एजेंसी, बारपेता (असम)।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 06 Feb 2022 05:45 AM IST
सार
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा राज्य सरकार करेगी।
अगर किसी भी चुनौती का सामना हिम्मत और हौसले से करें तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है। असम के बालाजी जिले में चाय बेचने वाले एक 24 वर्षीय लड़के ने पहले प्रयास में ही नीट पास करके यह साबित कर दिया है।
राहुल दास ने परीक्षा को पास करने के लिए अपने सपने को हमेशा बड़ा करके रखा। उसकी तैयारी में गरीबी और दिक्कतें पहाड़ बनकर खड़ी रहीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत दिल्ली एम्स में सीट पक्की कर ली।
2015 में बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद पैसे की तंगी के कारण राहुल ने पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि, बाद में पढ़ाई की ललक ने आगे बढ़ने को प्रेरित किया और सीआईपीईटी से प्लास्टिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
इस दौरान उसने 85 फीसदी अंक भी प्राप्त किए। उसके बाद गुवाहाटी में एक एमएनसी में नौकरी शुरू की, लेकिन उसके डॉक्टर बनने के सपने की चाह मन में बनी रही। नौकरी से असंतुष्ट होने के कारण उसने फैसला किया कि वह अपने मां के चाय बेचने के बिजनेस में हाथ बंटाएगा और अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई भी करेगा। अपनी मेहनत और लगन से उसने परीक्षा पास की।
इस सफलता पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा राज्य सरकार करेगी। वहीं एम्स दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ने भी उसकी उपलब्धि पर खुशी जताई है।
विस्तार
अगर किसी भी चुनौती का सामना हिम्मत और हौसले से करें तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है। असम के बालाजी जिले में चाय बेचने वाले एक 24 वर्षीय लड़के ने पहले प्रयास में ही नीट पास करके यह साबित कर दिया है।
राहुल दास ने परीक्षा को पास करने के लिए अपने सपने को हमेशा बड़ा करके रखा। उसकी तैयारी में गरीबी और दिक्कतें पहाड़ बनकर खड़ी रहीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत दिल्ली एम्स में सीट पक्की कर ली।
2015 में बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद पैसे की तंगी के कारण राहुल ने पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि, बाद में पढ़ाई की ललक ने आगे बढ़ने को प्रेरित किया और सीआईपीईटी से प्लास्टिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
इस दौरान उसने 85 फीसदी अंक भी प्राप्त किए। उसके बाद गुवाहाटी में एक एमएनसी में नौकरी शुरू की, लेकिन उसके डॉक्टर बनने के सपने की चाह मन में बनी रही। नौकरी से असंतुष्ट होने के कारण उसने फैसला किया कि वह अपने मां के चाय बेचने के बिजनेस में हाथ बंटाएगा और अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई भी करेगा। अपनी मेहनत और लगन से उसने परीक्षा पास की।
इस सफलता पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा राज्य सरकार करेगी। वहीं एम्स दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ने भी उसकी उपलब्धि पर खुशी जताई है।
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