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सियासी ड्रामा: स्पीकर के इस्तीफे ने आसान की विपक्ष की राह, विदेशी ताकतों की साजिश का मोहरा नहीं बनना, ये कहते हुए छोड़ा पद

एजेंसी, इस्लामाबाद।
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 10 Apr 2022 05:01 AM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 12 बजे से पहले प्रस्ताव पर मतदान कराया जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कैसर और सूरी पर अदालती अवमानना की तलवार लटक रही थी। ऐसे में 12 बजे से ठीक पहले कैसर ने यह कहते हुए इस्तीफा देने की घोषणा वह विदेशी साजिश का हिस्सा नहीं बन सकते। इस्तीफे से पहले कैसर ने कहा, हमारे कानूनों और देश के लिए खड़े होने के लिए मैंने फैसला लिया है कि मैं स्पीकर के पद पर नहीं रह सकता इसलिए इस्तीफा देता हूं।

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विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव और इमरान सरकार के बीच दीवार बनकर खड़े नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर और डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी के इस्तीफे ने आखिरकार विपक्ष की राह आसान की। दिन भर कैसर ने सदन की कार्यवाही का संचालन किया और इस बीच चार बार सदन स्थगित की गई। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 12 बजे से पहले प्रस्ताव पर मतदान कराया जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कैसर और सूरी पर अदालती अवमानना की तलवार लटक रही थी। ऐसे में 12 बजे से ठीक पहले कैसर ने यह कहते हुए इस्तीफा देने की घोषणा वह विदेशी साजिश का हिस्सा नहीं बन सकते। इस्तीफे से पहले कैसर ने कहा, हमारे कानूनों और देश के लिए खड़े होने के लिए मैंने फैसला लिया है कि मैं स्पीकर के पद पर नहीं रह सकता इसलिए इस्तीफा देता हूं। चूंकि यह राष्ट्रीय कर्तव्य और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है इसलिए मैं स्पीकरों के पैनल से अयाज सादिक को सदन का संचालन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

सादिक ने पीठासीन अधिकारी का पद संभालने के बाद पार्टी के पक्ष में खड़े रहने और इज्जत से पद छोड़ने के लिए कैसर की तारीफ की। इसके बाद उन्होंने सदन की घंटियां बजा कर सदस्यों मतदान की प्रक्रिया शुरू होने का संकेत दिया। उन्होंने रात 11.58 बजे मतदान की प्रक्रिया शुरू कर दी। पीटीआई के सदस्य सदन छोड़कर चले गए। हालांकि इसके बाद फिर दो मिनट के लिए सदन स्थगित करना पड़ा क्योंकि कानूनन रात 12 बजे के बाद पिछले दिन का सत्र जारी नहीं रह सकता। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर सत्ता पक्ष की अनुपस्थिति में प्रस्ताव बहुमत से पारित हुआ। 

सेना के सामने रखीं तीन शर्तें
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान खान ने सियासी घटनाक्रम में सेना का दखल कराने की भी पूरी कोशिश की। इमरान ने सौदेबाजी की कोशिश के तहत सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा के पास रक्षामंत्री परवेज खटक को दूत बनाकर मिलने भेजा। सूत्रों ने बताया कि इमरान ने प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए शर्त रखी थी कि इस्तीफे के बाद उन्हें या उनके किसी मंत्री को गिरफ्तार नहीं किए जाने की गारंटी सेना की तरफ से दी जानी चाहिए। इसके साथ ही इमरान यह भी सुनिश्चित करवाना चाहते थे कि  शहबाज शरीफ के अलावा किसी और को प्रधानमंत्री बनाया जाए। तीसरी शर्त में खान ने सेना से कहा कि उन पर एनएबी के तहत मामला न चलाया जाए। इस दौरान एक जेल वाहन संसद के बाहर पहुंचने से खबरें उड़ीं कि इमरान को गिरफ्तार किया जाने वाला है।

आधी रात को सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय
रात 11 बजे तक भी अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं होने से पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने रात 12.30 बजे आपात सुनवाई करने का फैसला लिया। इसके लिए कोर्ट को खुलवाया गया और जज भी पहुंचने लगे। लेकिन इससे पहले ही नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के इस्तीफे की खबर आ गई। 12 बजे से पहले ही मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टाल दी गई।
 
इमरान ने प्रधानमंत्री निवास छोड़ा : नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के इस्तीफे के तुरंत बाद इमरान खान ने प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास छोड़ दिया। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के सीनेटर फैसल जावेद खान ने ट्वीट किया, मैंने पीएम इमरान को उनके आधिकारिक सरकारी निवास से बाहर छोड़ा। वह पूरी गरिमा से बाहर गए हैं और किसी के आगे नहीं झुके। उन्होंने पूरे देश का सिर ऊंचा किया है।

विश्वविजेता कप्तान से रुसवा हुए सिलेक्टेड पीएम तक
पश्तून परिवार में  25 नवंबर, 1952 को जन्मे इमरान ने ऑक्सफोर्ड के केब्ले कॉलेज से दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है। चचेरे भाई जावेद बुर्की और माजिद खान पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे। इससे क्रिकेट का रास्ता आसानी से खुल गया और 1971 में 18 की उम्र में पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया।

  • कप्तान के रूप में पाकिस्तान को विश्वविजेता बनाने से राजनीति में सफल पारी खेलने का रास्ता साफ किया।
  • 2018 में सेना के खुल्लमखुला सहयोग से चुनाव जीतकर सत्ता हासिल करने के कारण उन्हें ‘सिलेक्टेड पीएम’ भी कहा गया। 
  • महंगाई के साथ खाद्य सामग्रियों समेत आवश्यक वस्तुओं की किल्लत ने हाहाकार मचा दिया। इमरान की लोकप्रियता ऐसी गिरी कि पीटीआई के सांसद और सहयोगी दल साथ छोड़ते गए।

विस्तार

विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव और इमरान सरकार के बीच दीवार बनकर खड़े नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर और डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी के इस्तीफे ने आखिरकार विपक्ष की राह आसान की। दिन भर कैसर ने सदन की कार्यवाही का संचालन किया और इस बीच चार बार सदन स्थगित की गई। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 12 बजे से पहले प्रस्ताव पर मतदान कराया जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कैसर और सूरी पर अदालती अवमानना की तलवार लटक रही थी। ऐसे में 12 बजे से ठीक पहले कैसर ने यह कहते हुए इस्तीफा देने की घोषणा वह विदेशी साजिश का हिस्सा नहीं बन सकते। इस्तीफे से पहले कैसर ने कहा, हमारे कानूनों और देश के लिए खड़े होने के लिए मैंने फैसला लिया है कि मैं स्पीकर के पद पर नहीं रह सकता इसलिए इस्तीफा देता हूं। चूंकि यह राष्ट्रीय कर्तव्य और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है इसलिए मैं स्पीकरों के पैनल से अयाज सादिक को सदन का संचालन करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

सादिक ने पीठासीन अधिकारी का पद संभालने के बाद पार्टी के पक्ष में खड़े रहने और इज्जत से पद छोड़ने के लिए कैसर की तारीफ की। इसके बाद उन्होंने सदन की घंटियां बजा कर सदस्यों मतदान की प्रक्रिया शुरू होने का संकेत दिया। उन्होंने रात 11.58 बजे मतदान की प्रक्रिया शुरू कर दी। पीटीआई के सदस्य सदन छोड़कर चले गए। हालांकि इसके बाद फिर दो मिनट के लिए सदन स्थगित करना पड़ा क्योंकि कानूनन रात 12 बजे के बाद पिछले दिन का सत्र जारी नहीं रह सकता। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर सत्ता पक्ष की अनुपस्थिति में प्रस्ताव बहुमत से पारित हुआ। 

सेना के सामने रखीं तीन शर्तें

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान खान ने सियासी घटनाक्रम में सेना का दखल कराने की भी पूरी कोशिश की। इमरान ने सौदेबाजी की कोशिश के तहत सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा के पास रक्षामंत्री परवेज खटक को दूत बनाकर मिलने भेजा। सूत्रों ने बताया कि इमरान ने प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए शर्त रखी थी कि इस्तीफे के बाद उन्हें या उनके किसी मंत्री को गिरफ्तार नहीं किए जाने की गारंटी सेना की तरफ से दी जानी चाहिए। इसके साथ ही इमरान यह भी सुनिश्चित करवाना चाहते थे कि  शहबाज शरीफ के अलावा किसी और को प्रधानमंत्री बनाया जाए। तीसरी शर्त में खान ने सेना से कहा कि उन पर एनएबी के तहत मामला न चलाया जाए। इस दौरान एक जेल वाहन संसद के बाहर पहुंचने से खबरें उड़ीं कि इमरान को गिरफ्तार किया जाने वाला है।

आधी रात को सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय

रात 11 बजे तक भी अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं होने से पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने रात 12.30 बजे आपात सुनवाई करने का फैसला लिया। इसके लिए कोर्ट को खुलवाया गया और जज भी पहुंचने लगे। लेकिन इससे पहले ही नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के इस्तीफे की खबर आ गई। 12 बजे से पहले ही मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टाल दी गई।

 

इमरान ने प्रधानमंत्री निवास छोड़ा : नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के इस्तीफे के तुरंत बाद इमरान खान ने प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास छोड़ दिया। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के सीनेटर फैसल जावेद खान ने ट्वीट किया, मैंने पीएम इमरान को उनके आधिकारिक सरकारी निवास से बाहर छोड़ा। वह पूरी गरिमा से बाहर गए हैं और किसी के आगे नहीं झुके। उन्होंने पूरे देश का सिर ऊंचा किया है।

विश्वविजेता कप्तान से रुसवा हुए सिलेक्टेड पीएम तक

पश्तून परिवार में  25 नवंबर, 1952 को जन्मे इमरान ने ऑक्सफोर्ड के केब्ले कॉलेज से दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है। चचेरे भाई जावेद बुर्की और माजिद खान पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे। इससे क्रिकेट का रास्ता आसानी से खुल गया और 1971 में 18 की उम्र में पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया।

  • कप्तान के रूप में पाकिस्तान को विश्वविजेता बनाने से राजनीति में सफल पारी खेलने का रास्ता साफ किया।
  • 2018 में सेना के खुल्लमखुला सहयोग से चुनाव जीतकर सत्ता हासिल करने के कारण उन्हें ‘सिलेक्टेड पीएम’ भी कहा गया। 
  • महंगाई के साथ खाद्य सामग्रियों समेत आवश्यक वस्तुओं की किल्लत ने हाहाकार मचा दिया। इमरान की लोकप्रियता ऐसी गिरी कि पीटीआई के सांसद और सहयोगी दल साथ छोड़ते गए।

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