पीएम ने आगे तमिलनाडु में हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह पर भी बात की। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था– ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना। ये भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य भी है। मां भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का..
वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए। ” वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया | उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया। वरुण जब अस्पताल में थे, उस समय मैंने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा देखा, जो मेरे ह्रदय को छू गया।
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपनी असफलताओं पर बात की
पीएम ने कहा कि इस साल अगस्त में वरुण सिंह को शौर्य चक्र दिया गया था | इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहाँ के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक सेलिब्रेशन बने। इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुँच कर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले। जब उनके पास सेलिब्रेट करने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की। अपने पत्र में वरुण सिंह जी ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की। कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला।
बुक रीडिंग को लोकप्रिय बनाने का हो प्रयास
पीएम ने कहा कि ऐसे समय में जब हमारा स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, बुक रीडिंग अधिक से अधिक लोकप्रिय बने, इसके लिए भी हमें मिलकर प्रयास करना होगा | उन्होंने जनता से अपील की कि सभी उन पांच किताबों के बारे में बनाएं जो आपकी पसंदीदा रही हैं। इस तरह से आप 2022 में दूसरे पाठकों को अच्छी किताबें चुनने में भी मदद कर सकेंगे। आगे कहा कि आजकल मैं देखता हूं कि लोग ये गर्व से बताते हैं इस साल मैंने इतनी किताबें पढ़ीं और अब आगे ये किताबें पढ़नी हैं। ये एक अच्छा ट्रेंड है, जिसे और बढ़ावा देना चाहिए। क्योंकि, किताबें सिर्फ ज्ञान ही नहीं देतीं बल्कि व्यक्तित्व भी संवारती हैं, जीवन को भी गढ़ती हैं | किताबें पढ़ने का शौक एक अद्भुत संतोष देता है |
भारतीय संस्कृति के बारे में जानना चाहते हैं दुनिया के लोग
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा आज दुनियाभर में भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। अलग-अलग देशों के लोग न सिर्फ हमारी संस्कृति के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं, बल्कि उसे बढ़ाने में भी मदद कर रहे हैं। मंगोलिया के 93 साल के प्रोफेसर जे.गेंदेधरम ने पिछले चार दशकों में भारत के करीब 40 प्राचीन ग्रंथों, महाकाव्यों व रचनाओं का मंगोलियन भाषा में अनुवाद किया है। सर्बियन स्कॉलर डॉ. मोमिर निकिच ने 70 की उम्र में संस्कृत भाषा सीखी है। इन्होंने तो एक बाइलिंगुअल डिक्शनरी भी तैयार की है। इसमें संस्कृत के 70 हजार से अधिक शब्दों का सर्बियन भाषा में अनुवाद किया गया है।