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साइबर अपराध: रोकने के लिए नए कानूनी ढांचे की जरूरत, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा- लोगों के जीवन में प्रौद्योगिकी की घुसपैठ हो सकती है घातक

सार

केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रौद्योगिकी ने प्रोडक्टिविटी, दक्षता और सुविधा उपलब्ध कराई है लेकिन साथ ही इससे लोगों के जीवन में घुसपैठ बढ़ी है। यह मामूली भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर समय यह घातक होती है और इसका उद्देश्य गलत कृत्यों को अंजाम देना ही होता है।

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केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक नए ‘गतिशील’ कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया, जो साइबर क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से मुकाबले के लिए निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विनियमों तथा नियंत्रण की मांगों में संतुलन कायम कर सके। उन्होंने सोमवार को सीबीआई द्वारा ‘साइबर अपराध जांच एवं डिजिटल फोरेंसिक’ विषय पर दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
 
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रौद्योगिकी ने प्रोडक्टिविटी, दक्षता और सुविधा उपलब्ध कराई है लेकिन साथ ही इससे लोगों के जीवन में घुसपैठ बढ़ी है। यह मामूली भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर समय यह घातक होती है और इसका उद्देश्य गलत कृत्यों को अंजाम देना ही होता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को कानूनी रणनीति, प्रौद्योगिकी, संगठनों, क्षमता निर्माण और आपसी सहयोग से ही निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश के कानूनी ढांचे में व्यापक स्तर पर बदलाव की जरूरत है। 

अधिकार और नियमों में संतुलन जरूरी 
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी भी क्रमिक बदलाव से मदद होगी। बदलाव पर्याप्त, अहम, मौलिक और संरचनात्मक होने चाहिए। पूरा संघर्ष निजता व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और ‘निजता के अधिकार की आड़ में धोखाधड़ी भरे कृत्यों को रोकने के लिए’ अधिक विनियमन तथा नियंत्रण रखने की परस्पर विरोधी मांगों के बीच है। समाज एक ओर कहता है कि निजता का अधिकार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण हैं और उसमें किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरा वर्ग नियमों तथा नियंत्रण की मांग करता है और इन दोनों मांगों के बीच संतुलन कायम करना जरूरी है।

कोविड के बाद बदली लोगों की सोच 
उन्होंने कहा कि कोविड के बाद और कोविड के दौरान दुनिया मौलिक तौर पर बदल गई और सोचने का तरीका भी बदल गया है। अब समाज की सोचने की प्रक्रिया में संतुलन आ गया है। 

दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोपीय देशों के मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज बड़ी संख्या में कानूनी और सामाजिक हस्तक्षेप हो रहे हैं जोकि एक तरफ निजता के अधिकार और दूसरी ओर नियमन की आवश्यकता के बीच संतुलन लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में हम सामाजिक सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया हो पूरी तरह जवाबदेह 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कानूनी ढांचे को पूरी तरह से एक नया आकार देना चाहिए जो गतिशील, समय के अनुरूप हो तथा हमारी हर पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करे। साथ ही लोगों को उनके विचारों व सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाए और उन लोगों को दूर रखे जो मेहनत की कमाई को ठगना चाहते हैं। उन्होंने समारोह में 12 सीबीआई अधिकारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और दो सीबीआई अधिकारियों को असाधारण खुफिया पदक से भी सम्मानित किया।

विस्तार

केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक नए ‘गतिशील’ कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया, जो साइबर क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से मुकाबले के लिए निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विनियमों तथा नियंत्रण की मांगों में संतुलन कायम कर सके। उन्होंने सोमवार को सीबीआई द्वारा ‘साइबर अपराध जांच एवं डिजिटल फोरेंसिक’ विषय पर दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।

 

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रौद्योगिकी ने प्रोडक्टिविटी, दक्षता और सुविधा उपलब्ध कराई है लेकिन साथ ही इससे लोगों के जीवन में घुसपैठ बढ़ी है। यह मामूली भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर समय यह घातक होती है और इसका उद्देश्य गलत कृत्यों को अंजाम देना ही होता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को कानूनी रणनीति, प्रौद्योगिकी, संगठनों, क्षमता निर्माण और आपसी सहयोग से ही निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश के कानूनी ढांचे में व्यापक स्तर पर बदलाव की जरूरत है। 

अधिकार और नियमों में संतुलन जरूरी 

उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी भी क्रमिक बदलाव से मदद होगी। बदलाव पर्याप्त, अहम, मौलिक और संरचनात्मक होने चाहिए। पूरा संघर्ष निजता व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और ‘निजता के अधिकार की आड़ में धोखाधड़ी भरे कृत्यों को रोकने के लिए’ अधिक विनियमन तथा नियंत्रण रखने की परस्पर विरोधी मांगों के बीच है। समाज एक ओर कहता है कि निजता का अधिकार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण हैं और उसमें किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरा वर्ग नियमों तथा नियंत्रण की मांग करता है और इन दोनों मांगों के बीच संतुलन कायम करना जरूरी है।

कोविड के बाद बदली लोगों की सोच 

उन्होंने कहा कि कोविड के बाद और कोविड के दौरान दुनिया मौलिक तौर पर बदल गई और सोचने का तरीका भी बदल गया है। अब समाज की सोचने की प्रक्रिया में संतुलन आ गया है। 

दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोपीय देशों के मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज बड़ी संख्या में कानूनी और सामाजिक हस्तक्षेप हो रहे हैं जोकि एक तरफ निजता के अधिकार और दूसरी ओर नियमन की आवश्यकता के बीच संतुलन लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में हम सामाजिक सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया हो पूरी तरह जवाबदेह 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कानूनी ढांचे को पूरी तरह से एक नया आकार देना चाहिए जो गतिशील, समय के अनुरूप हो तथा हमारी हर पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करे। साथ ही लोगों को उनके विचारों व सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाए और उन लोगों को दूर रखे जो मेहनत की कमाई को ठगना चाहते हैं। उन्होंने समारोह में 12 सीबीआई अधिकारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और दो सीबीआई अधिकारियों को असाधारण खुफिया पदक से भी सम्मानित किया।

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