सार
हाई कोर्ट में याचिका में दायर करते हुए अभिनेत्री ने उनके खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
बॉलीवुड की पंगा गर्ल कंगना रणौत ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट में याचिका में दायर करते हुए अभिनेत्री ने उनके खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की। कंगना पर मुंबई पुलिस ने सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को लेकर दिए गए खालिस्तान वाले बयान के बाद मामला दर्ज किया था।
कंगना पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं, अब रणौत ने “गलत तरीके से दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करके अपने वैध अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए” उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ धारा 295 ए के तहत मामला नहीं बनता है।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि अभिनेत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए, उसने कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद प्रतिबंधित संगठन के कृत्यों की कड़ी निंदा की।
कंगना के विवादित बयान पर देश भर में कंगना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थीं। वहीं, संबंधित वर्ग को लोगों ने भी इस बयान को लेकर कड़ी निंदा की थी। साथ ही कई लोगों से उनका विरोध भी किया था।
कंगना रणौत ने किसान मुद्दे को लेकर अपने फेसबुक अकाउंट से एक विवादित पोस्ट लिखा था। उन्होंने लिखा था, ‘खालिस्तानी आतंकवादी आज भले ही सरकार का हाथ मरोड़ रही हो, लेकिन उस महिला (इंदिरा गांधी) को नहीं भूलना चाहिए, जिसने अपनी जूती के नीचे इन्हें कुचल दिया था, लेकिन अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया, मगर देश के टुकड़े नहीं होने दिए, उनकी मृत्यु के दशक के बाद भी, आज भी उसके नाम से कांपते हैं ये, इनको वैसा ही गुरु चाहिए।
विस्तार
बॉलीवुड की पंगा गर्ल कंगना रणौत ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट में याचिका में दायर करते हुए अभिनेत्री ने उनके खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की। कंगना पर मुंबई पुलिस ने सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को लेकर दिए गए खालिस्तान वाले बयान के बाद मामला दर्ज किया था।
कंगना पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं, अब रणौत ने “गलत तरीके से दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करके अपने वैध अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए” उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ धारा 295 ए के तहत मामला नहीं बनता है।
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