में संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित अंतरराष्ट्रीय दिवस की स्थिति को बदलने के लिए सुझाव भी दिए हैं, जिसका उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाना है।
पत्र में आगे लिखा था कि किसी भी संगठन का हक नहीं बनता कि वह औरत मार्च या अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर या फिर किसी भी आयोजन में इस्लामी मूल्यों, समाज के मानदंडों, हिजाब और देश की महिलाओं की विनम्रता पर सवाल उठाए, क्योंकि ये कृत्य मुसलमानों की भावनाओं को आहात करते हैं।
POREG की रिपोर्ट में बताया गया है कि कादरी के बयान की महिला सांसदों, राजनायिकों और नागरिक समाज के लोगों ने आलोचना की, जिसके बाद कादरी ने स्पष्टीकरण पेश कर कहा कि अधिकारों के नाम पर अश्लीलता और गुंडागर्दी करने की इजाजत किसी भी परिस्थिति में नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में मैंने पाकिस्तान की सामूहिक सोच को दर्शाया है।
क्यों निकाली जाती है औरत मार्च
हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर औरत मार्च निकालकर पाकिस्तान में महिलाओं को होने वाली परेशानी को दर्शाया जाता है। 2018 में कराची में पहली बार औरत मार्च का आयोजन किया गया था।
महिलाओं को किया जा रहा जागरूक
थिंक टैंक के अनुसार पिछले चार सालों में शिक्षित शहरी महिलाएं, मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और पाकिस्तान के शिक्षाविदों में से कई ने महिलाओं की निराशाजनक स्थिति के प्रति जागरूक करने को सड़कों और सोशल मीडिया के माध्यम से औरत मार्च का उपयोग किया है।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में कुप्रथा ने कट्टर प्रतिद्वंद्वियों को भी एकजुट कर दिया है। विडंबना यह है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार और विपक्षी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) दोनों ‘औरत मार्च’ का विरोध करने के लिए एक साथ आ गए हैं।