न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sat, 08 Jan 2022 11:08 AM IST
सार
तेंदुओं की यह प्रजाति लुप्तप्राय है, इसलिए नागालैंड के पहाड़ों में यह नजर आने पर वन्य जीव प्रेमियों को बड़ी खुशी मिली है।
नागालैंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पहली बार दिखा धूमिल तेंदुआ
– फोटो : social media
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विस्तार
जहां धूमिल तेंदुआ मिला है, वह इलाका भारत-म्यांमार सीमा से जुड़ा हुआ है। विश्व के कुछेक इलाकों में ही इतनी ऊंचाई पर तेंदुए मिले हैं। तेंदुओं की यह प्रजाति लुप्तप्राय है, इसलिए नागालैंड के पहाड़ों में यह नजर आने पर वन्य जीव प्रेमियों को बड़ी खुशी मिली है। वन्य जीव शोधकर्ताओं ने धूमिल तेंदुओं को लेकर की गई अपनी शोध रिपोर्ट हाल ही में ‘कैट न्यूज’ के शीतकालीन सत्र 2021 में प्रकाशित की है।
यह दुर्लभ तेंदुआ नियोफिलिस निबुलोसा वर्ग का है। यह तेंदुए की सबसे छोटी प्रजाति है। इन तेंदुओं को पेड़ों पर चढ़ने में महारथ हासिल है। आईयूसीएन की वन्य जीवों की सूची में यह प्रजाति लुप्तप्राय होकर खतरे में है। धूमिल तेंदुए की ताजा तस्वीरें पूर्वी नागालैंड के किफिर जिले के थानामीर गांव के जंगल में खींची गई थीं।
ग्रामीण कहते हैं बादल वाले तेंदुए
इन तेंदुओं को नागालैंड के ग्रामीण ‘बादल वाले तेंदुए’ या ‘खेफक’ कहते हैं। खेपक का अर्थ होता है भूरे रंग की बड़ी बिल्ली। शोधार्थियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन्हें दो वयस्क व दो शावक तेंदुए नजर आए हैं। टीम ने माउंट सरमती की चोटी के करीब 3,700 मीटर पर पेड़ पर रखे एक कैमरे से इनकी तस्वीरों को लिया। रिपोर्ट को राम्या नायर, एलेम्बा यिमखिउंग, हैंकिमोंग यिमखिउंग, कियानमोंग यिमखिउंग, यापमुली यिमखिउंग, तोशी वुंगटुंग, अविनाश बस्कर और साहिल निझावन ने तैयार किया है। दुर्लभ और बादल वाले तेंदुओं के बारे में कहा गया है कि नागालैंड में इनकी आबादी अब बढ़ सकती है।
