वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 09 Feb 2022 07:42 PM IST
सार
सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक जेएफ-17 विमानों में ऐसी क्षमता है कि हमला करते वक्त उन्हें किसी खास दिशा में रखने की जरूरत नहीं होगी। वे जिस स्थिति में होंगे, वहीं से निशाना साध सकेंगे। उससे दागी जाने वाली मिसाइलें अपनी गति, दिशा, और मारक शक्ति को जरूरत के हिसाब से एडजस्ट करने में सक्षम होंगी। पाकिस्तान वायु सेना का दावा है कि इससे उसकी मारक क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी…
देश के गहरे आर्थिक संकट में फंसे होने के बावजूद पाकिस्तान हथियारों की होड़ में आगे बढ़ रहा है। ताजा खबरों के मुताबिक पाकिस्तान की वायु सेना को अगले महीने 50 जेएफ-17 लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। ये विमान चीन और पाकिस्तान ने मिल कर विकसित किए हैं। बताया जाता है कि इन विमानों के आने से पाकिस्तानी वायु सेना की मिसाइल रक्षा प्रणाली काफी पुख्ता हो जाएगी। साथ ही पाक वायु सेना पुराने लड़ाकू विमानों को रिटायर करने की स्थिति में पहुंच जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक जेएफ-17 लड़ाकू विमानों का पहला प्रदर्शन अगले 23 मार्च को होगा। 23 मार्च को पाकिस्तान अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। उस मौके पर होने वाली सैनिक परेड का खास आकर्षण इस बार यही लड़ाकू विमान होंगे।
उन्नत जेएफ-17 विमान में है ये खूबी
खबरों के मुताबिक जेएफ-17 विमानों को बनाने का काम 1980 के दशक में शुरू हुआ था। तब इसके लिए चीन और पाकिस्तान ने 50 करोड़ डॉलर के निवेश से एक साझा उद्यम स्थापित किया था। 2007 से इस श्रेणी के विमान पाकिस्तानी वायु सेना में शामिल हुए। 2020 में 26 नए विमान शामिल हुए। लेकिन अब जो विमान शामिल होने जा रहे हैं, वे उन सब विमानों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत किस्म के हैं।
सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक इन विमानों में ऐसी क्षमता है कि हमला करते वक्त उन्हें किसी खास दिशा में रखने की जरूरत नहीं होगी। वे जिस स्थिति में होंगे, वहीं से निशाना साध सकेंगे। उससे दागी जाने वाली मिसाइलें अपनी गति, दिशा, और मारक शक्ति को जरूरत के हिसाब से एडजस्ट करने में सक्षम होंगी। पाकिस्तान वायु सेना का दावा है कि इससे उसकी मारक क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी। अब तक ऐसी क्षमता उसके पास नहीं रही है।
एस-400 मिसाइल सिस्टम से करेंगे मुकाबला
इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक पर्सपेक्टिव में रिसर्च एसोसिएट तैमूर फहद खान ने टोक्यो से चलने वाली वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा कि कई भूमिकाएं निभा सकने में सक्षम इन लड़ाकू विमानों के आने से भारत की नई एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के खिलाफ पाकिस्तान वायु सेना की क्षमता में सुधार होगा। उन्होंने कहा- इन विमानों में ऐसी क्षमता है, जिनकी वजह से उन्हें एस-400 का मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है।
विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि चीन लगातार पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बढ़ाने में लगा हुआ है। बल्कि अब चीन ने पाकिस्तान को मिलिटरी हार्डवेयर के निर्यात में सक्षम बना दिया है। हाल में पाकिस्तान ने म्यांमार और नाइजीरिया को ऐसे निर्यात किए हैं। इन दोनों देशों ने जेएफ-17 लड़ाकू विमान खरीदे हैं, जिनसे संबंधित कुछ हार्डवेयर पाकिस्तान से निर्यात किए गए। एक ताजा खबर के मुताबिक अर्जेंटीना ने भी इन विमानों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि रक्षा मामलों में पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। अब वह हर तरह के रक्षा सिस्टम के लिए चीन पर निर्भर हो गया है। जबकि दक्षिण एशिया के दूसरे देशों ने हथियार और सैन्य उपकरणों के लिए अपने तमाम दूसरे विकल्प भी खुले रखे हैं। यह पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती है। विश्लेषकों के मुताबिक इस कमी के रहते पाकिस्तान भारत से बढ़त पाने में सफल नहीं हो पाएगा।
विस्तार
देश के गहरे आर्थिक संकट में फंसे होने के बावजूद पाकिस्तान हथियारों की होड़ में आगे बढ़ रहा है। ताजा खबरों के मुताबिक पाकिस्तान की वायु सेना को अगले महीने 50 जेएफ-17 लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। ये विमान चीन और पाकिस्तान ने मिल कर विकसित किए हैं। बताया जाता है कि इन विमानों के आने से पाकिस्तानी वायु सेना की मिसाइल रक्षा प्रणाली काफी पुख्ता हो जाएगी। साथ ही पाक वायु सेना पुराने लड़ाकू विमानों को रिटायर करने की स्थिति में पहुंच जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक जेएफ-17 लड़ाकू विमानों का पहला प्रदर्शन अगले 23 मार्च को होगा। 23 मार्च को पाकिस्तान अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। उस मौके पर होने वाली सैनिक परेड का खास आकर्षण इस बार यही लड़ाकू विमान होंगे।
उन्नत जेएफ-17 विमान में है ये खूबी
खबरों के मुताबिक जेएफ-17 विमानों को बनाने का काम 1980 के दशक में शुरू हुआ था। तब इसके लिए चीन और पाकिस्तान ने 50 करोड़ डॉलर के निवेश से एक साझा उद्यम स्थापित किया था। 2007 से इस श्रेणी के विमान पाकिस्तानी वायु सेना में शामिल हुए। 2020 में 26 नए विमान शामिल हुए। लेकिन अब जो विमान शामिल होने जा रहे हैं, वे उन सब विमानों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत किस्म के हैं।
सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक इन विमानों में ऐसी क्षमता है कि हमला करते वक्त उन्हें किसी खास दिशा में रखने की जरूरत नहीं होगी। वे जिस स्थिति में होंगे, वहीं से निशाना साध सकेंगे। उससे दागी जाने वाली मिसाइलें अपनी गति, दिशा, और मारक शक्ति को जरूरत के हिसाब से एडजस्ट करने में सक्षम होंगी। पाकिस्तान वायु सेना का दावा है कि इससे उसकी मारक क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी। अब तक ऐसी क्षमता उसके पास नहीं रही है।
एस-400 मिसाइल सिस्टम से करेंगे मुकाबला
इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक पर्सपेक्टिव में रिसर्च एसोसिएट तैमूर फहद खान ने टोक्यो से चलने वाली वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा कि कई भूमिकाएं निभा सकने में सक्षम इन लड़ाकू विमानों के आने से भारत की नई एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के खिलाफ पाकिस्तान वायु सेना की क्षमता में सुधार होगा। उन्होंने कहा- इन विमानों में ऐसी क्षमता है, जिनकी वजह से उन्हें एस-400 का मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है।
विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि चीन लगातार पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बढ़ाने में लगा हुआ है। बल्कि अब चीन ने पाकिस्तान को मिलिटरी हार्डवेयर के निर्यात में सक्षम बना दिया है। हाल में पाकिस्तान ने म्यांमार और नाइजीरिया को ऐसे निर्यात किए हैं। इन दोनों देशों ने जेएफ-17 लड़ाकू विमान खरीदे हैं, जिनसे संबंधित कुछ हार्डवेयर पाकिस्तान से निर्यात किए गए। एक ताजा खबर के मुताबिक अर्जेंटीना ने भी इन विमानों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि रक्षा मामलों में पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। अब वह हर तरह के रक्षा सिस्टम के लिए चीन पर निर्भर हो गया है। जबकि दक्षिण एशिया के दूसरे देशों ने हथियार और सैन्य उपकरणों के लिए अपने तमाम दूसरे विकल्प भी खुले रखे हैं। यह पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती है। विश्लेषकों के मुताबिक इस कमी के रहते पाकिस्तान भारत से बढ़त पाने में सफल नहीं हो पाएगा।
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