एजेंसी, वाशिंगटन
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sun, 26 Dec 2021 12:35 AM IST
सार
वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए लिखते हुए सईद शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में शासन प्रणाली और सामाजिक सेवाओं के पुनर्निर्माण के लिए आठ अरब डॉलर की सहायता की योजना पूरी तरह मानवीय मिशन से आगे बढ़ेगी।
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विस्तार
अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने के लिए 8 अरब डॉलर देने की योजना बना रहा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान के मानवीय समन्वयक रमिज अलकबरोव ने भी कहा कि हम अफगानस्तान की वैकल्पिक सरकार बनना नहीं चाहते लेकिन सिस्टम का समर्थन जरूरी है। अलकबरोव ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने से भविष्य में कुछ भरोसा पैदा हो सकता है और शरणार्थियों के सामूहिक निकास को भी रोका जा सकता है।
अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और यूरोप के देशों को डर है कि आर्थिक तबाही से लाखों निराश लोग अपनी सीमाओं के पार जा सकते हैं। उन्होंने कहा, जीवन बचाने से लेकर आजीविका के पुनर्निर्माण तक, अगले साल 3.6 अरब डॉलर की जरूरत होगी। इस फंडिंग से स्कूलों और अस्पतालों को चालू रखा जा सकेगा। इस योजना से छोटे व्यवसायों और किसानों को मदद मिल सकेगी।
अमेरिका ने भी कुछ प्रतिबंध हटाए
संयुक्त राष्ट्र के अलावा अमेरिकी राजकोष ने भी इस सप्ताह अफगानिस्तान में शिक्षा क्षेत्र और सिविल सेवकों को भुगतान समेत मदद के लिए अनुमति देते हुए कुछ प्रतिबंध हटा लिए हैं। अगस्त मध्य में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगान अर्थव्यवस्था 40 प्रतिशत सिकुड़ गई है। इस बीच, अमेरिका ने अफगान केंद्रीय बैंक की संपत्ति में 9 अरब डॉलर सील कर वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए थे।
पुतिन ने कहा, अफगानिस्तान को मदद दे अमेरिका
रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के कारण अमेरिका से अफगानिस्तान को मदद देने की अपील की है। टोलो न्यूज के मुताबिक, पुतिन ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान पिछले 20 वर्षों से संघर्ष में झोंका गया है और अब अफगानिस्तान के लोगों को मदद देना जरूरी है। यह मदद सबसे पहले उन देशों द्वारा की जानी चाहिए जिन्होंने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और समाज को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, काबुल और मॉस्को के बीच संबंध सर्वोत्तम संभव तरीके से विकसित होंगे।
धन के निलंबन के कारण कई बिजली परियोजनाएं रुकीं
तालिबान द्वारा देश के अधिग्रहण के मद्देनजर एशियाई विकास बैंक (एडीबी), विश्व बैंक और अमेरिकी विकास सहायता से धन के निलंबन के कारण पिछले चार महीनों से अफगानिस्तान में कई बिजली आपूर्ति परियोजनाएं रुकी हुई हैं। टोलो न्यूज ने बिजली व्यवस्था देखने वाले मंत्री सफीउल्लाह अहमदजई के हवाले से कहा, 500 केवी लाइन परियोजना में से नब्बे प्रतिशत पूरा हो गया है और इसका केवल 10 प्रतिशत काम बाकी है। इसके लिए एडीबी की अनुमति चाहिए। इसी तरह काबुल में बिजली की कमी के पूर्ण समाधान के लिए 4 लाख डॉलर की लागत से काम करने होंगे।