वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 18 Jan 2022 04:49 AM IST
सार
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कायम होने के बाद विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान के एनएसए कल यानी मंगलवार को दो दिवसीय काबुल दौरे पर जाने वाले हैं।
पाकिस्तान के एनएसए मोइद यूसुफ
– फोटो : twitter.com/yusufmoeed
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विस्तार
अपनी दो दिवसीय काबुल यात्रा के दौरान यूसुफ अफगानिस्तान में मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। दशकों से हिंसा और संघर्ष से पीड़ित रहे अफगानिस्तान में पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद से हालात और गंभीर हुए हैं और यहां के मानवीय संकट को हल करने के लिए संयुक्त जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से चिंता जताई जा चुकी है।
अफगानिस्तान की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मांगे हैं पांच अरब डॉलर
बीती 13 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी थी कि लाखों अफगान नागरिक मौत की कगार पर हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन हालात को देखते हुए मदद की मांग करते हुए कहा था कि हमें 2022 में यहां मानवीय समस्याओं को दूर करने के लिए और देश को बेहतर भविष्य देने के लिए पांच अरब डॉलर की जरूरत है।
शिक्षित-प्रशिक्षित अफगान शरणार्थियों को स्थानांतरित करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि वह उन अफगान शरणार्थियों को स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं जो पाकिस्तान में शिक्षित और प्रशिक्षित हैं। अधिकारियों का कहना है कि डूरंड रेखा पर सीमा पर बाड़ के मुद्दे पर भी एनएसए की यात्रा को दौरान चर्चा की जाएगी। इस मामले पर इस्लामाबाद और काबुल के बीच शुरू से ही विवाद की स्थिति रही है।
2670 किलोमीटर लंबी इस सीमा रेखा पर बाड़ लगाने का करीब 90 फीसदी काम पाकिस्तान पूरा कर चुका है। हालांकि, अफगानिस्तान की ओर से सदियों पुरानी इस ब्रिटिश काल की सीमा रेखा को लेकर आपत्ति जताई जाती रही है। इसे लेकर अफगानिस्तान का कहना है कि इस कदम से दोनों ही देशों के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में हालात को लेकर जताई है गंभीर चिंता
दशकों से संघर्ष और अस्थिरता का सामना कर रहे अफगानिस्तान की सत्ता पर पिछले साल अगस्त में तालिबान ने नियंत्रण पा लिया था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि तालिबान के कब्जे में आने के बाद अफगानिस्तान भले ही स्थिर दिख रहा है लेकिन यहां आधी आबादी अभी भी भुखमरी से पीड़ित है और किसानों को सूखे की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।