ओशो की निकटतम शख्सीयतों में से एक आनंद शीला पर यह डॉक्यूमेंट्री करण जौहर ने बनाई है। ये फिल्म आनंद शीला की छवि सुधारने की वैसी ही कोशिश हैं जैसी इससे पहले करण की खासमखास दोस्त एकता कपूर फिल्म ‘अजहर’ में अजहरूद्दीन के लिए कर चुकी हैं। आनंद शीला को उसके अनुयायी मां कहकर बुलाते हैं लेकिन अमेरिकी पुलिस के रिकॉर्ड में जो कुछ मौजूद है उनमें इस महिला का चेहरा कुछ अलग ही नजर आता है। कंटेंट के लिहाज से भारत में सबसे ज्यादा विवादित सीरीज ‘सैक्रेड गेम्स’ बनाने वाले ओटीटी नेटफ्लिक्स ने इसी महिला के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री ‘वाइल्ड वाइल्ड कंट्री’ पहले भी बना रखी है।
4. सीक्रेट्स ऑफ सिनौली- डिस्कवरी ऑफ द सेंचुरी
ओटीटी: डिस्कवरी प्लस
डॉक्यूमेंट्री ‘सीक्रेट्स ऑफ सिनौली- डिस्कवरी ऑफ द सेंचुरी’ का निर्माण नीरज पांडे ने किया है। नीरज और मनोज अब तक ‘स्पेशल 26’, ‘अय्यारी’, ‘नाम शबाना’, ‘सात उचक्के’ जैसी फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं। यह डॉक्यूमेंट्री बागपत, उत्तर प्रदेश के पास सिनौली नामक जगह पर हुई खुदाई में निकली चीजों के बारे में हैं। महाभारत काल की चीजों में सबसे महत्वपूर्ण रहा यहां रथों का मिलना। इससे ये साबित होता है कि घोड़ों का प्रयोग भारत में साढ़े पांच हजार साल पहले से होता रहा है औऱ उनके अरब से लाकर यहां मानवीय प्रयोग में रखे जाने की इतिहास में लिखी बात निराधार है।
3. हाउस ऑफ सीक्रेट्स
ओटीटी
: नेटफ्लिक्स
लीना यादव और अनुभव चोपड़ा की बनाई डॉक्यू सीरीज साल 2021 में रिलीज हुई डॉक्यूमेंट्रीज में तीसरे नंबर पर है। तीन हिस्सों में बंटी ये सीरीज दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की दर्दनाक मौत के कारणों की खोज करने की कोशिश करती है। फिल्म को देखना अपने आप में एक अलग ही अनुभव है क्योंकि ये डॉक्यूमेंट्री घटना होने के बाद दिवंगतों के परिचितों, इस घटना को कवर करने वाले पत्रकारों व इसकी तफ्तीश करने वाले पुलिसजनों के जरिये पूरी घटना का बहुत ही लोमहर्षक विवरण पेश करती है।
राइटिंग विद फायर
– फोटो : अमर उजाला मुंबई
2. राइटिंग विद फायर
ओटीटी:
अभी तय नहीं
तमाम विदेशी फिल्म निर्माण कंपनियों और फिल्मों में निवेश करने वाली संस्थाओं के सहयोग से बनी सुष्मित घोष और रिंटू थॉमस की डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ एक ऐसे भारतीय मीडिया संस्थान कहानी कहती है जिसे सिर्फ दलित महिलाएं निकालती हैं। इसकी चीफ रिपोर्टर मीरा के साथ साथ घूमता फिल्ममेकर्स का कैमरा उन घटनाओं का चश्मदीद बनता है जिनके जरिये उत्साही महिलाओं की एक टीम रुढ़ियों को तोड़ने में लगी है। ये फिल्म देश दुनिया के तमाम फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाई जा चुकी है।