न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 16 Mar 2022 10:57 PM IST
सार
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मानवीय आधार पर राहत की अपील को खारिज कर दिया। शिविंदर ने अपने मामा के अंतिम संस्कार में शामिल होने और बीमार मां की मदद के लिए जमानत मांगी थी।
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विस्तार
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मानवीय आधार पर राहत की अपील को खारिज कर दिया। शिविंदर ने अपने मामा के अंतिम संस्कार में शामिल होने और बीमार मां की मदद के लिए जमानत मांगी थी।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उसकी जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा, वह 2400 करोड़ रुपये के हेरफेर में आरोपी है और रिहा करने पर उसके फरार होने का खतरा है। जिसके बार पीठ ने फैसला सुनाया, गंभीर आरोपों के मद्देनजर ऐसा संभव है कि राहत दिए जाने पर आरोपी फरार हो सकता है। इसलिए उसकी अंतरिम जमानत अर्जी खारिज की जाती है।
