टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Thu, 27 Jan 2022 05:20 PM IST
सार
यह मैलवेयर 30 से अधिक खामियों का फायदा उठा सकता है जो कि Linksys, D-Link, Netgear और ZTE जैसी कंपनियों के डिवाइस में मौजूद हैं।
यदि आप भी वाई-फाई के लिए राउटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसी राउटर के जरिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। हैकर्स ने आईओटी डिवाइस और राउटर का सोर्स कोड GitHub पर अपलोड कर दिया है जिसका मतलब यह है कि हैकर इसका इस्तेमाल साइबर अटैक के लिए कर सकते हैं।
AT&T Alien लैब के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले इसे लेकर जानकारी दी थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक नया मैलवेयर एक्टिव हो गया है जो कि काफी खतरनाक है और इसका नाम BotenaGo रखा गया है। इस मैलवेयर को Go प्रोग्रामिंग लैग्वेज में लिखा गया है। यह मैलवेयर 30 से अधिक खामियों का फायदा उठा सकता है जो कि Linksys, D-Link, Netgear और ZTE जैसी कंपनियों के डिवाइस में मौजूद हैं।
BotenaGo को खासतौर पर रिमोट एक्सेस के लिए डिजाइन किया गया है। इसका सोर्स कोड GitHub पर सार्वजनिक कर दिया गया है। यह मैलवेयर आईपी एड्रेस और वॉयस कमांड के जरिए भी अपना काम कर सकता है। बड़ी बात यह है कि इस मैलवेयर को कुल 60 एंटीवायरस में से महज तीन ही डिटेक्ट कर सकते हैं। इससे पहले 2016 में मिराई के सोर्स कोड भी सार्वजनिक किया गया था जिसके बाद सटोरी, मूबोट और मसुता जैसे मिराई के कई वेरियंट सामने आए जिन्होंने लाखों IoT डिवाइस को अपना शिकार बनाया।
BotenaGo जिन कई कमजोरियों का फायदा उठा सकता है उनमें डी-लिंक वायरलेस राउटर में सीवीई-2015-2051, नेटगियर के प्रोडक्ट में सीवीई-2016-1555, लिंक्सिस में सीवीई-2013-3307 और जेडटीई केबल में सीवीई-2014-2321 शामिल हैं।
विस्तार
यदि आप भी वाई-फाई के लिए राउटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसी राउटर के जरिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। हैकर्स ने आईओटी डिवाइस और राउटर का सोर्स कोड GitHub पर अपलोड कर दिया है जिसका मतलब यह है कि हैकर इसका इस्तेमाल साइबर अटैक के लिए कर सकते हैं।
AT&T Alien लैब के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले इसे लेकर जानकारी दी थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक नया मैलवेयर एक्टिव हो गया है जो कि काफी खतरनाक है और इसका नाम BotenaGo रखा गया है। इस मैलवेयर को Go प्रोग्रामिंग लैग्वेज में लिखा गया है। यह मैलवेयर 30 से अधिक खामियों का फायदा उठा सकता है जो कि Linksys, D-Link, Netgear और ZTE जैसी कंपनियों के डिवाइस में मौजूद हैं।
BotenaGo को खासतौर पर रिमोट एक्सेस के लिए डिजाइन किया गया है। इसका सोर्स कोड GitHub पर सार्वजनिक कर दिया गया है। यह मैलवेयर आईपी एड्रेस और वॉयस कमांड के जरिए भी अपना काम कर सकता है। बड़ी बात यह है कि इस मैलवेयर को कुल 60 एंटीवायरस में से महज तीन ही डिटेक्ट कर सकते हैं। इससे पहले 2016 में मिराई के सोर्स कोड भी सार्वजनिक किया गया था जिसके बाद सटोरी, मूबोट और मसुता जैसे मिराई के कई वेरियंट सामने आए जिन्होंने लाखों IoT डिवाइस को अपना शिकार बनाया।
BotenaGo जिन कई कमजोरियों का फायदा उठा सकता है उनमें डी-लिंक वायरलेस राउटर में सीवीई-2015-2051, नेटगियर के प्रोडक्ट में सीवीई-2016-1555, लिंक्सिस में सीवीई-2013-3307 और जेडटीई केबल में सीवीई-2014-2321 शामिल हैं।
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