एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 19 Jan 2022 05:01 AM IST
सार
फोरम के अनुसार आज 80 प्रतिशत साइबर लीडर मानते हैं कि रैनसम-वेयर न केवल कंपनियों, बल्कि जन सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं।
सांकेतिक तस्वीर….
– फोटो : सोशल मीडिया
कोविड महामारी में विश्व की अधिकतर कंपनियों ने खुद को डिजिटल किया, लेकिन इसी वजह से रैनसम-वेयर सहित विभिन्न साइबर अपराध 151 प्रतिशत बढ़ गए। वर्ष 2021 को लेकर यह खुलासा मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में वैश्विक साइबर सुरक्षा आउटलुक रिपोर्ट 2022 में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार हर एक कंपनी ने औसतन 270 साइबर हमले बीते वर्ष में सहे।
इन साइबर हमलों में एक भी सफल होने पर कंपनी को औसतन 27 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यहीं नहीं, पिछले साल जिस भी कंपनी पर ऐसे सफल हमले हुए, उसके शेयरों के दाम नैस्डेक पर घट गए।
यह घटना के छह महीने बाद भी 3 प्रतिशत तक नीचे हैं। फोरम के अनुसार आज 80 प्रतिशत साइबर लीडर मानते हैं कि रैनसम-वेयर न केवल कंपनियों, बल्कि जन सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं। इसे लेकर दृष्टिकोण का भी संकट है, कंपनियों के कार्यकारी अधिकारी कंपनी को सुरक्षित मानते हैं, लेकिन सुरक्षा अधिकारी सहमत नहीं।
विस्तार
कोविड महामारी में विश्व की अधिकतर कंपनियों ने खुद को डिजिटल किया, लेकिन इसी वजह से रैनसम-वेयर सहित विभिन्न साइबर अपराध 151 प्रतिशत बढ़ गए। वर्ष 2021 को लेकर यह खुलासा मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में वैश्विक साइबर सुरक्षा आउटलुक रिपोर्ट 2022 में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार हर एक कंपनी ने औसतन 270 साइबर हमले बीते वर्ष में सहे।
इन साइबर हमलों में एक भी सफल होने पर कंपनी को औसतन 27 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यहीं नहीं, पिछले साल जिस भी कंपनी पर ऐसे सफल हमले हुए, उसके शेयरों के दाम नैस्डेक पर घट गए।
यह घटना के छह महीने बाद भी 3 प्रतिशत तक नीचे हैं। फोरम के अनुसार आज 80 प्रतिशत साइबर लीडर मानते हैं कि रैनसम-वेयर न केवल कंपनियों, बल्कि जन सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं। इसे लेकर दृष्टिकोण का भी संकट है, कंपनियों के कार्यकारी अधिकारी कंपनी को सुरक्षित मानते हैं, लेकिन सुरक्षा अधिकारी सहमत नहीं।
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